आर्य समाज का पाखण्ड -1 आर्य समाज ने समाज सुधार हेतु काफी काम किये हैं !
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सत्यता : आर्य समाज ने सिर्फ वही कार्य किये हैं, जो अंग्रजों ने उन्हें सौंपे थे ! जब भारतीय समाज में कोई बुराई थी ही नहीं तो इन आर्य समाजियों ने कौन से समाज सुधार किये !
जो समाज सुधार के कार्य आर्य समाजी गिनवाते हैं वह है सनातन देवी देवताओं की मूर्तिपूजा का विरोध ! जबकि यह मूर्ति पूजा पूर्णतया वैज्ञानिक और तर्क संगत है !
रामायण के अनुसार सीता माता पूजा हेतु ही पुष्प वाटिका गई थी जब भगवान श्रीराम ने उनको पहली बार अपने सहेलियों के साथ देखा था !
रुकमणी जब मंदिर जा रही थी, तब उसी समय वह भगवान श्री कृष्ण के साथ विवाह की इच्छा से द्वारिका आ गई थी !
मीराबाई, चैतन्य महाप्रभु, संत शिरोमणि रविदास, स्वामी सूरदास, गोस्वामी तुलसीदास, आदि अनेकों ऐसे दिव्य संत हुये ! जिन्होंने ईश्वर की इच्छा और कृपा ईश्वर की मूर्ति पूजा द्वारा ही प्राप्त की थी ! अतः मूर्ति पूजन को वेद विरोधी या आवैज्ञानिक बताना उचित नहीं है !
आज भी रामलीला, श्रीमद् भागवत कथा, होली, दीपावली, दशहरा आदि अनेकों ऐसे सनातन कार्यक्रम और त्योहार हैं ! जो किसी न किसी भगवान के कार्यों के याद में मनाये जाते हैं !
यदि मूर्ति पूजन ही नहीं होगा तो इन सनातन कार्यक्रमों और त्योहारों का औचित्य ही समाप्त हो जाएगा !
और जब सनातन कार्यक्रम और त्योहारों का औचित्य समाप्त हो जाएगा ! तो सनातन धर्म के विरोधी विधर्मी लोग सनातन धर्मियों को आसानी से अपने धर्म में शामिल कर सकेंगे ! इस हेतु आर्य समाज मूर्ति पूजा का विरोध करता है !
ब्राह्मणों का विरोध
ब्राह्मण ही सनातन धर्म की नींव और प्राण हैं !
वर्ण प्रथा का विरोध
वही वर्ण प्रथा जो श्रीमद्भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण द्वारा प्रमाणित है !
क्योंकि अंग्रेज चाहते थे कि हिन्दू समाज वर्णसंकर हो जाये ! अत: उनका वर्ण व्यवस्था भंग पर बहुत जोर था ! जिसमें आर्य समाज ने उनकी बहुत मदद की !
महिला शिक्षा
यह महिला शिक्षा जो भारत में तब से थी जब दुनिया में सभ्यताओं ने जन्म भी नही लिया था ! न जाने कितनी वेद कन्यायें हुई है जिन्होंने वेद ऋचाओं का निर्माण किया था ! आदि आदि !
सच तो यह है कि आर्य समाज ने गुरुकुल व्यवस्था को नष्ट करने में अंग्रेजों की मदद की ! जिस भारत की पहले अपने गुरुकुल व्यवस्था के बदौलत तूती बोलती थी !
आर्य समाजियों ने उसी को बदनाम किया और अंग्रजों की शिक्षा व्यवस्था को विकसित करने के लिये उसी ढर्रे पर काम किया जो अंग्रेजों चाहते थे !
आर्य समाज का पाखण्ड -1 क्रमशः