किसकी कृपा से बना था बेलूर मठ : Yogesh Mishra

बेलूर मठ भारत के पश्चिम बंगाल में हुगली नदी के पश्चिमी तट पर बेलूर में स्थित है ! यह रामकृष्ण मिशन और रामकृष्ण मठ का मुख्यालय है !

इस मठ के भवनों की वास्तु में हिन्दू, इसाई तथा इस्लामी तत्वों का सम्मिश्रण है, जिसे धार्मिक एकता का प्रतीक बतलाया जाता है ! इसकी स्थापना रामकृष्ण परमहंस की मृत्यु के बाद 1 मई 1897 को में स्वामी विवेकानन्द द्वारा की गयी थी !

इस 40 एकर की भूमि पर अवस्थित इस मठ के मुख्य प्रांगण में स्वामी रामकृष्ण परमहंस, शारदा देवी, स्वामी विवेकानंद और स्वामी ब्रह्मानन्द की देहाग्निस्थल पर उनकी समाधियाँ व मन्दिर अवस्थित है, तथा रामकृष्ण मिशन के प्रमुख कार्यालय अवस्थित हैं !

इस मठ का निर्माण कार्य 16 अगस्त 1886 को रामकृष्ण परमहंस की मृत्यु के बाद शुरू हुआ था ! अब प्रश्न यह है कि जब रामकृष्ण परमहंस ही मर गये तो इस मठ के निर्माण कार्य के लिए किस व्यक्ति ने चंदा इकट्ठा किया और यह धनराशि कहां से आयी थी ! इसका कोई भी लेखा-जोखा अति गुप्त क्यों रखा गया है ?

और आज भी रामकृष्ण मिशन या रामकृष्ण मठ के पूरे विश्व में जितने भी केंद्र हैं, उन सभी के मुखिया बंगाली ही क्यों होते हैं ? गैर बंगाली को इनके मिशन के आर्थिक प्रशासनिक खंड में पदाधिकारी क्यों नहीं बनाया जाता है ?

इसका सीधा सा जवाब है स्वामी विवेकानंद जो कि 1893 से 1899 तक लगातार 6 बर्ष तक यूरोप में हिंदू धर्म के प्रतिनिधि के तौर पर भ्रमण करते रहे वहीं से अपने ईसाई मित्रों के सहयोग से उन्होंने धन को संग्रहित किया था ! जिससे रामकृष्ण मिशन की स्थापना की !

कालांतर में यह बात और भी विचारणीय है कि रामकृष्ण मठ की स्थापना के बाद ही संपूर्ण बंगाल क्षेत्र में अंग्रेजी भाषा और इसाई धर्मांतरण का बहुत बड़ा दौर आरंभ हुआ था ! इसके पीछे मुख्य कारण यह था कि अट्ठारह सौ सत्तावन (1857) की क्रांति से डरा हुआ अंग्रेज यह नहीं चाहता था कि आनंदमठ जैसी कोई घटना दोबारा बंगाल से आरंभ हो !

इसीलिए समस्त भारतीयों का मन मस्तिष्क बंगाल में अंग्रेज ईसाईयों द्वारा रामकृष्ण मठ की ओर योजनाबद्ध तरीके से मोड़ दिया गया ! जिसके कारिंदे पूरी दुनिया में बस सिर्फ बंगला या अंग्रेजी भाषा में ही कार्य करते हैं !

रामकृष्ण मठ से संघ के संस्थापक डा° केशव राव बलीराम हेडगेवार भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके ! क्योंकि उस समय वह कोलकाता में ही डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे थे !

और उसका परिणाम यह हुआ कि संघ और रामकृष्ण मठ का चोली दामन का साथ हो गया और संघ के विद्या भारती द्वारा संचालित शिक्षण संस्थानों ने विवेकानंद को महानायक घोषित कर दिया ! जिससे स्वामी विवेकानंद को लेकर बहुत से प्रश्न बिना उत्तर के अधूरे ही छूट गये !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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