हिटलर की हस्तरेखा का रोचक विश्लेषण : Yogesh Mishra

हिटलर के हाथ की छाप बर्लिन में लिया गया था ! उनके हाथ का विश्लेषण करते हुये मैंने हस्तरेखा के बिंदुओं पर विश्लेषण करके निम्नलिखित निष्कर्ष निकला है !

एडॉल्फ हिटलर के सीधे हाथ में भाग्य रेखा मणिबंध से प्रारम्भ होती है ! असाधारण, स्पष्ट और लगभग सीधी और बिना कटी फ़टी भाग्य रेखा जो शनि पर्वत और शनि ऊँगली के प्रारम्भिक भाग तक पहुँची है और जिसका प्रारम्भ और अंत में स्पष्ट क्रास से हुआ है ! यह चिन्ह निम्न से उच्चतम और ऐतिहासिक प्रसिद्धि को देती भाग्य रेखा होती है !

इसके प्रारम्भ में क्रॉस और अंत में न्याय के देवता शनि के पर्वत पर क्रॉस से होना यह बतलाता है कि यह व्यक्ति ईश्वर के निर्देश पर विश्व को न्याय दिलाने के लिये अनगिनत हिंसक युद्ध में अनगिनत लोगो की मृत्यु का कारण बनेगा !

साथ ही जीवन रेखा और मस्तक रेखा का प्रारम्भिक अवस्था में मिलना व्यक्ति को तानाशाह नहीं बल्कि एक त्यागी, दयालू, शाकाहारी, धर्म को मानाने वाला और अध्ययनशील व्यक्ति बतलाता है ! यह रेखाओं का मिलन व्यक्ति के भावुक, रूढ़िवादी, परम्परावादी, राष्टवादी और समाजवादी मन्यताओं का मानने वाला बतलाती है और फिर ऐसा व्यक्ति कट्टरवादी और नये योजनाबद्ध तरीके से काम करने को प्रेरित करता है ! ऐसे व्यक्ति की आयु लम्बी होती है किन्तु विशेष परिस्थिति में स्वयं की हत्या या आत्महत्या की सूचना देकर गायब हो जाता है ! जैसे नेता जी सुभाषचंद्र बोष के हाँथ में भी यही स्थिती थी !

कहने को तो हिटलर ने 30 अप्रैल 1945 को बर्लिन में एक बंकर के अंदर खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर लेने से हुई थी ! किन्तु ब्रिटेन के ख़ुफ़िया विभाग के अनुसार हिटलर का जर्मनी की ख़ुफ़िया पुलिस ने उसे नकली पासपोर्ट बना कर दिया था ! जिससे वह कई सालों तक अर्जेंटीना में हर्मन गुन्थेनबेर्ग के नाम से रहा रहा था ! जो उसके लम्बी आयु का प्रमाण है !

उसके ह्रदय रेखा की स्थिति सही है ! यह ह्रदय रेखा शनि पर्वत तक और उसकी एक शाखा सूर्य पर्वत तक जाती है ! ऐसा व्यक्ति न्याय प्रिय, संवेदनशील और युगों तक प्रसिद्धि पाने वाला होता है ! ह्रदय रेखा का अंत तीन चार रेखाओं से गुरु पर्वत की और हो रहा है ! यह योग प्रबल उन्नतिकारक और अपनी योजना और चिंतन में उच्चादर्श राष्टवादी ह्रदय को दर्शाता है और गुरु पर्वत पर भी वर्गाकार चिन्ह है और उससे गुजरती एक गुरु रेखा शनि पर्वत पर जा रही है ! यह व्यक्ति को अति महत्वाकांक्षी बनाती है !

मस्तक रेखा सुदृढ़ है और बाहरी मंगल पर्वत को स्पर्श करते हुये अपने अंत में एक स्पष्ट दीप से समाप्त हुयी है। यह चिन्ह व्यक्ति की सारी महत्वकांक्षी विकास योजना का अंत उस व्यक्ति के और उसके सहयोगी व्यक्तियों के गलत निर्णय के कारण समाज और राष्ट्र के हानि का सूचक है ! जीवन रेखा का अंत भी क्रॉस से हुआ है ! यह भी अन्त में असफलता का सूचक है !

बुध पर्वत पर तीन खड़ी बड़ी और अच्छी रेखाएं व्यक्ति के व्यवहारिक बुद्धि और उच्च सहयोगी का सूचक है ! सभी उँगलियों पर अनेकों खड़ी मित्र व् सहयोगी रेखायें भरी पड़ी हैं ! यह बड़ा भारी जन समर्थन देती है ! तर्जनी व अनामिका ऊँगली समान व सीधी है और शनि ऊँगली अधिक बड़ी और सीधी है ! यह प्रबल महत्त्वकांक्षी और राजनीति में व्यक्ति को सफल होना बनाती है !

अंगूठे के पास स्थित मंगल पर भी अद्रश्य स्टार है ! जिससे एक बारीक़ रेखा सूर्य पर्वत के स्टार में जाकर मिल रही है और सूर्य रेखा गहरी होने से छाप में नहीं आई है ! पर अपना प्रबल प्रभाव बता रही है कि व्यक्ति के कालजयी प्रसिद्धि का योग है ! बुध पर्वत के बाहरी किनारे से अति दो रेखा में से एक वहीं रुक गयी है और दूसरी एक रेखा आगे बढ़कर जो वहाँ खड़ी तीनों रेखाओं को काट कुछ नीचे को गिर गयी है ! यह रेखा प्रेम रेखा है ! जो प्रेम सम्बन्धों की गंभीरता बतलाती है ! पर संतान सुख नहीं देती है और इस प्रेम का अंत भी दुखद होता है !

शुक्र पर्वत अनेक रेखाओं के जाल से भरा है ! जो सभी सुखों के होने का सूचक तो है पर वह व्यक्ति उस सुख को भोग नहीं पता है ! किसी भी रिश्ते और प्रेम को वह सदा के लिये नहीं पा पाता है ! यहां मूल रेखा भाग्य और मस्तक और जीवन रेखा अंत और प्रारम्भ क्रास और दीप से हुआ है ! जो उस व्यक्ति के साथ उसकी योजना और विचारधारा पर चलने वालों का अंत भयावह और विध्वंश से होता है ! यह सूचना देता है ! पर यश कालजयी और शत्रु को भयभीत करने वाला होता है !

अत: स्पष्ट है कि हिटलर न्याय प्रिय, भय और पक्षपात से रहित साहसी, योजनाकार, संवेदनशील और शत्रुओं को दंड देने में संकोच न करने वाला, विश्वसनीय और अपने आश्रितों की मदद करने वाला, दयावान व्यक्ति था ! हाथ की रेखाओं के अनुसार इसकी आयु कम से कम 95 वर्ष के आसपास होनी चाहिये !

जिससे यह स्पष्ट होता है कि हिटलर की मौत जर्मन के बंकर में नहीं हुई थी ! बल्कि यह शत्रुओं को धोखा देकर जर्मन से बाहर निकल गया था और एक लंबी आयु तक इसने गुमनामी में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तरह जीवन यापन किया था !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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