वैष्णव लेखक कैसे-कैसे बच्चे पैदा कर सकते हैं : Yogesh Mishra

जैसा कि मैं जानता हूँ कि यह मैथुनिक सृष्टि है ! ईश्वर ने इस सृष्टि के संचालन के लिये, प्रत्येक योनि में नर और मादा दो प्रजाति विकसित की हैं ! जिनके मैथुन क्रिया से वंश वृद्धि होती है ! यही सृष्टि संचालन का ईश्वरीय विधान है !

लेकिन अपने देवताओं को महान सिद्ध करने के लिये वैष्णव लेखकों ने संतान उत्पत्ति की ऐसी-ऐसी विधाओं का वर्णन किया है, जो नितांत ही आव्यावहारिक तो हैं ही, साथ ही साथ अवैज्ञानिक भी हैं !

पर ताज्जुब की बात यह है कि यह सारे विधान मात्र वैष्णव धर्म ग्रंथों में ही मिलते हैं ! किसी भी आयुर्वेद के ग्रन्थों में नहीं मिलते हैं ! जब कि आयुर्वेद भी उन्हीं देवताओं के समकालीन ग्रन्थ हैं !

इसके अलावा आज तक कभी किसी वैष्णव भगत ने इन पद्धतियों के द्वारा संतान प्राप्ति करके विश्व और वैज्ञानिकों को अचंभित भी नहीं किया है !

जैसा कि वैष्णव कथा वाचकों द्वारा बतलाया गया कि हनुमान जी के पुत्र मकरध्वज की उत्पत्ति हनुमान के पसीने को एक मछली द्वारा पी लेने के उपरांत उस गर्भवती मछली से हुई थी ! जिसे रावण ने पाला था !

इसी तरह साक्षात भगवान श्री राम सहित चारों भाइयों की उत्पत्ति यज्ञ से प्राप्त खीर को खाने से हुई थी ! लेकिन उस खीर को बनाने की प्रक्रिया वैष्णव लेखकों ने इतनी गोपनीय रखी है कि आज तक वैज्ञानिक भी हजारों प्रयास के बाद उस खीर की सामग्री को नहीं ढूंढ पाये हैं !

इसी तरह से गीता प्रेस के श्री भागवत पुराण के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के उत्पत्ति उनके पिता वासुदेव के आंखों से गिरे आंसू से हुई थी, जो कि उनके गोद में लेटी हुयी माता देवकी के आंखों के मार्ग से उनके गर्भ तक पहुंच गया था !

कर्ण एवं पांचो पांडव की उत्पत्ति दुर्वासा ऋषि द्वारा बतलाये गये मंत्र के जप करने से कुंती तथा माद्री से अलग-अलग देवताओं से हुई थी, लेकिन वह मंत्र कौन सा था ! इसे आज तक किसी भी वैष्णव लेखक ने नहीं लिखा है !

कौरव और पांडव के आचार्य द्रोणाचार्य की उत्पत्ति एक दोने के अंदर महर्षि भरद्वाज का वीर्य गिर जाने से हुई थी ! पर वह दोना किस वृक्ष के पत्तों से बना था, जिसमें वीर्य गिर जाने से पुत्र की प्राप्ति हुई थी ! यह आज तक किसी भी वैष्णव लेखक ने नहीं बतलाया है !

इसी तरह राजा द्रुपद के छ: पुत्र और पुत्रीयों में से द्रौपदी और धृष्टद्युम्न की उत्पत्ति वैष्णव लेखकों द्वारा यज्ञ की अग्नि से हुई बतलाई जाती है ! मुझे आज तक समझ में नहीं आया जिस अग्नि में अनादि काल से शवों को जलाया जाता है ! उस अग्नि से जीवित संताने कैसे प्राप्त की जा सकती हैं !

इसी तरह कौरवों की उत्पत्ति वैष्णव कथावाचकों द्वारा घड़े के अंदर से बतलाई जाती है, लेकिन वह घड़ा किस मिटटी से किस तरह से निर्मित किया गया था ! यह आज तक गोपनीय है !

इसी तरह की वैष्णव धर्म ग्रंथों में सैकड़ों उदाहरण मिल जायेंगे ! जिसमें ईश्वर के बनाये गये मैथुनिक विधान के अलावा अन्य पध्दतियों से संतान प्राप्ति का वर्णन मिलता है ! लेकिन उसका कोई भी व्यावहारिक या वैज्ञानिक प्रमाण आज तक कोई भी वैष्णव लेखक या कथावाचक प्रस्तुत नहीं कर पाया है !

बल्कि आज स्वयं वैष्णव भक्त जिनको संतान प्राप्त नहीं हो रही है ! वह स्वयं वैज्ञानिक पध्यति से कृत्रिम गर्भाधान करवा रहे हैं किंतु उपरोक्त प्रक्रिया से किसी ने अभी तक संतान प्राप्ति नहीं की है ! न ही यह प्रमाणित किया है कि वैष्णव धर्म ग्रंथों में संतान प्राप्ति के वर्णित विधान पूरी तरह से वैज्ञानिक और प्रमाणित हैं !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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