क्या भारत का “संत समाज” मर गया है ? Yogesh Mishra

इतिहास गवाह है कि जब कभी भी “हिंदू सभ्यता और संस्कृति” पर कोई बड़ा हमला हुआ है, तो “संत समाज” ने सदैव आगे आ कर उस हमले को निष्क्रिय किया है ! पर आज हिंदू समाज पर “धर्मांतरण” के नाम पर हमला हो रहा है ! वह “गाय” जो हिंदू धर्म का मूल है ! जिसके “पंचगव्य” के बिना “पूजा-पाठ” ही सम्भव नहीं है ! उसको नष्ट करने के लिए “गौ हत्या और गौ तस्करी” देश में बड़े पैमाने पर हो रही है ! जो लोग गौरक्षा करते हैं, उन्हें “हिंसक अपराधी” घोषित कर दिया जाता है ! मंदिरों के ऊपर “कर” लगाया जा रहा है ! “भगवान की संपत्ति” को हड़पने के लिए नित्य नई योजनाएं बनाई जा रही हैं !

“भगवान राम” त्रिपाल में बैठे हैं ! “कृष्ण जन्म भूमि” पर मस्जिद बनी है ! “काशी विश्वनाथ” आज भी विदेशी आताताई द्वारा बनाए गए खंडहर में दबे हुए हैं ! “तीर्थ यात्रियों” पर सरेआम गोलियां चलाई जा रही हैं ! “मध्यप्रदेश की भोजशाला” में आज विधर्मी “नवाज” अदा कर रहे हैं ! हिंदू बहू-बेटियों को “लव जिहाद” के नाम पर बहला-फुसलाकर विधर्मी उनका “शोषण” कर रहे हैं ! “मजार और चर्च” हिन्दुओं को आकर्षित करने के लिये नित्य नई योजनायें बना रहे हैं !

गरीब नासमझ भोले हिंदुओं का खुलेआम “धर्मांतरण” हो रहा है ! पड़ोसी मुल्क चीन ने हमारे “कैलाश मानसरोवर की यात्रा” रोक दी है ! मुस्लमान “साईं” मंदिरों में घुस कर बैठ गया है ! “एम एफ हुसैन” देवी देवताओं के नग्न चित्र बना कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर “पुरस्कृत” हो रहा है ! “रामसेतु” बड़ी-बड़ी मशीनों से तोड़ा जा रहा है ! और कितने उदाहरण दूं मैं ! और हमारा संत समाज चुप बैठा “धर्म का विनाश” देख रहा है !

प्रश्न यह खड़ा होता है कि क्या “हिंदुत्व” पर होने वाले सभी हमलों का जवाब बस सिर्फ “हिंदू गृहस्थ” ही देंगे ! जिन लोगों ने “हिंदू धर्म की रक्षा” के लिए अपना घर परिवार सर्वस्य त्यागकर तथाकथित “सन्यास” लिया है ! वह लोग आखिर उस “हिंदुत्व की रक्षा” कब करेंगे जिससे उनकी रोजी-रोटी चलती है ! क्या इन लोगों ने संन्यास मात्र “गृहस्थ हिंदू परिवारों को ठगने” के लिए लिया है ? जहां पर भगवा वस्त्र पहनकर, लंबे-लंबे टीके लगाकर, बड़ी-बड़ी रुद्राक्ष की मालाएं गले में डाल कर, बड़े से सिंहासन पर बैठकर बस सिर्फ “लोक मनोरंजक आध्यात्मिक चर्चा” करके हिंदुओं से “धर्म” के नाम पर दान के रुप में “धन” की अपेक्षा करते हैं ! भारत के अंदर और बाहर “2 करोड़ साधु, संत, सन्यासी, नागा, पंडित, पुरोहित, पुजारी आदि” हैं ! जिसे हिंदू समाज “धर्म की रक्षा” के लिए पाल रहा है ! क्या यह संत समाज बस सिर्फ अपने आश्रमों का आकार बढ़ाने में और अपने भक्तों की संख्या बढ़ाने में ही लगे रहेंगे !

खबरदार, सावधान अगर इसी तरह निरंतर हिंदू समाज पर हमले होते रहेंगे तो वह दिन दूर नहीं जब न हिंदू समाज होगा और न ही हिन्दुस्तान होगा ! यह साधु संत आखिरकार किस अधिकार से हम गृहस्थों के पास “दान या सहयोग” मांगने के लिए आते हैं ! जब इन्हें रत्ती भर हिंदू धर्म की चिंता नहीं है ! यह धर्म की रक्षा का वादा करने वाले आखिर कब “हिंदुत्व के रक्षार्थ” एकजुट होकर संघर्ष करेंगे ?

मात्र मंदिरों में घंटी बजा लेने से, लाउडस्पीकर पर भजन गा लेने से या देवी-देवताओं को मन लुभावने श्रंगार कर देने से हिंदुओं का भला नहीं होने वाला ! सभी संसाधनों और सामर्थ के होते हुए भी यदि संत समाज हिंदुओं के रक्षार्थ एकमत होकर कोई निर्णय नहीं लेते तो इसका मतलब यह समझ लेना चाहिए कि अब यह संत समाज या तो स्वार्थी हो गया है या उसमें “धर्म की रक्षा” करने का कोई सामर्थ नहीं बचा है और ऐसे “मृतप्राय” समाज को अनावश्यक ढ़ोने से कोई लाभ नहीं !

और यदि “संत समाज” जाग्रत है तो आज भी हर गृहस्थ अपने पेट की रोटी और बच्चे का कपड़ा काटकर इस संत समाज के साथ हर “संघर्ष” के लिये खड़े हैं ! पर संत समाज को अपना “पलायनवादी” द्रष्टिकोण छोड़ना होगा ! गृहस्थ तो सदैव आपके मार्गदर्शन में अपना सर्वस्व निछावर करने के लिए आपके पीछे खड़ा है !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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