क्या आपने कभी विचार किया है कि भारत में विश्व सत्ता के विपरीत जिस किसी भी प्रधानमंत्री ने चलने की कोशिश की है ! उसके जीवन काल में उस प्रधानमंत्री को एक बड़ी समस्या से जूझना पड़ा और वह समस्या उस प्रधानमंत्री की मृत्यु के साथ ही स्वत: समाप्त हो गयी !
उदाहरण के लिये देश के आजाद होते ही भारत में राजनैतिक अस्थिरता फैलाने के उद्देश्य से भारत के ऊपर चीन का आक्रमण शुरू हुआ और ताशकंद में भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की हत्या के साथ ही भारत पर चीन का आक्रमण समाप्त हो गया और पुनः फिर कभी नहीं हुआ !
ठीक इसी तरह भारत के प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जब तक विश्व सत्ता के अनुरूप चल रही थी तब तक तो उनको शासन सत्ता चलाने में कोई परेशानी नहीं हुई लेकिन जब उन्होंने विश्व सत्ता के विरुद्ध निर्णय लेने शुरू किये तो भारत में अचानक खालिस्तान की मांग शुरू हुई और श्रीमती इंदिरा गांधी के अंगरक्षकों द्वारा उन्हीं के आवास पर उनकी हत्या करने के बाद खालिस्तान की मांग करने वाले सभी संगठन स्वत: शांत हो गये !
श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के उपरांत उनके पुत्र राजीव गांधी ने जब विश्व सत्ता के विपरीत निर्णय लेने शुरू किये तो उसी समय दक्षिण भारत में लिट्टे संगठन की सक्रियता बढ़ी और राजीव गांधी की हत्या के साथ ही लिट्टे की गतिविधियां समाप्त हो गई !
भारत के मेधावी प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई ने जब विश्व सत्ता के विपरीत जाकर परमाणु बम और हाइड्रोजन बम का परीक्षण करवाया तो उसके बाद लोकसभा में उनकी सरकार गिरा दी गई और ऐसी राजनीतिक परिस्थितियां पैदा की गई कि उन्हें राजनीति से सन्यास लेकर एकांतवास का जीवन यापन करना पड़ा !
यह सभी कुछ यह सिद्ध करता है विश्व सत्ता के विपरीत चलने वाले किसी भी देश के कोई भी प्रधानमंत्री क्यों न हो वह सुरक्षित नहीं है ! चाहे फिर वह व्यक्ति अमेरिका का आब्राहिम लिंकन या जॉन कैनेडी ही क्यों न हो !
यह एक गंभीर विचारणीय प्रश्न है जिस पर विचार किया जाना आवश्यक है ! आज इसी समस्या से उबरने के लिये विश्व की हर महाशक्ति ने अपने आप को सुरक्षित करने के लिये अपनी निजी गुप्त जासूसी संस्थाओं की स्थापना कर रखी है ! जिससे विश्व सत्ता के षड्यंत्र से उस देश के राजनेताओं को बचाया जा सके !
इस विश्व सत्ता के कार्यालय प्रगट या अप्रगट रूप में विश्व के लगभग सभी देशों में अपनी जड़ें जमाये हुये हैं ! चाहे वह सरकारी संस्थानों के रूप में हो या फिर नॉन गवर्नमेंट आर्गनाइजेशन अर्थात एन.जी.ओ. के रूप में !
एशिया और प्रशांत क्षेत्रों का आर्थिक और सामाजिक आयोग का कार्यालय बैंकाक में है ! यह जानकारी सभी को विचलित कर सकती है लेकिन जानना बेहद आवश्यक है कि इन सभी संगठनों का मास्टरमाइंड इलुमिनाटी है !
इलुमिनाटी की प्रत्यक्ष संस्था जो विश्व सत्ता की ओर सम्पूर्ण विश्व को ले जा रही हैं ! उनमें से ज्यादातर की स्थापना द्वीतीय विश्व युद्ध के बाद हुई है ! जैसे
संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO / UN) – न्यूयॉर्क सिटी, संयुक्त राज्य स्थापना – 24 अक्तूबर 1945 शुरुआत में इसमें 50 सदस्य देश थे, वर्तमान में 193 सदस्य देश हैं !
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) – नैरोबी (Kenya) 1 जून 1972
यूनिसेफ (UNICEF) – न्यूयॉर्क सिटी (USA) America स्थापना 11 दिसम्बर 1946
विश्व व्यापार संगठन (WTO) – जेनेवा (Switzerland) स्थापना 01 जनवरी 1995
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) – जेनेवा (Switzerland) स्थापना 7 अप्रेल 1948
जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ्स एंड ट्रेड – गैट (GATT) – जेनेवा (Switzerland) 30 अक्टूबर 1947 को जेनेवा में 23 देशों ने मिलकर गैट ( GATT ) पर हस्ताक्षर किये परन्तु 1 जनवरी 1948 से यह लागू हुआ !
यूरोपीय कॉमन मार्केट (ECM) – जेनेवा (Switzerland)
यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ECTA) – जेनेवा (Switzerland)
यूरोपीय आर्थिक समुदाय ( EEC) – जेनेवा (Switzerland)
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) – जेनेवा (Switzerland)
रेडक्रॉस Red Cross – जेनेवा (Switzerland)
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग (UNHCR) – जेनेवा (Switzerland)
विश्व वन्य जीव संरक्षण कोष (WWF) – ग्लांड (Switzerland)
उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन – नाटो (NATO) – ब्रुसेल्स (Capital of Belgium) 4 अप्रैल 1949
इंडियन ओशन कमिशन – पोर्ट लुईस (मोरीशस)
राष्ट्रमंडल (कॉमनवेल्थ) – लंदन United Kingdom
विश्व बैंक (World Bank) – वाशिंगटन डी. सी.
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) – वाशिंगटन डी. सी.
अमरीकी राज्यों का संगठन (OAS) – वाशिंगटन डी. सी.
यूनेस्को (UNESCO) – पेरिस (France)
अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक कमिटी (IOC) – लुसाने (Switzerland)
दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संघ (ASEAN) – जकार्ता (Indonesia)
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन ( OECD) – पेरिस (France)
यूरोपियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन (ESRO) – पेरिस (France)
अफ़्रीकी आर्थिक आयोग (ECA) – आदिस-अबाबा
अफ़्रीकी एकता संगठन (OAU) – आदिस-अबाबा 👉इथोपिया स्थापना 25 मई 1963 को आदिस-अबाबा में 32 अफ़्रीकी देशों ने एक समझौता कर अफ़्रीकी एकता संगठन का गठन किया !
यूरोपियन परमाणु ऊर्जा समुदाय (EURATON) – ब्रुसेल्स
संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मलेन ( UNCTAD) – जेनेवा (Switzerland)
वर्ल्ड काउंसिल ऑफ़ चर्चेज ( WCC) – USA America
अरब लीग (ARAB LEGUE) – काहिरा (Egypt)
एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty International) – लंदन UK
संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO) – वियना (Austria)
पेट्रोलियम उत्पादक देशों का संगठन (OPEC) – वियना ( Austria)
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) – वियना (Austria)
संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) – रोम (Italy)
सार्क ( SAARC) – काठमाण्डु Taplejung Nepal
यूरोपीय संसद (European Parliment) – लक्जमबर्ग
यूनाइटेड नेशन्स चिल्ड्रेन्स एजुकेशन फण्ड (UNICEF) – न्यूयॉर्क
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय International Court – द हेग
एशिया और प्रशांत क्षेत्रों का आर्थिक और सामाजिक आयोग – बैंकाक
परस्पर आर्थिक सहायता परिषद् (COMECON) – मास्को
इंटरपोल (INTERPOL) – ल्योन (फ्रांस) France
राष्ट्रमंडलीय राष्ट्राध्यक्ष सम्मलेन (CHOGM) – स्ट्रान्सबर्ग
एशियाई विकास बैंक (ADB) – मनीला (Philippines)
यूरोपीय ऊर्जा आयोग (EEC) – जेनेवा
पश्चिमी एशिया आर्थिक आयोग (ECWA) – बगदाद
इसी तरह 10 लाख से अधिक एन जी ओ हैं जो पूरे विश्व में इन्हीं विश्व सत्ता के इशारे पर सारे विश्व में वहाँ की सभ्यता संस्कृति नष्ट करके सम्पूर्ण विश्व को विश्व सत्ता के आधीन लाना चाहती हैं !!