विश्व में सदैव से दो आध्यात्मिक केंद्र प्रकृति द्वारा निर्धारित किये गये हैं ! पहला हिमालय और दूसरा नॉर्थ ईस्ट एशिया ! इसीलिये अधिकतर धर्मों की उत्पत्ति किन्ही दोनों आध्यात्मिक केंद्र की जीवनशैली से हुई है !
इसमें हिमालय और सनातन जीवन शैली विश्व की देव शक्तियों का आध्यात्मिक केंद्र है और नॉर्थ ईस्ट एशिया की जीवनशैली आसुरी शक्तियों का आध्यात्मिक केंद्र है ! हिमालय पर आचार्य बृहस्पति का अधिकार है, तो नॉर्थ ईस्ट एशिया में शुक्राचार्य का अधिकार है !
इतिहास गवाह है इस बात का कि विश्व के सभी विकासकारी धर्म और दर्शन के ग्रंथ हिमालय के आसपास लिखे गये हैं और विश्व का विनाश करने वाले सभी सिद्धांतों पर आधारित धर्म नॉर्थ ईस्ट एशिया से पैदा हुये हैं ! जिनसे आज मानवता वेहाल है !
यह देवासुर संग्राम अनादि काल से चलता चला रहा है और अनंत काल तक चलता रहेगा ! इसीलिये जब आसुरी शक्तियां देवों पर हावी हो जाती हैं ! तब भगवान विष्णु संत समाज की रक्षा के लिये अवतार लेते हैं ! जिसका वर्णन श्रीमद भगवत गीता में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण अपने मुंह से कह रहे हैं !
यदा यदा ही धर्मस्य, ग्लानिर्भवति भारत !
अभ्युत्थानम् धर्मस्य, तदात्मनं सृजाम्यहम् !! 7 !!
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥ 8 ॥ गीता 4
अर्थात हे अर्जुन ! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब धर्म की स्थापना के लिये मैं प्रकट होता हूँ ! साधु पुरुषों का उद्धार करने के लिये और पाप कर्म करने वालों का विनाश करने के लिये मैं युग-युग में प्रकट हुआ करता हूँ !
और दूसरी तरफ देव शक्तियां जब आसुरी शक्तियों पर हावी हो जाती हैं तो शुक्राचार्य जैसा मृत संजीवनी विद्या को जानने वाला मर कर नष्ट हो चुके असुरों को पुनर्जीवित कर देता है !
अर्थात कहने का तात्पर्य यह है कि देव शक्ति और आसुरी शक्तियों के मध्य ब्रह्म शक्ति अपना संतुलन बनाये रखती है !
इस संतुलन का लेटेस्ट उदाहरण यह है कि जब ब्रिटेन की साम्राज्यवादी ताकतों ने विश्व के 30% भूभाग पर अपना अधिकार जमा लिया और इस 30% भूभाग में रहने वाले ईश्वर के पुत्र मनुष्य को भूख, प्यास, रोग, अकाल, बीमारी से तड़पा-तड़पा कर मार शुरू किया ! तब हिमालय की देव शक्तियों के आशीर्वाद से जर्मन में एक विचारधारा का उदय हुआ ! जिस विचारधारा के प्रतिनिधि को समाज हिटलर के नाम से जानता है !
इस हिटलर को देव शक्तियों से बहुत तरह की आकस्मिक मदद समय-समय पर मिलती रही और उसके प्रभाव से हिटलर में ब्रिटिश साम्राज्य का सर्वनाश कर दिया !
फिर इसके बाद जब ईश्वरी आदेश से अलग हटकर हिटलर ने अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिये युद्ध को आगे जारी रखा ! तब हिमालय के संतों की कृपा हिटलर के ऊपर से समाप्त हो गई और उसके प्रभाव से हिटलर का साम्राज्य ही खत्म हो गया !
इसलिये सदैव यह याद रखिये यह पृथ्वी जितना अधिकार आपका है ! उतना ही अधिकार असुर शक्तियों का भी है ! इसलिये सृष्टि के अंत तक न तो इससे देव शक्तियां विदा होंगी और न ही असुर शक्तियां ! बस आवश्यकता दोनों में संतुलन बनाये रखने की ! जो ईश्वर कर रहा है !
आसुरी शक्तियों का प्रभाव इस पृथ्वी पर पुनः बहुत तेजी से बढ़ रहा है ! इसलिये तृतीय विश्व युद्ध की तैयारी कीजिये ! जो निकट भविष्य में नार्थ ईस्ट एशिया में लड़ा जायेगा !
लेकिन अब की बार का युद्ध रोचक होगा ! क्योंकि इसमें देव असुर शक्तियां आपस में नहीं लड़ेंगी बल्कि देव शक्ति की प्रेरणा से असुर शक्तियां दो खेमों में बंट जायेंगी और आपस में युद्ध करेंगी ! जिनके विनाश के बाद देव शक्तियां स्वत: ही विजय प्राप्त कर लेंगी !!