यहूदी तंत्र “कबाला” में लाल चन्द्र ग्रहण का महत्व : Yogesh Mishra

यहूदियों के भविष्य कथन की पुस्तक “तेलमुद” में भविष्य के विश्व सत्ता की रणनीति को लागू करने का वर्णन विस्तार से है ! जिसे हम नयी विश्व व्यवस्था या नयी विश्व सत्ता भी कह सकते हैं ! जो विशुद्ध तंत्र की ताकत और षडयंत्रों की शक्ति से स्थापित की जा रही है !

इसराइली तंत्र “कबाला” के द्वारा अदृश्य शक्तियों की मदद से और आदमी की सोच से आगे “कारण शरीर” की मदद से विश्व सत्ता कायम किये जाने की कोशिश पूरी शिद्दत से जारी की जा रही है ! लेकिन नयी विश्व व्यवस्था कैसी होगी इसमें क्या-क्या होगा ! यह एलेस्टर ट्रोली की पुस्तक “बुक आफ लॉ” में बतलाया गया है !

जब दो साल में चार पूर्ण चन्द्र ग्रहण आते हैं ! तब तब “कबाला” का तंत्र जागृत किया जाता है ! इसीलिये इसे गैर यहूदी खुनी चन्द्र ग्रहण कहते हैं ! यह तंत्र खास तौर से यहूदी त्यौहारों में होता है ! तभी इस तंत्र का प्रभाव सबसे अधिक होता है ! इससे सदैव यहूदी पूरी दुनिया में कोई न कोई नयी जमीन जरुर प्राप्त करते हैं ! पिछले 500 सालों में कई बार ऐसा हुआ है ! जिसके कुछ उदहारण बतलाता हूँ !

1492-93 दो साल में चार पूर्ण चन्द्र ग्रहण में इसी तंत्र कि मदद से उस समय इटली का यहूदी नाविक क्रिस्टोफर कोलंबस ने ने 3 अगस्त 1492 को स्पेन से अपने सफर की शुरुआत की थी ! 2 महीने से भी ज्यादा वक्त के सफर के बाद अमेरिका खोजा था ! फिर यहाँ पर यहूदी और ईसाईयों ने मिलकर यहाँ के मूल निवासी 6 करोड़ रेड इन्डियन को युद्ध और वायरस वार से मार कर वहां कब्जा कर लिया ! और आज विश्व की महाशक्ति बने बैठे हैं !

इसी तरह 14 मई 1948 ई. को पैलेस्टाइन से ब्रिटिश सत्ता के समाप्त होने पर इजरायल की स्थापना हुई और डेविड बेन गोरिया के नेतृत्व में यहूदी समुदाय ने इजराइल को राष्ट्र घोषित कर दिया ! तभी सिरिया, लीबिया तथा इराक ने इजराइल पर हमला कर दिया और 1948 में अरब – इजराइल युद्ध की शुरुआत हुयी और वर्ष 1949-50 में दो साल में चार पूर्ण चन्द्र ग्रहण में इसी तंत्र कि मदद से इजराइल ने अरब के खिलाफ़ इस युद्ध को जीता और लगभग एक वर्ष के बाद युद्ध विराम की घोषणा हुयी और जोर्डन तथा इस्राइल के बीच सीमा रेखा अवतरित हुयी ! जिसे ग्रीन लाईन (हरी रेखा) कहा गया ! इसी दौरान इजराइल ने 11 मई 1949 में सयुक्त राष्ट्र की मान्यता हासिल की !

इसी तरह 1967-68 अरब इसरायल जंग में इजरायल की आबादी मात्र 8 लाख थी और अरब की आबादी 8 करोड़ थी और अरब के साथ मिश्र, शाम, उर्दन, लेबिनन भी था ! फिर भी दो साल में चार पूर्ण चन्द्र ग्रहण में इसी तंत्र कि मदद से इजरायल ने इस युद्ध को जीता और गोलन हाइट अरब से छीन कर इजरायल ने कब्ज़ा कर लिया ! इस तरह 2000 साल बाद फिर अपनी पवित्र नगरी जेरूसलम पर कब्ज़ा कर लिया ! जहाँ कभी यहूदियों का परम पवित्र सोलोमन मन्दिर हुआ करता था ! जिसे रोमनों ने नष्ट कर दिया था ! इस तरह फिर अपनी पुरानी “तंत्र पीठ” “वेलिंग वाल” मिलाने से यहूदी तंत्र में और ताकतवर हो गये !

2014-15 फिर भी दो साल में चार पूर्ण चन्द्र ग्रहण में इसी तंत्र कि मदद से इजरायल ने इस बार इसका लाभ युद्ध के लिये नहीं बल्कि बल्कि आर्थिक समृद्धि के लिये किया ! क्योंकि अबकी बार पूर्ण चन्द्र ग्रहणके समय यहूदी त्यौहार भी थे ! 08 अक्तूबर 2014 को “यदिश” और 4 अप्रेल 2015 को “सोकोत” त्यौहार थे ! जिसमें इस तंत्र की मदद से इज़राइल ने अपना आर्थिक विकास किया !

इस समय इज़राइल ने आर्थिक और औद्योगिक विकास में दक्षिण पश्चिम एशिया और मध्य पूर्व में सबसे उन्नत किस्म का आर्थिक विकास किया ! आज दुनिया की निगाह में इज़राइल की अत्याधुनिक विश्वविद्यालय और गुणवत्ता शिक्षा, देश की उच्च प्रौद्योगिकी उछाल और तेजी से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला ! सीमित प्राकृतिक संसाधनों के बावजूद, पिछले दशकों में कृषि और औद्योगिक क्षेत्रों के गहन विकास ने अनाज और बीफ के अलावा, इजरायल को खाद्य उत्पादन में काफी हद तक आत्मनिर्भर बना दिया है !

2016 में कुल 57.9 बिलियन अमरीकी डालर का आयात किया गया था, जिसमें कच्चे माल, सैन्य उपकरण, निवेश सामान, कच्चे हीरे, ईंधन, अनाज और उपभोक्ता सामान शामिल हैं ! 2016 में, इजरायल का निर्यात 51.61 अरब डॉलर तक पहुंच गया ! प्रमुख निर्यात में, मशीनरी और उपकरण, सॉफ्टवेयर, कटे हीरे, कृषि उत्पादों, रसायन और वस्त्र और परिधान शामिल हैं !

पर इस सब के पीछे इज़राइल की दूरदर्शिता, आपसी विश्वास, सहयोग, राष्ट्रप्रेम के साथ-साथ ईश्वर में आस्था और दिव्य शक्तियों का तांत्रिक सहयोग भी है ! तभी आज इज़राइल विश्व में वह महाशक्ति है जो विश्व सत्ता में भागीदारी का दावा करता है ! इससे हमें प्रेरणा लेनी चाहिये !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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