मोसाद एजेंट एली कोहेन जिसने दुश्मन देश में रहकर सत्ता में गहरी पैठ बनाई और इजराइल को ऐसी खुफिया जानकारी दी कि इजराइल ने 6 दिनों में ही सीरिया, जॉर्डन और मिस्र तीनों को युद्ध में हरा दिया ! यह मोसाद का वही एजेंट था, जो जासूसी करते-करते दुश्मन देश में रक्षा मंत्री बनने वाला था !
वैसे एली कोहेन की मौत को आज 56 साल बीत चुके हैं ! फिर भी उन्हें 18 मई को 1965 को खुफिया जानकारी साझा करने के जुर्म में सीरिया के दमिश्क शहर में बीच चौराहे पर फांसी पर लटका दिया गया था ! जो वहां एक छोटी से एकाउंटेंट की नौकरी करता था !
एली का जन्म 1924 में मिस्र के एलेग्जेंड्रिया में एक यहूदी परिवार में हुआ था ! एली के पिता अलेप्पो से आकर यहां बसे थे ! साल 1949 में एली के माता-पिता और भाई इजराइल आ गयह, लेकिन एली मिस्र में अपनी पढ़ाई पूरी करने के लियह रुक गया !
जब मिस्र में स्वेज संकट आया, तो कई यहूदियों को वहां से बेदखल कर दिया गया, इनमें एली भी शामिल था ! साल 1957 में एली इजराइल में आकर बस गया ! इससे पहले उन्होंने इजराइल में जासूसी का एक कोर्स भी किया था ! इजराइल आने के दो साल बाद उन्होंने नादिया नामक लड़की से शादी कर ली !
उन्होंने इजराइल आने के बाद ट्रांसलेटर और एकाउंटेंट के रूप में काम करना पड़ा ! लेकिन उसने अरबी, अंग्रेजी और फारसी भाषा पर बेहतरीन पकड़ बना ली जिस कारण से इजराइल के खुफिया विभाग ने एली में दिलचस्पी दिखलाई और उसे अपना एजेन्ट बना लिया !
एली को 6 महीने की कड़ी ट्रेनिंग दी गई और उन्हें सीरिया भेजने का प्लान शुरू हो गया ! ट्रेनिंग के बाद एली के परिवार को बतलाया गया कि एली को रक्षा मंत्रालय के कुछ काम से विदेश भेजा जा रहा है !
साल 1961 में एली को इजराइल से अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स भेजा गया ! यहां रहकर उन्होंने एक सीरियाई मूल के कारोबारी के रूप में अपनी छवि विकसित की !
एली ने कामिल अमीन थाबेत बनकर अर्जेंटीना में रह रहे सीरियाई समुदाय के लोगों से संपर्क बनायह ! अर्जेंटीना में रहते हुये ही एली ने सीरियाई दूतावास में रह रहे सीरिया के कई बड़े अफसरों से दोस्ती करके उनका भरोसा जीत लिया !
इस दौरान एली ने सीरियाई मिलिट्री अटैच अमीन अल-हफीज का भरोसा जीतने में कामयाबी हासिल की ! यह वही अल-हफीज थे, जो आगे चलकर सीरिया के राष्ट्रपति बने !
साल 1963 में सीरिया में सत्ता परिवर्तन हुआ ! जिसकी अगुवाई अल-हफीज ही कर रहे थे और इस तरह एली की सीरिया में एंट्री हुई ! अर्जेंटीना में रहते हुये ही एली ने अपने सभी सीरियाई दोस्तों के मन में यह बात अच्छे से बैठा दी थी कि वह सीरिया में रहकर व्यापार करना चाहता है !
सीरिया में सत्ता बदलते ही अल-हफीज सीरिया के नये राष्ट्रपति बने ! इस सरकार में एली अल-हफीज के बेहद करीबी होने की वजह से बेहद अहम भूमिका निभा रहे थे !
एली ने बहुत कम समय में ही अल-हफीज का भरोसा जीत लिया था, इसीलिये अल-हफीज सीरिया से जुड़ी कई खुफिया जानकारी एली से साझा किया करते थे !
एली ने सीरिया में रहते हुये यह सारी जानकारी रेडियो ट्रांसमिशन के जरिये इजराइल पहुंचाना शुरू कर दिया !
खुफिया जानकारी लीक होने के कारण अल-हफीज को सीरिया में नाकामी का सामना करना पड़ रहा था ! अल-हफीज ने इस नाकामी से उबरने के लिये जिस आदमी पर भरोसा किया वह थे एली कोहेन !
अल-हफीज एली पर इस कदर भरोसा करते थे कि वह उन्हें सीरिया का रक्षा मंत्री का पद सौंपने जा रहे थे !
एली जो कि एक बेहतरीन खुफिया एजेंट थे, लेकिन उनकी सबसे बड़ी कमजोरी थी कि वह प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते थे ! मोसाद में एली को ट्रेनिंग देते समय यह कहा गया था कि उन्हें दिन में एक बार ही रेडियो ट्रांसमिशन के जरिये जानकारी साझा करनी है ! लेकिन एली अधिकतर दिन में दो या कभी कभी उससे अधिक बार रेडियो ट्रांसमिशन किया करते थे !
यह लापरवाही उनकी मौत का कारण बनी और वह रेडियो ट्रांसमिशन के जरिये जानकारी साझा करते हुये वह रंगे हाथों अल-हफीज के चीफ ऑफ स्टाफ के द्वारा पकडे गये क्योंकि उसे पहले से ही यह शक था कि कोई अंदर का आदमी ही खुफिया जानकारी इजराइल से साझा कर रहा है !
पकड़े जाने के बाद एली को सीरिया की राजधानी दमिश्क में जनता के सामने शहर के एक चौराहे पर फांसी पर लटका दिया गया ! फांसी दी जाने के दौरान उनके गले में एक बैनर भी डाला गया था, जिसमें लिखा था ‘सीरिया में मौजूद अरबी लोगों की ओर से !’
इजराइल ने एली को बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय अभियान तक चलाया था, लेकिन अल-हफीज ने अपनी नाकामी के गवाह एली को सबके सामने सबक सिखाने की ठान ली थी ! एली को फांसी पर लटकाये जाने के बाद उनका शव भी इजराइल को नहीं सौंपा ! कई सालों बाद साल 2018 में मोसाद ने अपने सबसे बेहतरीन एजेंट की घड़ी को ढूंढ निकाला ! इस घड़ी को उनकी पत्नी नादिया को सौंप दिया गया !
मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि भारत में बहुत सी अंतरराष्ट्रीय कंपनियां व्यापार कर रही हैं किंतु भारत में क रोना आने के पहले इन कंपनियों के मालिकों को कैसे पता लग गया था कि अब भारत में 3 साल तक क रोना के कारण अव्यवस्था ख़राब रहेगी जिस कारण इन कंपनी के मालिकों ने 3 साल के लिये अपने कर्मचारियों को वर्क एट होम का कॉन्ट्रैक्ट कर लिया !
इसके अलावा भारत से लगभग 15,000 से अधिक व्यवसायिक घराने के लोग क रोना के शुरू होने के पहले ही भारत छोड़कर विदेशों में चले गये और यह क्रम आज भी जारी है !
यह सभी बातें बतलाती है कि कहीं न कहीं हमारे तंत्र में भी कुछ ऐसे षड्यंत्रकारी लोग हैं जो विश्व सत्ता के प्रायोजित षड्यंत्र में भागीदार हैं ! वह व्यवसायिक, प्रशासनिक अधिकारी, राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता, धार्मिक हस्ती आदि कोई भी हो सकते हैं ! अगर हमें अपने राष्ट्र को बचाना है, तो हमें इनसे सावधान रहना पड़ेगा ! इनका सामाजिक बहिस्कार करना होगा और इनके लिये यथाशीघ्र उचित कार्यवाही करनी होगी !!