“काम” वासना नहीं बल्कि सृष्टि की आधार ऊर्जा है ! इस ऊर्जा का केन्द्र मूलाधार चक्र होता है ! यदि इसे संयमित और नियंत्रित कर लिया जाये तो उस योगी को सृष्टि के सभी भोगों का रहस्य पता चल जाता है ! इस साधना से प्रत्यक्ष भोग कब, कहाँ, कैसे प्राप्त होगा इसकी जानकारी योगी को हो जाती है !
योगी के साथ कौन स्त्री या पुरुष भोग में संग देने को है ? जिसका संग ले रहा है उसे पूर्व जन्म में भोग चूका है या नहीं ! यहाँ तक कि उस स्त्री या पुरुष से पूर्व के जन्मों के भोगों में उसे कैसा आनंद प्राप्त हुआ था इसकी भी जानकारी उस योगी को इस साधना से हो जाती है ! मानो पूर्व जन्म के विपरीत लिंगी के संग का चित्रण वह योगी अपने मनो जगत में सजीव कर लेता है !
जैसे एक चित्रकार कल्पना को चित्र में बदल देते है ! ठीक वेसे ही एक योगी अपने पूर्व के चैतन्य ध्यान जगत को जीवित करता हुआ यथार्थ में बदल देता है ! वहाँ चेतना युक्त विचार के साथ वह उस विपरीतलिंगी से युक्त होकर रमण यानि भोग करता हुआ मनवांछित ज्ञान को एक-एक क्रम से प्राप्त करता है ! क्योकि यहाँ वो पूवर्त घटना के सत्य को वर्तमान शरीर में अपने मनोयोग जगत से जीवित करके भोग रहा होता है !
दूसरे शब्दों में कहें तो वह योगी काल की व्यवस्था को तोड़ कर पुनः पूर्व काल में प्रवेश कर जाता है ! जिसे आधुनिक जगत में काल गमन या टाइम मशीन यात्रा कहते हैं ! यह मात्र संकल्प ऊर्जा से ही सम्भव है किसी अन्य विधि से नहीं !
यह सत्यास्मि क्रिया योग विधि है ! इस पध्यति से ध्यान करने पर प्रत्येक साधक सृष्टि के सूक्ष्म रहस्य को समझ जाता है ! मंत्रों से मन व प्राण ऊर्जा को एक साथ आरोह या अवरोही क्रम से एक-एक कर के नो चक्रों का क्रमशः शोधन कर लेता है ! जिसके फलस्वरुप साधक को पहले प्राण शरीर की प्राप्ति होती है ! आगे मन शरीर जिसे सूक्ष्म शरीर कहते है इसकी प्राप्ति होती है ! फिर सकारात्मक शक्ति के विकास के चलते साधक में सभी सकारात्मक गुणों का आकर्षणीय चुम्बकीय व्यक्तित्त्व की प्राप्ति होने लगती है !
उसे सभी लोग पसन्द करने लगते हैं ! उसके सभी बिगड़े कार्य बनने लगते हैं आदि आदि ! उसे भौतिक जगत में सभी उन्नतिकारक लाभ प्राप्त होते हैं । नवीन विचारों और चिंतन का उदय होता है ! दैनिक कार्यों में लाभ होता है और वह अन्य मित्रों को भी सही राय दे पाते है ! आप मित्रों की प्रशंसा के पात्र बनते हैं और परिवारिक दायित्त्वो की उचित समयानुसार पूर्ति करते हुये धर्म, अर्थ, काम और आत्म मोक्ष को प्राप्त करते हैं !