वैष्णव जीवन शैली में भक्त जीवन भर गुरु से, भगवान से, प्रकृति से याचना करते हुए ही जीवन व्यतीत करता है !
उसे सदैव प्रतिक्षण कुछ न कुछ चाहिए ही होता है ! किसी को पुत्र की कामना होती है, तो किसी को संपत्ति की, कोई यश मांगता है, तो कोई स्वस्थ शरीर मांगता है !
और इसके लिए वैष्णव लोगों ने तरह-तरह के भगवान, मंत्र, कर्मकांड और अनुष्ठान आदि बना रखे हैं, और समाज में यह अवधारणा फैला रखी है कि इस पद्धति से यदि कोई पूजा की जाएगी, तो निश्चित रूप से आपको वह वस्तु प्राप्त होगी !
भले ही उस अनुष्ठान को करने के बाद भी बहुतों को वह कुछ प्राप्त नहीं होता है ! जिसके लिए वह अनुष्ठान करता है या करवाता है !
इसके कई वैज्ञानिक कारण हैं ! जिनकी जानकारी के अभाव में प्राय: अनुष्ठान असफल हो जाते हैं ! लेकिन ऐसा नहीं है कि अनुष्ठानों से ईश्वर से वरदान स्वरुप वस्तुओं की प्राप्त नहीं किया जा सकता है !
ईश्वर की कृपा प्राप्त करने की सबसे सरल और सहज व्यवस्था शैव जीवन शैली में बतलाई गई है ! शैव जीवन शैली अनादि, अनंत और अनाश्रित है !
इसमें कार्य और कारण की व्यवस्था को समझ कर भगवान शिव की कृपा से हर वह सांसारिक वस्तु प्राप्त की जा सकती है, जो आपके इस संसार में जीवन निर्वाह के लिए परम आवश्यक है !
और जो लोग शैव जीवन शैली का अनुगमन करके इस कार्य कारण की व्यवस्था को समझ लेते हैं ! वह अपने ही नहीं दूसरों के भी दैहिक, दैविक और भौतिक दुखों का समाधान करने में सक्षम हो जाते हैं !
इसलिए शैव जीवन शैली को अपनाकर आप याचक नहीं दाता बन जाते हैं और अपने जीवन में अनेकों का कल्याण करते हैं ! यही इस संसार में यश प्राप्त करने का सबसे सरल उपाये है !
अतः आप शैव जीवन शैली को अपना कर स्वयं अपने जीवन की समस्याओं का समाधान तो करिए ही ! साथ में अपने आसपास के शुभचिंतकों की भी समस्याओं का समाधान कीजिए ! यही संसार में यश प्राप्त करने का सबसे सरल मार्ग है !!
विशेष : शैव जीवन शैली के सन्दर्भ में उचित मार्गदर्शन के लिये कार्यालय में सम्पर्क कर सकते हैं !