रावण जब विश्व विजय अभियान से लौटा तो पूरी लंका में उत्सव का माहौल था ! सभी रावण के पुरुषार्थ और पराक्रम की जय जयकार कर रहे थे, किंतु मंदोदरी उदास थी ! रावण ने जब मंदोदरी से उसकी उदासी का कारण पूछा तो मंदोदरी ने कहा मेरी मां इंद्र के कब्जे में है ! अब आप परम शक्तिशाली और विश्व विजेता हो गए हैं, जब तक मेरी मां हेमा इंद्र के कब्जे में रहेगी, तब तक मैं भला कैसे प्रसन्न हो सकती हूं !
रावण ने अपनी पत्नी मंदोदरी की वेदना को समझा और तत्काल अपने बड़े पुत्र मेघनाथ को एक भारी सेना लेकर अपनी नानी हेमा को इंद्र के कैद से आजाद कराने के लिए स्वर्ग लोक भेज दिया !
भीषण युद्ध हुआ इंद्र ने हार मानी और हेमा को मेघनाथ के हवाले कर दिया ! मेघनाथ अपनी नानी हेमा को लेकर और इंद्र को बंदी बनाकर रावण के दरबार में उपस्थित हुआ ! इसीलिए मेघनाथ को इंद्रजीत का नाम दिया गया ! इसके बाद रावण और इंद्र के बीच में एक संधि हुई, जिसके तहत रावण ने दोबारा कभी भी स्वर्ग पर आक्रमण करने की इंद्र की इच्छा को स्वीकारा ! किंतु इंद्र अपने इस पराजय से तिलमिला गया था !
अतः उसने अपने अपमान का बदला लेने के लिये रावण के वध के लिए विश्वामित्र के साथ मिलकर एक योजना बनाई ! क्योंकि राजा दशरथ को रावण से अभय दान प्राप्त था ! अतः दशरथ के पुत्र श्री राम को रावण की हत्या के लिए प्रयुक्त करने में इंद्र और विश्वामित्र के मध्य एक आम सहमति बनी ! जिस सहमति के तहत विश्वामित्र ने राजा दशरथ से राम को मांग कर विशेष युद्ध कलाओं में प्रशिक्षित किया ! बला और महाबला जैसी कलाओं में जब राम पारंगत हो गये, तो राम के द्वारा ताड़का का वध करा कर रावण के अस्तित्व को विश्वामित्र ने ललकारा किंतु रावण समझदार था ! वह किसी भी कार्य के पीछे क्या कारण हो सकता है, वह इसकी गहरी समझ रखता था !
अत: उसने राम के विरूद्ध कोई भी कार्यवाही नहीं की कालांतर में विश्वामित्र द्वारा राम और सीता के विवाह के उपरांत एक योजना के तहत राम को 14 वर्ष के वनवास के लिए मंथरा द्वारा कैकयी को उकसावा कर भेजा गया और राम को प्रेरित करके चित्रकूट के जंगलों से दंडकारण्य के जंगलों में भेजा गया !
धीरे-धीरे 13 वर्ष व्यतीत हो जाने के उपरांत जब रावण और राम के मध्य कोई विवाद नहीं हुआ तो एक योजना के तहत सूपनखा जो कि रावण की बहन थी, उसकी सैनी छावनी पर इंद्र द्वारा हमला करवा दिया गया ! जिसका उलेहना लेकर जब सूपनखा राम के पास आई, तो राम और लक्ष्मण से विवाद होने पर लक्ष्मण ने आवेग में आकर उसके नाक कान काट लिये !
जिसके बाद सूपनखा के सेनापति खर दूषण से भयंकर संग्राम हुआ जिसमें उनकी मृत्यु हो गई ! क्योंकि राम दशरथ के पुत्र थे और इस पूरे घटनाक्रम के पीछे इंद्र का हाथ था यह बात रावण जानता था इसलिए रावण ने राम पर कोई भी आघात नहीं किया ! बल्कि राम को दंडित करने के लिए सीता का राजनीतिक रूप से अपराहन कर लिया ! जिससे सीता को छुड़ाने के लिए जब राम आएंगे तो कूटनीति के तहत राम को झुका दिया जाएगा और सीता को वापस कर दिया जाएगा !
किन्तु रावण की हत्या करवाना ही एक मात्र इन्द्र का उद्देश्य था अतः इन्द्र, विश्वामित्र, अगस्त ऋषि ने मिल कर यह सन्धि नहीं होने दी और रावण की यह जिद्द थी कि राम स्वयं मेरे दरबार में आकर माफी मांगें ! जिसका लाभ उठा कर इन्द्र आदि के द्वारा राम रावण का युद्ध करवाया गया और रावण की हत्या करवा दी गई ! इसीलिए इन्द्र ने इस युद्ध में राम के लिये विशेष रथ व विशेष आयुद्ध भी उपलब्ध करवाये थे !
विश्वामित्र वैदिक काल के विख्यात ऋषि थे। ऋषि विश्वामित्र बड़े ही प्रतापी और तेजस्वी महापुरुष थे। ऋषि धर्म ग्रहण करने के पूर्व वे बड़े पराक्रमी और प्रजावत्सल के ब्राह्मण विरोधी क्षत्रिय नरेश थे । .