ईसाई धर्मान्तरण कैसे करते हैं !
ईसाई समाज की धूर्त खोपड़ी ने एक बड़ा सुनियोजित धीमा जहर घोला ! उन्होंने इतिहास में जितने भी कार्य हिन्दू समाज द्वारा जातिवाद को मिटाने के लिए किये गये ! उन सभी को छिपा दिया ! जैसे भक्ति आंदोलन के सभी संत कबीर, गुरु नानक, नामदेव, दादूदयाल, बसवा लिंगायत, रविदास आदि ने उस काल में प्रचलित धार्मिक अंधविश्वासों पर निष्पक्ष होकर अपने विचार कहे थे ! समग्र रूप से पढ़े तो हर समाज सुधारक का उद्देश्य समाज सुधार करना था !
जहाँ कबीर हिन्दू पंडितों के पाखंडों पर जमकर प्रहार करते है वहीं मुसलमानों के रोजे, नमाज़ और क़ुरबानी पर भी भारी भरकम प्रतिक्रिया करते है ! गुरु नानक जहाँ हिन्दू में प्रचलित अंधविश्वासों की समीक्षा करते है वहीँ इस्लामिक आक्रांता बाबर को साक्षात शैतान की उपमा देते है ! इतना ही नहीं सभी समाज सुधारक वेद, हिन्दू देवी-देवता, तीर्थ, ईश्वर आराधना, आस्तिकता, गोरक्षा सभी में अपना विश्वास और समर्थन प्रदर्शित करते हैं !
ईसाई मिशनरियों ने भक्ति आंदोलन पर शोध के नाम पर सुनियोजित षड़यंत्र किया ! एक ओर उन्होंने समाज सुधारकों द्वारा हिन्दू समाज में प्रचलित अंधविश्वासों को तो बढ़ा-चढ़ा कर प्रचारित किया ! वहीँ दूसरी ओर इस्लाम आदि पर उनके द्वारा कहे गये विचारों को छुपा दिया !
इससे दलितों को यह दिखाया गया कि जैसे भक्ति काल में संत समाज ब्राह्मणों का विरोध करता था और दलितों के हित की बात करता था वैसे ही आज ईसाई मिशनरी भी ब्राह्मणों के पाखंड का विरोध करती है और दलितों के हक की बात करती है !
कुल मिलकर यह सारी कवायद छवि निर्माण की है ! स्वयं को अच्छा एवं अन्य को बुरा दिखाने के पीछे ईसा मसीह के लिये मानवीय भेड़ों को एकत्र करना उनका एकमात्र उद्देश्य है !
ईसाई मिशनरी के इन प्रयासों में भक्ति काल में संतों के प्रयासों में एक बहुत महत्वपूर्ण अंतर है ! भक्ति काल के सभी संत हिन्दू समाज के महत्वपूर्ण अंग बनकर समाज में आई हुई बुराइयों को ठीक करने के लिए श्रम करते थे ! उनका हिंदुत्व की मुख्य विचारधारा से अलग होने का कोई उद्देश्य नहीं था !
जबकि वर्तमान में दलितों के लिये कल्याण की बात करने वाली ईसाई मिशनरी उन्हें भड़का कर आपस में लड़वाना चाहती है जिससे भारतीय संसाधनों पर उनका दीर्घ कालीन कब्ज़ा हो सके और हिन्दू समाज को खण्ड खण्ड में बंटा जा सके !
उनके इस षड्यंत्र में सबसे बड़े विरोधी ब्राह्मण हैं ! इसलिये दलितों के उत्थान के नाम पर अरबों रुपये विदेश से लाकर तथाकथित दलित विचारकों और नेताओं को देकर ब्राह्मणों के विरुद्ध एक राजनैतिक वातावरण बनाया जा रहा है !
आपने ध्यान दिया होगा कि जो भी धर्माचार्य या जिस धर्माचार्य के अनुयाई ईसाई धर्म स्वीकार नहीं करते हैं ! वह आज जेल के सलाखों के पीछे हैं ! चाहे वह राम रहीम हो या आसाराम बापू !
इनका अपराध क्या है यह किसी को नहीं मालूम बस सिर्फ ईसाइयों द्वारा संचालित मीडिया के माध्यम से इन्हें हत्यारा और बलात्कारी घोषित करके जेल में डाल रखा गया है और कोई भी विधिक प्रक्रिया नहीं की जा रही है !
भारतीय संतों को लेकर जन आक्रोश न फैले इसके लिये निरंतर हर 3 महीने से 6 महीने के अंतराल पर कुछ न कुछ इन जेल के अंदर रहने वाले संतों के विरोध में सोशल मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया पर कुछ न कुछ अनर्गल चर्चा कर दी जाती है ! जिससे की आम जनमानस का आक्रोश शांत रहे !!