आखिर स्वार्थ और शिक्षा के कारण भारत का मारा हुआ समाज कैसे पुनर्जीवित होगा ! Yogesh Mishra

मेरे पड़ोस में एक सुन्दर सी छोटी बच्ची थी ! पता चला कि उसकी कुछ दरिंदों ने हत्या कर दी है ! पुलिस को उस बच्ची की लाश मिल गई है ! पंचनामा के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिये जाना है ! पुलिस ने पंचनामा तैयार कर लिया है ! अभी बच्ची के पिता का फोन आया कि मैं कुछ लोगों के लेकर घटना स्थल पर पंचनामा में हस्ताक्षर करवाने के लिये पहुंच जाऊं !

मैने तत्काल पड़ोस के बैंक मैनेजर साहब को पूरी घटना बतलाई और उनसे साथ चलने का आग्रह किया ! मैनेजर साहब ने बतलाया के आज उनके बैंक में इंस्पेक्शन लगा हुआ है, अतः उन्हें समय से बैंक जाना आवश्यक है ! साथ ही उन्होंने यह भी सुझाव दिया के बगल में जो डॉक्टर साहब हैं ! वह सरकारी डॉक्टर हैं वह प्राय: पोस्टमार्टम में जाते रहते हैं ! आप इन्हें साथ ले लीजिये ! यह आपके लिये अधिक मददगार होंगे !

मुझे सुझाव पसंद आया ! मैं डॉक्टर साहब के पास गया ! उन्हें पूरा विषय बतलाया ! डॉक्टर साहब ने कहा “अरे भाई इस सब लफड़े में मुझे मत डालिये ! वैसे ही मैं बहुत परेशान हूं ! पंचनामा के बाद बार-बार अदालत आना-जाना पड़ता है ! मेरा काफी नुकसान होता है ! बच्ची के पिता को बतला दीजिएगा कि मैं अपने बच्चे के पेरेंट्स टीचर मीटिंग में गया हुआ हूं !”

तभी मुझे सामने से आते हुए अपने वकील साथी दिखे ! मैंने उनको हाथ दिया ! वह बड़ी शालीनता के साथ गाड़ी रोक कर खड़े हो गये ! मैंने उनको पूरा विषय बतलाया ! उन्होंने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि “मैं चलता तो जरूर लेकिन आज मेरा एक महत्वपूर्ण मुकदमा लगा हुआ है ! अतः मैं आपकी मदद नहीं कर पाऊंगा ! खैर अपनी संवेदनाओं को व्यक्त करते हुये उन्होंने गाड़ी स्टार्ट की ओर चले गये !

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं जिन लोगों के साथ रोज उठता बैठता था ! आज इस मौके पर वह कोई भी व्यक्ति मेरे साथ नहीं खड़ा है ! तभी मुझे ध्यान आया के पीछे गली में यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रहते हैं ! जो प्रायः समाज को जोड़ने की बात करते हैं ! मैं भागता दौड़ता उनके पास गया और उन्हें पूरा विषय बतलाया ! उन्होंने तहे दिल से अफसोस जाहिर किया लेकिन चलने के नाम पर उन्होंने कहा “मुझ में इतना साहस नहीं है कि मैं आपके साथ घटना स्थल पर चल सकूं ! इसलिए आप मुझे माफ कर दीजिये !

साथ ही उन्होंने मुझे ध्यान दिलवाया कि बगल में जो इंस्पेक्टर साहब रहते हैं ! वह आजकल छुट्टी में घर आये हुये हैं ! कोर्ट कचहरी के मामले में काफी निपुण हैं ! इसलिए इंस्पेक्टर साहब से चर्चा करके देख लीजिये ! शायद यह आपकी मदद कर सकें !

मैंने बगल के घर में इंस्पेक्टर साहब की घंटी बजाई ! इंस्पेक्टर साहब लूंगी में ही निकल कर बाहर आ गये ! मुझे देखते ही बड़ी तेजी से लपक कर मेरे पैर छुये और मुझे अंदर आने का आग्रह करने लगे ! मैंने समय के अभाव का हवाला देते हुए उनसे पूरा विषय बतलाया और साथ चलने का आग्रह किया ! मेरा आग्रह सुनते ही उनके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी और उन्होंने कहा कि मैं आपकी बात काटना नहीं चाहता हूं ! लेकिन मेरी मजबूरी है कि मैं इस समय दूसरे जिले में तैनात हूं और वर्तमान में बिना छुट्टी लिये ही 2 दिन के लिए घर आया हूं ! ऐसी स्थिति में मेरी कहीं लिखा पढ़ी में दस्तखत करने की स्थिति में नहीं बनती है ! अतः मैं आपकी कोई मदद इस विषय में नहीं कर पाऊंगा !

खैर कोई बात नहीं मैं उदास मन से अपने घर की तरफ लौट ही रहा था कि सामने से सभासद महोदय आते दिखाई दिये जो चुनाव में प्राय: मेरे दरवाजे पर ही बैठे रहते थे कि मेरे प्रभाव के कारण शायद उन्हें कुछ वोट ज्यादा मिल जायें ! मुझे आता देख सभासद महोदय ने मेरे पैर छुये ! मेरा कुशल हाल पूछा लेकिन जब मैंने संपूर्ण घटना को बतलाया और उनसे अपने साथ चलने का आग्रह किया तो उन्होंने कहा कि “जिनकी बच्ची मरी है वह दूसरे राजनीतिक दल के व्यक्ति हैं ! यदि मैं उनकी बच्ची के पंचनामे में जाकर दस्तखत करूंगा ! तो मैं जिस राजनीतिक दल का हूं ! वहां के लोग मेरे विरुद्ध खड़े हो जाएंगे ! अतः इस विषय पर मैं आपकी मदद नहीं कर पाऊंगा !

तभी मेरे यहां सब्जी बेचने वाला ठेला ठाकेलते हुए आता दिखाई दिया ! उसने ठेला रोका मेरे पैर छुये और मेरी परेशानी का कारण पूछा मैंने उसे पूरी घटना ज्यों की त्यों बदला दी ! वह संवेदनशील सब्जी बेचने वाला बोला “भैया 5 मिनट का समय दीजिये ! मैं ठेला घर पर खड़ा करके तुरंत आपके यहां आ रहा हूं ! मैं साथ चलूंगा और इतना कहते हुए वह ठेला को लेकर तेजी से अपने घर की ओर बढ़ गया ! मैं अपने घर पहुंचा तो वहां पर मेरा दूध वाला मेरे घर पर दूध दे रहा था ! मेरी पत्नी ने बगल में हुई पूरी घटना उस दूध वाले को बतला रखी थी ! मेरी शक्ल देखते ही वह रोवासा हो गया और बच्ची की चर्चा करने लगा !

मैंने उसको बतलाया कि पंचनामा में दस्तक करने के लिए 5 आदमी नहीं मिल रहे हैं ! उस दूधवाले ने कहा “भैया मेरा थोड़ा दूध बचा है ! आप मेरी बाल्टी घर पर रख लीजिये ! मैं आपके साथ चल रहा हूं !” तभी सब्जी वाला भी आ गया ! मेरी पत्नी और मैं पहले से ही चलने के लिए तैयार थे ! हमने अपनी कार स्टार्ट की ! मैं, मेरी पत्नी, सब्जी वाला और दूध वाला घटना स्थल पर पहुंचकर पंचनामा की विधिक औपचारिकता को पूरा कर दिये !

लेकिन मैं चिंतन करता रहा कि “लोग कहते हैं, शिक्षित होने से भय समाप्त हो जाता है ! लेकिन मैंने यह महसूस किया कि जो व्यक्ति जितना अधिक शिक्षित है, वह उतना ज्यादा भयभीत है ! जिस शिक्षा के परिणाम स्वरुप व्यक्ति के भय का स्तर बढ़े ! वह शिक्षा कभी भी व्यक्ति का भला नहीं कर सकती है और इस शिक्षा पद्धति से शिक्षित व्यक्ति समाज में मरे हुये व्यक्तियों की तरह हैं ! जो कभी किसी के काम नहीं आ सकते ! अब प्रश्न यह है कि व्यक्तियों को मारने वाली इस शिक्षा पद्धति का जब शासन सत्ता द्वारा पोषण और संरक्षण हो रहा है, तो इससे उत्पन्न होने वाले मरे हुये शिक्षत व्यक्ति कैसे पुनर्जीवित होंगे !”

ओशो ने सही ही कहा था कि “हम समाज में नहीं, भीड़ में जीते हैं ! जिसमें किसी को किसी से कोई मतलब नहीं है !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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