जानिए । मांग मे सिंदूर क्यों भरा जाता है । Yogesh Mishra

सिंदूर भरना

विवाह के समय वर द्वारा वधू की मांग में सिंदूर भरने का संस्कार ‘सुमंगली क्रिया’ कहलाती है।

इसके बाद विवाहित स्त्री अपने पति की दीर्घायु की कामना करते हुए आजीवन मांग में सिंदूर भरती है।

हिंदू धर्म की परंपरा के अनुसार मांग में सिंदूर भरना सुहागिन होने का प्रतीक है।

मांग में सिंदूर भरने से स्त्री के सौन्दर्य में वृद्धि भी होती है, इसीलिए यह नारी श्रृंगार का भी महत्वपूर्ण अंग है। इसके अलावा सिंदूर मंगल-सूचक भी है।

शरीर विज्ञान के अनुसार मांग में जहां सिंदूर भरा जाता है,

वह स्थान ब्रह्मरंध्र और अध्मि नामक मर्म के ठीक ऊपर है। यह पुरुष की अपेक्षा स्त्री में अधिक कोमल होता है।

सिंदूर में पारा जैसी धातु अधिक होने के कारण चेहरे पर जल्दी झुर्रियां नहीं पड़तीं। इससे स्त्री के शरीर में स्थित विद्युतीय उत्तेजना नियंत्रित होती है। यह मर्म स्थान को बाहरी बुरे प्रभावों से भी बचाता है।

जिस स्त्री के भृकुटी केन्द्र में नागिन रेखा होती है उसे सामुद्रिक शास्त्र में अभागिनी माना जाता है। ऐसे दोष के निवारण के लिए भी शास्त्र स्त्री को मांग में सिंदूर भरने का परामर्श देते हैं।

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Check Also

शिव भक्ति सरल, सहज, सस्ती, प्रकृति अनुकूल और अनुकरणीय क्यों है ? : Yogesh Mishra

शैव साहित्यों की शृंखला ही बहुत विस्‍तृत है ! वैरोचन के ‘लक्षणसार समुच्‍चय’ में इन …