भारत में वर्ष 2030 तक प्रत्येक ग्राम में चर्च और प्रत्येक भारतीय के हाथ में बाईबिल पहुंचाने की ईसाइयों की महत्वाकांक्षी योजना है ! जिसे ‘मैंडेट मिशन’ का नाम दिया गया है ! इसका लक्ष्य भारत के पांच लाख गांवों में नौ लाख चर्चों के माध्यम से लोगों का धर्म परिवर्तित करना है ! जिसका सारा व्यय ईसाई देशों ने अपने ऊपर लिया हुआ है !
जिसका विवरण निम्न प्रकार है-
मिशन मेंडेट के आज्ञा पत्र के पृष्ठ संख्या 471 के अनुसार स्पष्ट है कि नागपुर का फैडरेशन ऑफ चर्च अपने 2,60,000 रूपये के वार्षिक बजट से प्रतिवर्ष 700 लोगों को ईसाईयत की दीक्षा देता है !
नई दिल्ली की इंडियन एवेज्जलिकन टीम अपने 40 लाख रूपये के वार्षिक बजट के द्वारा प्रतिवर्ष 2000 लोगों को ईसाई बनाती है !
चैन्नई का फ्रैंड्स मिशनरी प्रेअरबैंड अपने 11.45 करोड़ रूपये के वार्षिक बजट के द्वारा 3400 लोगों को ईसाई बनाता है !
इस कार्य के लिये ईसाई देशों ने योजनापूर्वक भारत को सात भागों में विभक्त कर लिया है !
(1) बंबई प्रांत स्पेनियाई मिशनों के लिये !
(2) पटना, जमशेदपुर, दार्जिलिंग, अमेरिकी मिशनों के लिये !
(3) बंगाल, उत्तर प्रदेश बेल्जियम के लिये !
(4) कर्नाटक, बंगलौर और मालाबार इटालियनों के कब्जे में !
(5) गोवा, पुर्तगालियों के कब्जे में !
(6) मद्रास, मदुराई, त्रिचनापल्ली, फ्रांसीसियों के कब्जे में !
(7) पूना और बेलगांव, जर्मनी और स्विस मिशनों के कब्जे में हैं !
यह कैसी धर्मनिरपेक्षता है जो राष्ट्रधर्म की उन्नति और विकास में ही बाधक बन गयी है ! उन राष्ट्रद्रोहियों की पहचान होनी चाहिये जो छद्म धर्मनिरपेक्षता का लबादा ओढक़र राष्ट्र पर आने वाली आफत से सब कुछ समझकर भी आंखें बंद किये बैठे हैं ! इन नपुंसकों को राष्ट्र कभी भी क्षमा नही कर पायेगा !