शिवजी के अनन्य भक्त मृकण्ड ऋषि संतानहीन होने के कारण दुखी थे ! विधाता ने उन्हें संतान योग नहीं दिया था !
मृकण्ड ने सोचा कि महादेव संसार के सारे विधान बदल सकते हैं ! इसलिये क्यों न भोलेनाथ को प्रसन्नकर यह विधान बदलवाया जाये !
मृकण्ड ने घोर तप किया ! भोलेनाथ मृकण्ड के तप का कारण जानते थे इसलिये उन्होंने शीघ्र दर्शन न दिया लेकिन भक्त की भक्ति के आगे भोले झुक ही जाते हैं !
महादेव प्रसन्न हुए ! उन्होंने ऋषि को कहा कि मैं विधान को बदलकर तुम्हें पुत्र का वरदान दे रहा हूं लेकिन इस वरदान के साथ हर्ष के साथ विषाद भी होगा !
भोलेनाथ के वरदान से मृकण्ड को पुत्र हुआ जिसका नाम मार्कण्डेय पड़ा ! ज्योतिषियों ने मृकण्ड को बताया कि यह विलक्ष्ण बालक अल्पायु है ! इसकी उम्र केवल 12 वर्ष है !
ऋषि का हर्ष विषाद में बदल गया ! मृकण्ड ने अपनी पत्नी को आश्वत किया ! जिस ईश्वर की कृपा से संतान हुई है वही भोले इसकी रक्षा करेंगे ! भाग्य को बदल देना उनके लिये सरल कार्य है !
मार्कण्डेय बड़े होने लगे तो पिता ने उन्हें शिवमंत्र की दीक्षा दी ! मार्कण्डेय की माता बालक के उम्र बढ़ने से चिंतित रहती थी ! उन्होंने मार्कण्डेय को अल्पायु होने की बात बता दी !
मार्कण्डेय ने निश्चय किया कि माता-पिता के सुख के लिये उसी सदाशिव भगवान से दीर्घायु होने का वरदान लेंगे जिन्होंने जीवन दिया है ! बारह वर्ष पूरे होने को आये थे !
मार्कण्डेय ने शिवजी की आराधना के लिये महामृत्युंजय मंत्र की रचना की और शिव मंदिर में बैठकर इसका अखंड जाप करने लगे !
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् !
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥”
समय पूरा होने पर यमदूत उन्हें लेने आये ! यमदूतों ने देखा कि बालक महाकाल की आराधना कर रहा है तो उन्होंने थोड़ी देर प्रतीक्षा की ! मार्केण्डेय ने अखंड जप का संकल्प लिया था !
यमदूतों का मार्केण्डेय को छूने का साहस न हुआ और लौट गये ! उन्होंने यमराज को बताया कि वे बालक तक पहुंचने का साहस नहीं कर पाये !
इस पर यमराज ने कहा कि मृकण्ड के पुत्र को मैं स्वयं लेकर आऊंगा ! यमराज मार्कण्डेय के पास पहुंच गये !
बालक मार्कण्डेय ने यमराज को देखा तो जोर-जोर से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग से लिपट गया !
यमराज ने बालक को शिवलिंग से खींचकर ले जाने की चेष्टा की तभी जोरदार हुंकार से मंदिर कांपने लगा ! एक प्रचण्ड प्रकाश से यमराज की आंखें चुंधिया गईं !
शिवलिंग से स्वयं महाकाल प्रकट हो गये ! उन्होंने हाथों में त्रिशूल लेकर यमराज को सावधान किया और पूछा तुमने मेरी साधना में लीन भक्त को खींचने का साहस कैसे किया ?
यमराज महाकाल के प्रचंड रूप से कांपने लगे ! उन्होंने कहा- प्रभु मैं आप का सेवक हूं ! आपने ही जीवों से प्राण हरने का निष्ठुर कार्य मुझे सौंपा है !
भगवान चंद्रशेखर का क्रोध कुछ शांत हुआ तो बोले- मैं अपने भक्त की स्तुति से प्रसन्न हूं और मैंने इसे दीर्घायु होने का वरदान दिया है ! तुम इसे नहीं ले जा सकते !
यम ने कहा- प्रभु आपकी आज्ञा सर्वोपरि है ! मैं आपके भक्त मार्कण्डेय द्वारा रचित महामृत्युंजय का पाठ करने वाले को त्रास नहीं दूंगा !
महाकाल की कृपा से मार्केण्डेय दीर्घायु हो गये ! उवके द्वारा रचित महामृत्युंजय मंत्र काल को भी परास्त करता है ! सोमवार को महामृत्युंजय का पाठ करने से शिवजी की कृपा होती है और कई असाध्य रोगों ! मानसिक वेदना से राहत मिलती है !
अगर आपकी कुंडली में किसी भी तरह से मास ! गोचर ! अंतर्दशा या अन्य कोई परेशानी है तो यह मंत्र बहुत मददगार साबित होता है ! अगर आप किसी भी रोग या बीमारी से ग्रसित हैं तो रोज़ इसका जाप करना शुरू कर दें ! लाभ मिलेगा ! यदि आपकी कुंडली में किसी भी तरह से मृत्यु दोष या मारकेश है तो इस मंत्र का जाप करें !
इस मंत्र का जप करने से किसी भी तरह की महामारी से बचा जा सकता है साथ ही पारिवारिक कलह ! संपत्ति विवाद से भी बचता है ! अगर आप किसी तरह की धन संबंधी परेशानी से जूझ रहें है या आपके व्यापार में घाटा हो रहा है तो इस मंत्र का जप करें ! इस मंत्र में आरोग्यकर शक्तियां है जिसके जप से ऐसी दुवानियां उत्पन होती हैं जो आपको मृत्यु के भय से मुक्त कर देता है ! इसीलिये इसे मोक्ष मंत्र भी कहा जाता है !