धन का लक्ष्मी से कोई संबंध नहीं है : Yogesh Mishra

आज दुनिया के किसी भी संपन्न देश में कोई भी संपन्न व्यक्ति हिंदुओं को छोड़कर लक्ष्मी की पूजा नहीं करता है ! फिर भी पूरी दुनिया की संपन्नता का 80% पैसा ऐसे लोगों के पास है, जिन्होंने कभी भी लक्ष्मी…
आज दुनिया के किसी भी संपन्न देश में कोई भी संपन्न व्यक्ति हिंदुओं को छोड़कर लक्ष्मी की पूजा नहीं करता है ! फिर भी पूरी दुनिया की संपन्नता का 80% पैसा ऐसे लोगों के पास है, जिन्होंने कभी भी लक्ष्मी…
शिक्षा का तात्पर्य समग्र विकास है किन्तु विशेषज्ञता की शिक्षा के बहाने आज जो पढ़ाया जा रहा है वह हमें शिक्षित तो करता है पर हमारा समग्र विकास नहीं करता है ! जैसे एक गले का डाक्टर दन्त के विषय…
मात्र 31 वर्षीय अथर्व के पुत्र महर्षि दधीचि की हड्डियों वज्र बने के लिये इंद्र महर्षि दधीचि के जीवित ही उनके शरीर से निकल लीं थी ! जिससे उनके उनकी मृत्यु के बाद उनका तपोबल से अर्जित तेज कहीं उनकी…
प्रत्येक व्यक्ति के शरीर के संचालन का अपना एक निश्चित क्रम होता है ! हमारे शरीर में बहुत से ऊर्जायें प्रत्यक्ष्य और अप्रत्यक्ष्य रूप में निवास करती हैं जो शरीर संचालन के लिये विभिन्न तरह के रसायनों का निर्माण करते…
शहरों के नाम बदलने पर राजनीति करने वालों को यह पता होना चाहिये कि शहरों के नाम परिवर्तन की राजनीति बहुत पुरानी है ! जब जब जो जो शासक पूरी शक्ति के साथ सत्ता में आया, उसने सबसे पहला काम…
अकबर ने दीने इलाही धर्म चला कर हिंदू के के मन मस्तिष्क पर ही नहीं हिन्दू शहरों पर भी कब्जा कर लिया और हिंदू शहरों के नाम बदलना शुरू कर दिया जैसे अयोध्या का नाम फैजाबाद, प्रयाग का नाम इलाहाबाद,…
आज हिन्दूओं के पास न तो कोई जीवन दर्शन है और न ही कोई सम्प्रभु राष्ट्र ! अपने को विश्व गुरु कहने वाला हिंदू आज पूरी दुनिया में कटोरा लेकर भीख मांगता नजर आता है ! अपने को संयमी कहने…
303 ईसा पूर्व में ग्रीक आक्रमणकारियों को धता दिखाते हुये चन्द्रगुप्त मौर्य ने आचार्य चाणक्य के मार्गदर्शन में काबुल, हेरात, कन्धार, बलूचिस्तान, पंजाब, गंगा-यमुना का मैदान, बिहार, बंगाल, गुजरात तक तथा उत्तर में कश्मीर से कर्नाटक तक अपना साम्राज्य स्थापित…
बलात्कारकी घटना हमारे ही सभ्य समाज में क्यों होती है ! यह आदिवासी या तथाकथित अति पिछड़े अविकसित क्षेत्रों में क्यों नहीं होती है ! जहाँ आधुनिकता की मार अभी तक नहीं हुई है ! किसी कामुक साहित्य या कामुक…
गाँधी भारतीय जनमानस का मनोविज्ञान खूब अच्छी तरह जानते थे ! उन्हें मालूम था कि उनके इस अहिंसा की नौटंकी में पढ़ा लिखा सवर्ण वर्ग शामिल नहीं होगा ! क्योंकि सवर्ण यह जानता था कि आजादी क्रांति से मिलेगी !…