धोखे की आजादी का भविष्य ! : Yogesh Mishra

गांधी सहित सभी नेता कहते थे कि यह देश, गांव और किसानों का देश है ! लेकिन मोदी राज में इस परिभाषा को बदल कर इसे जैन मुनियों और शंकराचार्य का बताने का प्रयास किया जा रहा है ! खैर मुझे नीतिगत मामलों में माऊंटबेटन, नेहरू और मोदी में कोई खास अंतर नजर नहीं दिखता है !

इन्हीं नीतियों पर गांधी ने नेहरू से कहा था कि यह संवैधानिक व्यवस्था 100 साल से अधिक नहीं चलेगी ! भविष्य में इस देश का किसान जागेगा और इस व्यवस्था को ध्वस्थ कर देगा ! इस देश की तथाकथित आजादी की बुनियाद में भी बहुत गड़बड़ है ! जो दिखता है वह नहीं है और जो दिखता नहीं है वह हो रहा है !

पूरा विश्व हमें इंडिया के नाम से जानता है ! लेकिन हिन्दुस्तान विलुप्त हो गया है ! भारत के बाहुबली आज भारत के भाग्य विधाता हैं ! देश के झंडे को तिरंगा नाम दिया गया ! लेकिन इसमें चार रंग मौजूद हैं ! बतलाया गया है कि इसमें लाल रंग पंडों/कूर्बानी/त्याग का, सफेद रंग अंग्रेजों/शांति का, हरा रंग मुस्लिमों/किसान/ हरयाली का प्रतीक है ! लेकिन एक रंग और भी है वह “नीला” अशोक चक्र ! जिसका वर्णन कोई नहीं करता है ! झंडे में एक डंडा भी लगा हुआ है ! वह डंडा अर्थात लट्ठ पहले कबलियत, अनुशासन और समर्थ का प्रतिक था ! जिसकी जगह अब लोहे की पाईप ने ले लिया है अर्थात देश के उन पूंजीपतियों ने जो अब देश की सत्ता चलते हैं !

देश की तथाकथित आजादी से लेकर आज तक इस देश की जनता पर राजनीति ही भारी रही है ! राजनीति ने जनहित व देशहित के सभी मुद्दे गौण कर दिये हैं और राजनीति में सभी किस्म के अपराधी लोग अति महत्वाकांक्षाओं के साथ आये हैं और वह लगभग पूरी भी हुयी हैं !

इन राजनौतिक अपराधियों का मकसद देश या जनता नहीं बल्कि स्वयं की तरक्की है ! और उनकी यह भूख जनता का बहुत सा पैसा खाने के बाद भी शांत ही नहीं हो रही है ! बल्कि बढती ही जा रही है ! आप किसी भी विधायक सांसद को देखें, शायद विरला ही आर्थिक कमजोर मिलेगा ! वर्ना 1947 के बाद देश की जनता तो गरीब रह गयी पर इस देश के नेताओं जितनी तरक्की शायद ही किसी देश ने की हो !

दूसरी ओर किसान की कृषि आधारित तरक्की उनती नहीं हुई है ! जितनी अन्य व्यापारिक सैक्टरों में या पूंजीपतियों की हुई है ! आज की राजनीति में किसानों की भागीदारी नग्नय है ! वह लोग किसानों के झंडाबरदार बने बैठै हैं जिनका किसानी से दूर दूर तक कोई वास्ता ही नहीं है ! नेता राजनैतिक दलों में अपने क्षेत्र की जनता के प्रतिनिधि न होकर पार्टी के प्रतिनिधि बने हुये हैं !

पहले नेता अपने विचारों से जनता की ओपियन चैंज करते थे ! आज प्रधानमंत्री स्तर के नेता जनता की सोच और पसंद देख कर बोलते हैं और उनका आई. टी. सेक्टर सोशल मिडिया पर अपने नेता की वाहवाही करके जनता को भ्रमित करता है !

मेरी नजर में यह सब राजनीति और पूंजीपतियों का निम्नतम स्तर का गठबंधन है ! जो देश की जनता को सिर्फ विकास के नाम पर बरगला कर राष्ट्र के नागरिकों को मुर्ख बना रहा है ! यहाँ तक कि बिना युद्ध के सैनिकों को मरवाया जा रहा है और उन शहीदों की लाशों से भी वोटों की उम्मीद किये बैठे हैं !

इस तरह की राजनीति और किसानों का शोषण ज्यादा दिन नहीं चलने वाला है ! देश का युवा शीघ्र ही मानसिक यातना सह कर जागेगा ! तब देश की राजनीति में इतना बढ़ा परिवर्तन होगा कि आज के क्षुब्द नेता उसमें कहीं नजर नहीं आयेंगे ! यही सत्य है !

जिस दिन जनता जान लेगी कि हमें मिली आजादी झूठी है ! उस दिन भारत में भी फ़्रांस और रूस की तरह क्रांति होगी ! जब देश का भूखा नंगा मजदूर किसान सडकों पर अपनी जान हथेली पर लेकर निकलेगा ! जिसे कोई पुलिस, मिलेट्री नहीं रोक पायेगी और नेताओं, अपराधियों और पूंजीपतियों का गिरोह टूटेगा ! पर इसकी भारी कीमत राष्ट्र को चुकानी पड़ेगी ! और देश में बढ़ती जागरूकता को देख कर लगता है कि वह दिन दूर नहीं है !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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