विश्व की कई संस्कृतियों के मिट जाने के बाद भी सत्य सनातन धर्म आज भी अपनी संस्कृति के साथ इस धरातल पर जीवित है ! इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि समय-समय पर सनातन धर्म को शुद्ध विकसित और परिष्कृत करने के लिए अनेक संतों का पृथ्वी पर आगमन हुआ है !
जिन्होंने इस पृथ्वी पर ऐसे सैकड़ों आंदोलन चलाए हैं ! जिससे भटके हुए धर्म को सही दिशा मिली है और मानवता का कल्याण हुआ है !
इस प्रतिस्पर्धात्मक विश्व जहां हर व्यक्ति साम्राज्यवादी सोच रखने के साथ दूसरे के अधिकार का हनन करने के लिए उत्सुक है ! वहां सनातन ज्ञान पीठ भी इसी दिशा में कार्य कर रहा है !
सनातन ज्ञान पीठ के संस्थापक श्री योगेश कुमार मिश्र जी का यह विचार है कि यदि मनुष्य भगवान शिव द्वारा दिखलाए गए शैव जीवन शैली को पुन: अपनाता है तो इस विश्व में आज जो भी समस्या मानवता के सामने उठ खड़ी हुई है उन सभी का समाधान किया जाना संभव है !
इस संदर्भ में श्री योगेश कुमार मिश्र ने 300 से अधिक वक्तव्य दिए हैं जो उनके यूट्यूब पर उपलब्ध हैं तथा 2,000 से अधिक लेख लिखे हैं जो उनकी वेबसाइट पर मौजूद हैं !
उनका कहना है कि शैवत्व एक आंदोलन है ! मनुष्य को यह मार्ग भगवान शिव द्वारा दिखलाया गया है ! यह मार्ग हमें शांति पूर्णता और मुक्ति की ओर ले जाता है ! इसी मार्ग से व्यक्ति का समग्र विकास होता है !
शैव जीवन शैली में न तो कोई जाति पाता है, न ही शास्त्रों को लेकर कोई विवाद है और यहाँ न ही कोई संप्रदाय है और न ही कोई आर्थिक असमानता है !
प्रकृति के सभी संसाधनों पर प्रत्येक जीव का समान अधिकार है ! यहां किसी भी व्यक्ति को किसी प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों पर एकाधिकार करने का कोई अधिकार नहीं है !
यहाँ न कोई नगरीय व्यवस्था है, न कोई देश है, न ही कोई स्वामी है और न ही कोई दास है ! यहाँ न कोई भयभीत करने वाला ईश्वर है और न ही कोई डरा हुआ इंसान है !
यहाँ सभी समान हैं, ईश्वर की यही कल्पना ही मनुष्य को हजारों साल से इस पृथ्वी पर बिना किसी संघर्ष के जीवित बनाये रखे हुये है !
किंतु वैष्णव आक्रान्ताओं के आगमन के साथ ही जाति व्यवस्था, वर्ण व्यवस्था, नगरीय व्यवस्था आदि ने मनुष्य को मनुष्य का शत्रु बना दिया और संपूर्ण मानवता को खतरे में ढकेल दिया ! जिसे आज दूसरे शब्दों में पूंजीवाद के नाम से भी जाना जा सकता है !
जिस तरह पूंजीवाद ने मनुष्य को मनुष्य का गुलाम बना दिया ! मनुष्य की हवस अधिक से अधिक बढ़ गयी कि वह प्राकृतिक संसाधनों पर भी कानून बना कर नियंत्रण कर लेना चाहता है और अपने निजी भोग विलास के लिए आज मनुष्य ने दूसरे मनुष्य के अधिकारों को खत्म करना शुरू कर दिया ! जिससे संरक्षण प्राप्त करने की इच्छा से आज करोड़ों मुकदमे विभिन्न न्यायालयों में लंबित हैं !
यही साम्राज्यवादी वैष्णव जीवनशैली के लक्षण हैं ! इसी विचारधारा के विस्तार के लिए वैष्णव लोगों ने पूरी दुनिया में आज तक 14 महायुद्ध किये हैं ! जिसमें करोड़ों की संख्या में शैव जीवन शैली का अनुगमन करने वाले मनुष्यों की हत्या की गयी है ! यह सर्वथा मानवता पर भद्दा कलंक है !
अतः मेरा अनुरोध है कि यदि मानवता को बचाना है और उसे पुनः विकसित करना है तो हमें भगवान शिव के द्वारा दिखाए गए शैव जीवन शैली के मार्ग को पुनः अपनाना पड़ेगा ! जिसे योग की भाषा में सहज योग और दुनिया की निगाह में प्राकृतिक जीवन शैली भी कहते हैं !
अत: आप सभी साथियों से मेरा अनुरोध है कि मानवता की रक्षा के लिए भगवान शिव के दिखाए गए मार्ग पर चलिए ! जिससे मानवता को पुनः विकास के मार्ग पर आगे बढ़ाया जा सके !
इस संदर्भ में सनातन ज्ञान पीठ ने सैकड़ों शोध कार्य किए हैं और यह निष्कर्ष निकाला है कि भगवान शिव का मार्ग ही मनुष्य को इस पृथ्वी पर लंबे समय तक जीवित बनाये रख सकता है ! शेष अन्य सभी प्रतिस्पर्धात्मक मार्ग मानवता को नष्ट कर रहे हैं !
इसलिए आप भी भगवान शिव के दिखाए हुए मार्ग पर चलिए और मानवता की रक्षा करिए ! यही ईश्वर का श्रेष्ठ कार्य है ! इसके लिये सनातन ज्ञान पीठ पहले से ही सक्रीय कार्य कर रहा है !!
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