जैविक युद्ध से भारत को खत्म करने की तैयारी 1990 में ही हो गई थी : Yogesh Mishra

1971 में भारत की जनसंख्या 55 करोड़ थी ! जो हर दशक में 22% की गति से बढ़ रही थी ! जिसे लेकर विश्व के सारे ईसाई देश परेशान थे ! उनका यह मानना था कि यदि भारत की जनसंख्या इसी तेजी से बढ़ती रही तो एक दिन जनसंख्या के आधार पर भारत विश्व की महाशक्ति बन जायेगा और अल्पसंख्यक होने के नाते ईसाई धर्म विलुप्त हो जायेगा ! इसीलिये उन्होंने जब देखा कि हम भारत की जनसंख्या को नियंत्रित नहीं कर सकते तो उन्होंने भारत में लोगों को ईसाई बनाने के लिये बड़े पैमाने पर धर्मांतरण अभियान शुरू कर दिया !

और दूसरी तरफ भारतीयों को खत्म करने के लिये वर्ष 1990 में ऐसे जैविक हथियारों की खोज शुरू कर दी जिनकी मदद से भारत की आबादी मात्र 10 करोड़ की जा सके ! भारत की जनसंख्या कम करने के लिये भारत के राजनीतिज्ञों पर उन्होंने पूर्व में कई अंतरराष्ट्रीय दबाव भी डालें !

अमेरिका सहित पश्चिमी के कई देशों ने भारत को यह कहते हुये अनाज देने से मना कर दिया कि भारत को कितना भी अनाज दे दिया जाये, पर भारत की बढ़ती हुई आबादी का पेट कभी नहीं भरा जा सकता है ! इसीलिये भारत को हरित क्रांति अभियान चलाना पड़ा !

जिसके लिये पश्चिम के देशों का कमेंट था कि हरित क्रांति से भारत अनाज का उत्पादन कितना भी बढ़ा ले लेकिन सुरसा की तरह मुंह फैलाती भारत की आबादी के लिये यह अनाज हमेशा कम ही होगा ! उनका यह भी कहना था कि भारत को अनाज के रूप में मदद भेजना समंदर में रेत फेंकने जैसा है ! जिसका कोई फायदा नहीं है ! ऐसा सिर्फ अनाज ही नहीं, बाकी संसाधनों के बारे में भी उनका यही माना जाता था !

भारत को अपनी जनसंख्या नियंत्रित करने के लिये विश्व के महाशक्तियों के इशारे पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और एड इंडिया कंसोर्टियम जैसे विश्व विख्यात संस्थानों के जरिये कई तरह की आर्थिक मदद भी दी गई ! किंतु यह सब कुछ प्रभावहीन रहा ! अंततः हार कर 26 जून 1975 से लेकर 21 मार्च 1977 तक यानी कि 21 महीने का भारत में आपातकाल घोषित कर दिया गया ।

और श्रीमती प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने नसबंदी कार्यक्रम को लागू करने की जिम्मेदारी संजय गांधी को सौंप दी और संजय गांधी ने इसे एक जुनून की तरह लिया और मात्र 21 महीने में 62 लाख लोगों की नसबंदी करवा दी !

संजय गांधी के इसी नसबंदी कार्यक्रम से उपजी नाराजगी का लाभ जयप्रकाश नारायण ने उठाया और 1977 में इंदिरा गांधी को सत्ता से बाहर कर दिया ! जयप्रकाश नारायण ने इस आपातकाल को ‘भारतीय इतिहास की सर्वाधिक काली अवधि’ कहा था ! किन्तु वह 14 जनवरी 1980 को फिर से प्रधानमंत्री बन गयीं ।
इसी बीच 23 जून 1980 को एक विमान दुर्घटना में संजय गांधी की मृत्यु हो गई और इसके बाद भारत में नसबंदी अभियान बस नाम मात्र का अभियान रह गया ! अब तक विश्व के वैज्ञानिकों ने गर्भनिरोधक दवाइयां, इंजेक्शन और कंडोम जैसे विकल्पों की खोज कर ली थी ! जिसका लाभ पूरा विश्व उठा रहा था !

किन्तु भारत का आम नागरिक अभी सोया हुआ था और जनसंख्या तेजी से अपना आकार लेती जा रही थी ! इसी बीच विश्व सत्ता के नुमाइंदों ने अमेरिका के जॉर्जिया शहर में शिलालेख द्वारा 1980 में यह घोषणा कर दी कि अब विश्व की आबादी मात्र 50 करोड़ होगी ! जिसको लेकर पूरी दुनिया में तहलका मच गया ! पश्चिम के देशों ने तो संतान उत्पत्ति का विचार ही छोड़ दिया ! किंतु मुस्लिम देश और भारत ने अपनी आबादी को नियंत्रित नहीं किया !
परिणामत: 1990 के दशक के विश्व की आबादी कम करने के लिये जैविक हथियारों की खोज शुरू की गई ! इसमें कुछ ऐसे हथियार बनाये गये जिनका प्रयोग करने से व्यक्ति में प्रजनन क्षमता ही समाप्त हो जाती है और साथ ही कुछ ऐसे भी जैविक हथियार विकसित किये गये कि जिनके प्रयोग करने से एक बहुत बड़ी आबादी बीमार होकर मर जायेगी !

यह करो ना वायरस नामक जैविक हथियार भी उसी श्रंखला की खोज का एक अंश है ! जिसे अमेरिका और चीन ने मिलकर संयुक्त रूप से विकसित किया था ! किन्तु बाद में चीन ने अपने विकास और आर्थिक लाभ के लिये अमेरिका को धोखा दिया और अमेरिका को इस प्रोजेक्ट से बाहर कर दिया !

जिससे दहले अमेरिका ने पहले तो चीन के विरुद्ध सैन्य कार्यवाही करने का निर्णय लिया ! किन्तु चीन की सैन्य तकनीकी व शक्ति देखकर उसकी हिम्मत नहीं पड़ी और अंततः चीन ने इस जैविक हथियार को अपने विरुद्ध सभी देशों के ऊपर नीतिगत तरीके से प्रयोग किया ! जिससे भारत सहित विश्व के सभी विकसित देश इसके चपेट में आ गये और चीन के प्रतिस्पर्धात्मक आर्थिक विकास की योजना सफल हुई !
आज पूरा विश्व इस जैविक हथियार के हमले से जूझ रहा है ! लेकिन आज भी भारत के आम आवाम की आंख जनसंख्या नियंत्रण के विषय पर नहीं खुली है ! अब पता नहीं हम लोग किस विनाश का इंतजार कर रहे हैं !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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