औद्योगिक क्रान्ति ही विश्व के सर्वनाश का कारण है ! : Yogesh Mishra

भारत को लूटने के बाद ब्रिटेन और बाद में यूरोप में वर्ष 1780 से 1820 के बीच हुये प्रचंड औद्योगिक प्रगति के फलस्वरूप सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक तथा वैचारिक क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुये ! इसका प्रभाव इंग्लैण्ड तक ही सिमित नहीं रहकर यूरोप के अन्य देशों पर भी पड़ा ! इस तरह विश्व में एक नये युग का प्राम्भ हुआ और वर्ष 1882 ई. में अर्नाल्ड टायनबी ने इसे ‘औद्योगिक क्रान्ति’ की संज्ञा दी गई !

इस युग में जल तथा वाष्प के इंजन की शक्ति से चलित यंत्रों का आविष्कार हुआ जिसके कारण कारखानों की स्थापना होने लगी ! कारखानों का निर्माण होने के कारण वस्तु -निर्माण का घरेलू तरीका शिथिल और कमजोर हो गया ! इन कारखानों में मजदूरों को मजदूरी पर रखा जाता था !

कारखानों की स्थापना और मजदूरों की बहुलता के कारण नये नये नगर बसने लगे ! गाँव और शहरों से लोग पैसे कमाने के लिए शहरों के कारखानों में मजदूरी करने आने लगे ! अधिक संख्या में कारखाने और मजदूरों की अधिक संख्यां के कारण खपत योग्य वस्तुओं का बड़े पैमाने पर उत्पादन होने लगा !

अधिकाधिक वस्तुओं के उत्पादन के कारण उत्पादित वस्तुओं को एक स्थान से दुसरे स्थान पर ले जाने के लिए यातायात के नये और तेज गति वाले साधनों का विकास हुआ ! इस औद्योगिक क्रान्ति का प्रभाव व्यापक था और सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक सभी क्षेत्रों में औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप दूरगामी परिवर्तन हुये ! 19वी शताब्दी में यह पूरे पश्चिमी यूरोप और उत्तरी अमेरिका में फैल गयी !

औद्योगिक क्रांति का मानव समाज पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा ! मानव समाज के इतिहास में दो प्रसिद्ध क्रांतियां हुई जिन्होंने मानव इतिहास को सर्वाधिक प्रभावित किया ! एक क्रांति उस समय हुई जब उत्तर पाषाण युग में मानव ने शिकार छोड़कर पशुपालन एवं कृषि का पेशा अपनाया तो दूसरी क्रांति वह है जब आधुनिक युग में कृषि छोड़कर व्यवसाय को प्रधानता दी गई !

इस औद्योगिक क्रांति से उत्पादन पद्धति गहरे रूप से प्रभावित हुई ! श्रम के क्षेत्र में मानव का स्थान मशीन ने ले लिया ! उत्पादन में मात्रात्मक व गुणात्मक परिवर्तन आया ! धन सम्पदा में भारी वृद्धि हुई ! अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भी बढ़ा ! औपनिवेशिक साम्राज्यवाद का विस्तार भी औद्योगिक क्रांति का परिणाम था एवं नये वर्गों का उदय हुआ !

उत्पादन में असाधारण वृद्धि: कारखानों में वस्तुओं का उत्पादन शीघ्र एवं अधिक कुशलता से भारी मात्रा में होने लगा ! इन औद्योगिक उत्पादों को आंतरिक और विदेशी बाजारों में पहुंचाने के लिए व्यापारिक गतिविधियां तेज हुई जिससे औद्योगिक देश धनी बनने लगे ! इंग्लैंड की अर्थव्यवस्था उद्योग प्रधान हो गई ! वहां औद्योगिक पूंजीवाद का जन्म हुआ ! औद्योगिक एवं व्यापारिक निगमों का विस्तार हुआ ! इन निमगों ने अपना विस्तार करने के लिए अपनी पूंजी की प्रतिभूतियां बेचना आरंभ किया ! इस तरह उत्पादन की असाधारण वृद्धि ने एक नई आर्थिक पद्धति को जन्म दिया !

बदलते आर्थिक परिदृश्य के कारण गांवों के कुटीर उद्योगों का पतन हुआ ! फलतः रोजगार का तलाश में लोग शहरों की ओर भागने लगे क्योंकि अब बड़े-बड़े उद्योग जहां स्थापित हुये थे, वहीं रोजगार की संभावनाएं थी ! स्वाभाविक तौर पर शहरीकरण की प्रक्रिया तीव्र हो गई ! नये शहर अधिकतर उन औद्योगिक केन्द्रों के आप-पास विकसित हुये जो लोहे कोयले और पानी की व्यापक उपलब्धता वाले स्थानों के निकट थे ! नगरों का उदय व्यापारिक केन्द्र के रूप में, उत्पादन केन्द्र, बंदरगाह नगरों के रूप में हुआ ! शहरीकरण की प्रक्रिया केवल इंग्लैंड तक सीमित नहीं रही बल्कि फ्रांस, जर्मनी, आस्ट्रिया, इटली आदि में भी विस्तारित हुई ! इस तरह शहर अर्थव्यवस्था के आधार बनने लगे !

औद्योगिक क्रांति से आर्थिक असंतुलन राष्ट्रीय समस्या के रूप में सामने आया ! विकसित और पिछड़े देशों के मध्य आर्थिक असमानता की खाई गहरी होती चली गई ! औद्योगीकृत राष्ट्र अविकसित राष्ट्रों का खुलकर शोषण करने लगे ! आर्थिक साम्राज्यवाद का युग आरंभ हुआ ! इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर औपनिवेशिक साम्राज्यवादी व्यवस्था मजबूत हुई ! औद्योगिक क्रांति के बाद राष्ट्रों की आपसी निर्भरता बहुत अधिक बढ़ गई जिससे एक देश में घटने वाली घटना दूसरे देश को सीधे प्रभावित करने लगी ! फलतः अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक तेजी एवं मंदी का युग आरंभ हुआ !

औद्योगिक क्रांति ने संपूर्ण आर्थिक परिदृश्य को बदल दिया ! उद्योग एवं व्यापार में बैंक एवं मुद्रा की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई ! बैंकों के माध्यम से लेन-देन सुगम हुआ, चेक और ड्राफ्ट का प्रयोग बढ़ गया ! मुद्रा के क्षेत्र में भी विकास हुआ ! धातु के स्थान पर कागजी मुद्रा का प्रचलन हुआ !

औद्योगिक क्रांति का नकारात्मक परिणाम था कुटीर उद्योगों का विनाश ! किन्तु यहाँ समझने की बात यह है कि यह नकरात्मक परिणाम औद्योगिक देशों पर नहीं बल्कि औपनिवेशिक देशों पर पड़ा ! दरअसल औद्योगिक देशों में कुटरी उद्योगों के विनाश से बेरोजगार हुये लोगों को नवीन उद्योगों के रूप में एक विकल्प प्राप्त हो गया ! जबकि उपनिवेशों में इस वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था नहीं हो पाई ! भारत के संदर्भ में इसे समझा जा सकता है !

औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप संरक्षणवाद के स्थान पर मुक्त व्यापार की नीति अपनाई गई ! 1813 के चार्टर ऐक्ट के तहत इंग्लैंड ने EIC के व्यापारिक एकाधिकार को समाप्त कर मुक्त व्यापार की नीति को बढ़ावा दिया !

औद्योगिक क्रांति ने जनसंख्या वृद्धि को संभव बनाया ! वस्तुतः कृषि क्षेत्र में तकनीकी प्रयोग ने खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाकर भोजन आवश्यकता की पूर्ति की ! दूसरी तरफ यातायात के उन्नत साधनों के माध्यम से मांग के क्षेत्रों में खाद्यान्न उत्पादन बढ़कार भोजन आवश्यकता की पूर्ति की ! दूसरी तरफ यातायात के उन्नत साधनों के माध्यम से मांग के क्षेत्रों में खाद्यान्न की पूर्ति करना संभव हुआ ! बेहतर पोषण एवं विकसित स्वास्थ्य एवं औषधि विज्ञान के कारण नवजात शिशु एवं जीवन की औसत आयु में वृद्धि हुई ! फलतः मृत्यु दर में कमी आई !

औद्योकिग क्रांति ने मुख्य रूप से तीन नये वर्गों का जन्म दिया ! प्रथम पूंजीवादी वर्ग, जिसमें व्यापारी और पूंजीपति सम्मिलित थे ! द्वितीय मध्यम वर्ग, कारखानों के निरीक्षक, दलाल, ठेकेदार, इंजीनियर, वैज्ञानिक आदि शामिल थे ! तीसरा श्रमिक वर्ग जो अपने श्रम और कौशल से उत्पादन करते थे !

परम्परागत, भावानात्मक मानवीय संबंधों का स्थान आर्थिक संबंधों ने ले लिया ! जिन श्रमिकों के बल पर उद्योगपति समृद्ध हो रहे थे उनसे मालिन न तो परिचित था और न ही परिचित होना चाहता था ! उद्योगों में प्रयुक्त होने वाली मशीन और तकनीकी ने मानव को भी मशीन का एक हिस्सा बना दिया !

नये औद्योगिक समाज में नैतिक मूल्यों में गिरावट आई ! भौतिक प्रगति से शराब और जुए का प्रचार बढ़ा ! अधिक समय तक काम करने के बाद थकावट मिटाने के लिए श्रमिकों में नशे का चलन बढ़ा ! इतना ही नहीं औद्योगिक केन्द्रों पर वेश्यावृति फैलने लगी ! उपभोक्तावादी प्रवृत्ति बढ़ने से भ्रष्टाचार एवं अपराधों को बढ़ावा मिला !

शहरों में जनसंख्या के अत्यधिक वृद्धि के कारण निचले तबके को आवास, भोजन, पेयजल आदि का अभाव भुगतान पड़ता था ! अत्यधिक जनसंख्या के कारण औद्योगिक केन्द्रों के आस-पास कच्ची बस्तियों का विस्तार होने लगा जहां गंदगी रहती थी !

औद्योगिक क्रांति से पुराने रहन-सहन के तरीकों, वेश-भूषा, रीति-रिवाज, कला-साहित्य, मनोरंजन के साधनों में परिवर्तन हुआ ! परम्परागत शिक्षा पद्धति के स्थान पर रोजगारपरक तकनीकी एवं प्रबन्धकीय शिक्षा का विकास हुआ !

बाल-श्रम: औद्योगिक क्रांति ने बाल-श्रम को बढ़ावा दिया और बच्चों से उनका “बचपन” छीन लिया ! इस समस्या से आज सारा विश्व जूझ रहा है !

औद्योगिक क्रांति ने कामगारों की आवश्यकता को जन्म दिया जो केवल पुरूषों से पूरा नहीं हो पा रहा था ! अतः स्त्री की भागीदारी कामगार वर्ग में हुई ! अब स्त्रियों की ओर से भी अधिकारों की मांगे उठने लगी, उनमें चेतना जागृत हुई ! जिससे परिवार बिखरने लगे ! स्त्रियों को बाहरी दुनिया और स्वतंत्रता में अधिक आनंद आने लगा !

इसी तरह के और भी सैकड़ों दोष हैं जो औद्योगिक करण के कारण समाज में आये हैं और इनका एकमात्र रास्ता यही है कि वापस हमें फिर उद्योग के विकेंद्रीकरण की तरफ जाना पड़ेगा ! यदि हम और यौगिक विकेंद्रीकरण की तरफ नहीं गये तो वह दिन दूर नहीं ! जब प्रदूषण आर्थिक मंदी और सामाजिक विकृति के कारण पूरा का पूरा विश्व नष्ट हो जायेगा ! यह बात अलग है कि कुछ लोग जल्दी नष्ट होंगे और कुछ लोगों को नष्ट होने में थोड़ा समय लगेगा ! लेकिन इस औद्योगीकरण का अंतिम परिणाम सर्वनाश ही है !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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