रक्षाबंधन हेतु रुद्राक्ष का शुद्धिकरण एवं संस्कार विधि !! : Yogesh Mishra

मुझसे कई लोगों ने जानना चाहा है कि रक्षाबंधन में धारण करने वाले रुद्राक्ष का शुद्धिकरण एवं संस्कार विधि क्या है ! जिसे रक्षा कवच के रूप में धारण किया जाता है ! मैं उस प्रक्रिया का विस्तार से वर्णन कर रहा हूँ !!

प्रथम तो रुद्राक्ष स्व पोषित वृक्ष का होना चाहिये ! जिसे स्थिर योग में तोड़ा गया हो ! यदि न मिले तो बाजार से रुद्राक्ष स्थिर योग में खरीद लें !

सर्वप्रथम रुद्राक्ष खरीदने के बाद , रुद्राक्ष का विधिवत तरीके से संस्कार करना चाहिये !
रुद्राक्ष के संस्कार की संपूर्ण विधि नीचे दे रहा हूँ !

विधि – साधक सबसे पहले गुप्त नौरात्रि में स्नान करके अपने शरीर को शुद्ध कर ले एवम उसके पश्चात अपने पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके आसन पर बैठ जाये !

अब सर्व प्रथम इस मंत्र का उच्चारण करते हुये अपने शरीर को पवित्र करे :-

ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा !
यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः !!

फिर 3 बार आचमन करे

पवित्रीकरण करने के बाद गणेश जी एवं अपने इष्ट देव या माँ दुर्गा का ध्यान करे , ध्यान एवम पूजा करने के बाद रुद्राक्ष को, पीपल के पत्तो के ऊपर रख दीजिये !

रुद्राक्ष शुद्धिकरण :- सर्वप्रथम रुद्राक्ष का शुद्धिकरण करेंगे ! एक पात्र में आप को साफ गंगा जल लेना है और दूसरे पात्र में आप को पंचगव्य (पंचगव्य :- गाय का दूध , दही , घी , गोमूत्र , गोबर ) लेना है

सबसे पहले रुद्राक्ष को शुद्ध पानी से स्नान करना है उसके पश्चात आप को रुद्राक्ष को पंचगव्य से स्नान करवायें !

इस मंत्र का उच्चारण करते हुए रुद्राक्ष को पंचगव्य से धुलें !

ॐ अं आं इं ईं उं ऊं ऋं ऋृं लृं लॄं एं ऐं ओं औं अं अः कं खं गं घं ङं चं छं जं झं ञं टं ठं डं ढं णं तं थं दं धं नं पं फं बं भं मं यं रं लं वं शं षं सं हं क्षं ॐ

रुद्राक्ष को पंचगव्य से स्नान कराने के बाद नीचे लिखे हुये मंत्र को बोलते हुए पुनः रुद्राक्ष को जल से धो ले |

ॐ सद्यो जातं प्रद्यामि सद्यो जाताय वै नमो नमः!
भवे भवे नाति भवे भवस्य मां भवोद्भवाय नमः !!

अब रुद्राक्ष को साफ़ वस्त्र से पोछकर रुद्राक्ष को शुद्ध थाली एवं चौकी पर स्थापित करे एवं

निम्न मंत्र को बोलते हुए रुद्राक्ष के प्रत्येक मनके पर चन्दन- कुमकुम का तिलक करे |

ॐ वामदेवाय नमः जयेष्ठाय नमः श्रेष्ठाय नमो रुद्राय नमः कल विकरणाय नमो बलविकरणाय नमः !

बलाय नमो बल प्रमथनाय नमः सर्वभूत दमनाय नमो मनोनमनाय नमः !!

अब दीपक जला कर नीचे दिए हुये मंत्र को बोले !

ॐ अघोरेभ्योथघोरेभ्यो घोर घोर तरेभ्य: सर्वेभ्य: सर्व !
शर्वेभया नमस्ते अस्तु रुद्ररूपेभ्य: !!

अब रुद्राक्ष को अपने बाये हाथ में लेकर दाए हाथ से ढक ले और निम्न मंत्र का १०८ बार जप कर उसको अभिमंत्रित करे –

ॐ ईशानः सर्व विद्यानमीश्वर सर्वभूतानाम
ब्रह्माधिपति ब्रह्मणो अधिपति ब्रह्मा शिवो मे अस्तु
सदा शिवोम !!

अब साधक रुद्राक्ष की प्राण प्रतिष्ठा हेतु अपने दाय हाथ में जल लेकर विनियोग करे एवं जमीन पर पानी छोडे

ॐ अस्य श्री प्राण प्रतिष्ठा मंत्रस्य ब्रह्मा विष्णु रुद्रा ऋषय: ऋग्यजु:सामानि छन्दांसि प्राणशक्तिदेवता आं बीजं ह्रीं शक्ति क्रों कीलकम अस्मिन माले प्राणप्रतिष्ठापने
विनियोगः !!

अब रुद्राक्ष को बायें हाथ में लेकर दायें हाथ से ढक ले और निम्न मंत्र बोलते हुए ऐसी भावना करे कि यह रुद्राक्ष पूर्ण चैतन्य व शक्ति संपन्न हो रही है

ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं हों ॐ क्षं सं सः ह्रीं ॐ आं ह्रीं क्रों अस्य रुद्राक्षम प्राणा इह प्राणाः !

ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं हों ॐ क्षं सं हं सः ह्रीं ॐ आं ह्रीं क्रों अस्य रुद्राक्षम जीव इह स्थितः !

ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं हों ॐ क्षं सं हं सः ह्रीं ॐ आं ह्रीं क्रों अस्य रुद्राक्षम सर्वेन्द्रयाणी वाङ् मनसत्वक चक्षुः श्रोत्र जिह्वा घ्राण प्राणा इहागत्य इहैव सुखं तिष्ठन्तु स्वाहा !

ॐ मनो जूतिजुर्षतामाज्यस्य बृहस्पतिरयज्ञमिमन्तनो त्वरिष्टं यज्ञं समिमं दधातु विश्वे देवास इह मादयन्ताम् ॐ प्रतिष्ठ !!

अब रुद्राक्ष को अपने मस्तक से लगा कर पूरे सम्मान सहित स्थान दे !

फिर रक्षा कवच बनाने हेतु 21 माला महामृत्युंजय मंत्र की कीजिये !

फिर 21 माला मृत संजीवनी मंत्र की कीजिये !

51 माला गायत्री मन्त्र की कीजिये !

51 माला विजय मंत्र की कीजिये !

तथा पुनः 21 माला ब्राह्मण मन्त्र की कीजिये !

इतने संस्कार करने के बाद अब रुद्राक्ष रक्षाबंधन में धारण करने योग्य शुद्ध तथा सिद्धिदायक हो गया है !

अब इसे पुनः स्थिर योग में अनुकूल रेशम के धागे या कलावा में पिरो कर रखा दें ! और रक्षाबंधन के दिन माँ लक्ष्मी और विष्णु के युगल रूप का ध्यान करते हुये निम्नलिखित मन्त्र के साथ धारण कीजिये !

येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः !

तेन त्वां मनुबध्नामि, रक्षंमाचल माचल !!

यह आपको स्वास्थ्य हानि, धन हानि, यश हानि से बचाव तो होता ही है, साथ में शत्रुओं से रक्षा भी होती है और इन अभिमंत्रित रक्षा सूत्रों से व्यक्ति को धन, यश, विजय की प्राप्ति होती है !

यदि आप चाहें तो संस्थान से गुप्त नौरात्रि में तैयार किया हुआ रक्षा सूत्र प्राप्त कर सकते हैं !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
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