बृ्हस्पति, शुक्र के अस्तकाल में विवाहादि शुभ कार्य क्यों वर्जित है
बृहस्पति और शुक्र के अस्त हो जाने पर प्राय: सभी शुभ कर्म खासतौर से विवाहादि स्त्री सम्बन्धी कृत्य वर्जित रहते हैं, क्यों ? इसलिए कि “यतपिण्डे च ब्राह्मण्डे” के सिद्धान्तानुसार मानव शरीर में “ज्ञान” बृहस्पति की देन है और “वीर्य” अर्थात काम(स्त्री सम्बन्धी सब प्रकार की चेष्टाएं) शुक्र ग्रह की देन हैं. सो, जब ये दोनों महाग्रह अस्त हों तो “ज्ञान दुर्बल” और “हीन वीर्य” मनुष्य जो कुछ भी करेगा, वे सब कृत्य अज्ञान विजृम्भित तथा क्लैव्यपूर्ण ही होंगें. सही मस्तिष्क, बुद्धि वाला एक बलवान मनुष्य ही सब कृत्यों को औचित्य की भित्ति पर स्थिर करने में समर्थ हो सकता है.इसलिए इन दोनों ग्रहों का अस्त काल विवाहादि किसी प्रकार के शुभ कार्यों में वर्जित नहीं माना जाता है