बृ्हस्पति, शुक्र के अस्तकाल में विवाहादि शुभ कार्य क्यों वर्जित है । Yogesh Mishra

बृ्हस्पति, शुक्र के अस्तकाल में विवाहादि शुभ कार्य क्यों वर्जित है

बृहस्पति और शुक्र के अस्त हो जाने पर प्राय: सभी शुभ कर्म खासतौर से विवाहादि स्त्री सम्बन्धी कृत्य वर्जित रहते हैं, क्यों ? इसलिए कि “यतपिण्डे च ब्राह्मण्डे” के सिद्धान्तानुसार मानव शरीर में “ज्ञान” बृहस्पति की देन है और “वीर्य” अर्थात काम(स्त्री सम्बन्धी सब प्रकार की चेष्टाएं) शुक्र ग्रह की देन हैं. सो, जब ये दोनों महाग्रह अस्त हों तो “ज्ञान दुर्बल” और “हीन वीर्य” मनुष्य जो कुछ भी करेगा, वे सब कृत्य अज्ञान विजृम्भित तथा क्लैव्यपूर्ण ही होंगें. सही मस्तिष्क, बुद्धि वाला एक बलवान मनुष्य ही सब कृत्यों को औचित्य की भित्ति पर स्थिर करने में समर्थ हो सकता है.इसलिए इन दोनों ग्रहों का अस्त काल विवाहादि किसी प्रकार के शुभ कार्यों में वर्जित नहीं माना जाता है

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Check Also

ग्रह हमारे साथ कैसे काम करते हैं : Yogesh Mishra

एक वैज्ञानिक विश्लेषण आम ज्योतिषियों की अवधारणा है कि व्यक्ति के जन्म के समय ग्रह, …