भगवान राम और कृष्ण के अस्तित्व को न मानने वाले बौद्ध धर्मी पहले यह सिद्ध करें कि क्या वास्तव में बौद्ध धर्म जैसा कोई धर्म कभी था ! जिस के संस्थापक कोई गौतम बुद्ध जैसा व्यक्ति हुआ करता था !
क्योंकि आज तक गौतम बुद्ध के रूप में दो अलग-अलग काल खण्ड में दो अलग-अलग गौतम बुद्ध के होने का इतिहास मिलता है ! कहीं-कहीं तो सात गौतम बुद्धों का भी वर्णन आता है और कहीं-कहीं तो गौतम बुद्धों की संख्या 14 तक बतलाई गई है !
और इससे अधिक ताज्जुब की बात यह है कि आज तक इस पृथ्वी पर कोई भी ऐसा प्रमाणिक साहित्य नहीं मिला है कि जिसे गौतम बुद्ध ने उपदेश के रूप में स्वयं लिखा या बोला हो !
बौद्ध धर्म के नाम पर आज जो भी प्रचारित प्रसारित हो रहा है, वह आनंद नाम के व्यक्ति द्वारा संग्रहित किया गया तथाकथित बौद्ध उपदेश संकलन है ! लेकिन यह संकलन उन्होंने कहां से संगृहीत किया है ! इसका कोई भी प्रमाण नहीं मिलता है !
इसके अलावा तथाकथित बौद्ध धर्म के महायान वर्ग के अनुयायियों द्वारा बौद्ध धर्म के विस्तार के लिए लिखा गया दर्शन उपलब्ध है ! जिसे बौद्ध धर्म को मानने वाले गौतम बुद्ध का संदेश कहकर प्रचारित प्रसारित करते हैं ! इस महायान वर्ग में भी ज्यादातर विचारक धर्मान्तरण के पूर्व के ब्राहमण ही हैं ! जो आज बौद्ध धर्म को चला रहे हैं !
भारत में आने वाले तीन बड़े चीनी यात्रीयों फाहियान, ह्वेन त्सांग और इत्सिंग में से किसी को भी कभी भी कोई भी बौद्ध साहित्य मूल रूप में प्राप्त नहीं हुआ है !
यह सब एक आनंद नाम के व्यक्ति का खुराफात था, जो एक व्यापारी था ! जिसने पश्चिम के ग्रीक आक्रांताओं के साथ मिलकर भारत को गुलाम बनवाने के लिए यह षड्यंत्र रचा था ! जिस षड्यंत्र को सफल बनाने में दासी पुत्र सम्राट अशोक जिन्होंने सत्ता पाने के लिए अपने राजघराने के 99 भाइयों की हत्या कर दी थी ! वह अपने साम्राज्य विस्तार के लिये इनका सबसे बड़ा सहायक था !
अशोक के सहयोग से बौद्ध धर्म अस्तित्व में आया और धीरे-धीरे अशोक के बाद कालांतर में बौद्धों के झांसे में बहुत से भारत के भारत के बड़े-बड़े क्षत्रिय और शूद्र राजघराने आ गये ! जो अपनी अय्याशी के लिये राजाओं पर धर्म अर्थात ब्राह्मणों का नियंत्रण नहीं चाहते थे ! उन्होंने बौद्ध धर्म को आगे बढ़ाया !
जिससे भारतीय सनातन मठ मंदिरों पर क्षत्रिय और शूद्र राजाओं के सहयोग से बौद्ध धर्म आचार्यों का कब्जा हो गया !
और कई जगह तो बड़े-बड़े तीर्थ स्थलों पर मंदिरों के देवी देवताओं की मूर्तियों को सैकड़ों वर्ष तक ब्राह्मणों की कई पीढ़ियों द्वारा छुपा कर रखना पड़ा, जिससे कि बौद्ध अनुयाई उन विग्रहों को नष्ट न कर दें !
बौद्ध धर्मियों का आतंक यहां तक था कि यदि कोई व्यक्ति बौद्ध भिक्षुओं को दान नहीं देता था तो राजा से कहकर उस व्यक्ति को दंडित करवाया जाता था अर्थात उसके घर की बहू बेटी से जबरदस्ती बौद्ध अनुयायियों का विवाह करा दिया जाता था या उसकी घर संपत्ति हड़प ली जाती थी !
और यदि कोई व्यक्ति बौद्ध भिक्षु को दान दे देता था, तो सार्वजनिक रूप से यह घोषणा कर दिया जाता था कि इस व्यक्ति ने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया है ! अतः उसे अब अपने घर के बहू बेटियों का संबंध बौद्ध अनुयायियों में ही करना पड़ेगा ! इस तरह छल और प्रपंच के द्वारा बौद्ध धर्म का विस्तार पूरे एशिया में हुआ !
और बहुत से तथाकथित अहिंसावादी बौद्ध धर्मी लोगों ने तो सनातन धर्मी ब्राह्मणों की बहू बेटियों को बलपूर्वक खेत, खलिहान और घरों से उठाकर अपने बौद्ध विहारों में ले जाकर उनके साथ बलात्कार कर उनकी हत्या कर दी ! जिससे बौद्धों को लेकर समाज में एक बहुत बड़ा असंतोष फैल गया !
जिसका विरोध कालांतर में आदि गुरु शंकराचार्य, मंडन मिश्र तथा कुमारिल भट्ट के नेतृत्व में ब्राह्मणों ने आम समाज को जोड़ कर भारत की रक्षा के लिए किया ! जिस वजह से आज तक बौद्ध ब्राह्मणों का विरोध करते चले आ रहे हैं !
बौद्धों का सनातन धर्मियों पर यह आक्रमण लगभग 500 वर्ष तक चलता रहा ! इसके बाद आदि गुरु शंकराचार्य ने भारत में चार कोनों में चार पीठ की स्थापना की और उसके मध्य से कपोल कल्पित बौद्ध धर्म को उखाड़ फेंका और सत्य सनातन हिंदू धर्म की पुनः स्थापना की !!
विशेष : यदि आपको यह शोध परक लेख अच्छा लगा हो तो मैं अपने अगले लेख में यह बतलाऊंगा कि बौद्ध धर्म ने अपना काल्पनिक धर्म कहाँ से चोरी किया है !