श्रीमद्भगवद् पुराण हिंदुओं का प्रमुख ग्रंथ माना गया है ! आज से लगभग 5000 वर्ष पूर्व वेद व्यास ने श्रीमद्भागवत पुराण का लेखन किया था ! जिसके स्कन्धः 12 अध्यायः 2 में बहुत से ऐसे श्लोक हैं ! जिनमें कलयुग के लक्षणों का वर्णन किया गया है ! वेद व्यास ने श्रीमद्भगवद् पुराण में कलियुग के लिये कुछ बातें कही थी ! वह आज के समय में शतप्रतिशत सच हो रही हैं ! आज जानते हैं कि उन बातों को विस्तार से वेद व्यास ने कलियुग को लेकर बतलायी हैं !
श्लोक
ततश्चानुदिनं धर्मः सत्यं शौचं क्षमा दया !
कालेन बलिना राजन् नङ्क्ष्यत्यायुर्बलं स्मृतिः ॥
अर्थ- इस श्लोक के मुताबिक कलियुग में अर्थ, धर्म, सत्यवादिता, स्वच्छता, सहिष्णुता, दया, जीवन की अवधि, शारीरिक शक्ति और स्मृति सभी दिन प्रतिदिन घटती जायेगी ! आज के समय में अगर देखा जाये तो व्यक्ति अपने अंदर की शक्ति को कम करता जा रहा है !
वित्तमेव कलौ नॄणां जन्माचारगुणोदयः !
धर्मन्याय व्यवस्थायां कारणं बलमेव हि ॥
अर्थ- कलियुग में जिस व्यक्ति के पास जितना धन होगा, वह उतना ही गुणी माना जायेगा और कानून, न्याय केवल एक शक्ति के आधार पर ही लागू किया जायेगा !
दाम्पत्येऽभिरुचिर्हेतुः मायैव व्यावहारिके !
स्त्रीत्वे पुंस्त्वे च हि रतिः विप्रत्वे सूत्रमेव हि ॥
अर्थ- इस श्लोक के अनुसार इस युग में पुरुष स्त्री बिना विवाह के ही एक दूसरे में रूचि के अनुसार साथ रहेंगे ! वही व्यापार की सफलता छल पर निर्भर करेगी ! कलयुग में ब्राह्मण सिर्फ एक धागा पहनकर ब्राह्मण होने का दावा करेंगे !
लिगं एवाश्रमख्यातौ अन्योन्यापत्ति कारणम् !
अवृत्त्या न्यायदौर्बल्यं पाण्डित्ये चापलं वचः ॥
अर्थ- इसके अनुसार जो मनुष्य घूस देने या धन खर्च करने में असमर्थ होगा ! उसे अदालतों से सही न्याय नहीं मिल सकेगा ! साथ ही जो व्यक्ति बहुत चालाक और स्वार्थी होगा वो ही इस युग में बहुत विद्वान माना जायेगा !
क्षुत्तृड्भ्यां व्याधिभिश्चैव संतप्स्यन्ते च चिन्तया !
त्रिंशद्विंशति वर्षाणि परमायुः कलौ नृणाम् !!
अर्थ- इस युग में लोग भूख प्यास और कई तरह की चिंताओं से दुखी रहेंगे ! कई तरह की बीमारियां उन्हें हर समय घेरे रहेगी ! साथ ही कलियुग में मनुष्य की उम्र केवल बीस या तीस वर्ष की ही होगी !
दूरे वार्ययनं तीर्थं लावण्यं केशधारणम् !
उदरंभरता स्वार्थः सत्यत्वे धार्ष्ट्यमेव हि ॥
अर्थ- लोग दूर के नदी और तालाबों को तो तीर्थ मानेंगे, लेकिन अपने पास रह रहे माता पिता की निंदा करेंगे ! इसके इलावा सिर पर बड़े-बड़े बाल रखना ही सुंदरता मानी जायेगी और केवल पेट भरना ही लोगों का लक्ष्य होगा !
अनावृष्ट्या विनङ्क्ष्यन्ति दुर्भिक्षकरपीडिताः !
शीतवातातपप्रावृड् हिमैरन्योन्यतः प्रजाः ॥
अर्थ- कलयुग में कभी बारिश नहीं होगी जिससे सूखा पड़ जायेगा ! साथ ही कभी कड़ाके की सर्दी पड़ेगी तो कभी भीषण गर्मी हो जायेगी, तो कभी आंधी आएगी तो कभी बाढ़ आ जायेगी ! इन परिस्तिथियों से लोग परेशान होंगे और नष्ट होते जाएंगे !
अनाढ्यतैव असाधुत्वे साधुत्वे दंभ एव तु !
स्वीकार एव चोद्वाहे स्नानमेव प्रसाधनम् ॥
अर्थ- इस युग में जिस व्यक्ति के पास धन नहीं होगा वो अधर्मी, अपवित्र और बेकार माना जायेगा ! वही इस युग में विवाह दो लोगों के बीच बस एक समझौता होगा और लोग बस स्नान करके समझेंगे कि वो अंतरात्मा से शुद्ध हो गए हैं !
दाक्ष्यं कुटुंबभरणं यशोऽर्थे धर्मसेवनम् !
एवं प्रजाभिर्दुष्टाभिः आकीर्णे क्षितिमण्डले ॥
अर्थ- धर्म-कर्म के काम केवल लोगों के सामने अच्छा दिखने और दिखावे के लिए ही किए जाएंगे ! पृथ्वी भ्रष्ट लोगों से भर जायेगी और लोग सत्ता हासिल करने के लिए एक दूसरे को मारेंगे !
आच्छिन्नदारद्रविणा यास्यन्ति गिरिकाननम् !
शाकमूलामिषक्षौद्र फलपुष्पाष्टिभोजनाः ॥
अर्थ- अकाल और अत्याधिक करों के कारण परेशान लोग घर छोड़ कर सड़कों और पहाड़ों पर रहने को मजबूर हो जाएंगे ! साथ ही पत्ते, जड़, मांस, जंगली शहद, फूल और बीज तक खाने को मजबूर हो जाएंगे !