आखिर आर.एस.एस. को कौन ख़त्म करना चाहता है ! Yogesh Mishra

आर. एस. एस. अर्थात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या तो संघर्ष करता है या सत्ता सुख भोगता है ! परिवर्तन एक निरंतर प्रक्रिया है ! किसी भी संगठन की उत्पत्ति संघर्ष से होती है, विस्तार सत्ता से होता है और परिणाम राष्ट्र को मिलता है ! कभी भी स्वयंसेवक को नहीं मिलता है ! जिन व्यक्तियों में राष्ट्र हित के लिये गहन आस्था हो उन्हें ही इस तरह के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में जाना चाहिये !

परंतु अब देखने में यह आ रहा है कि संघ के अंदर सत्ता सुख के करीब जाने की होड़ लगी है और जो लोग वास्तव में राष्ट्र के लिए कार्य करना चाहते हैं उनकी स्थिति संघ के अंदर एक मेहनती कार्यकर्ता से अधिक और कुछ नहीं है ! लोग सत्ता सुख का भोग करने की लालसा से संघ के माध्यम से सत्ता में घुसने की कोशिश कर रहे हैं !

ऐसे लोग संघ और राष्ट्र दोनों के लिए घातक हैं क्योंकि वर्षों में संघ ने जो अपनी छवि अपने कार्यों के कारण समाज में बनाई है, वह निसंदेह राष्ट्र अनुरूप है और समाज ने उसे स्वीकृति भी दी है ! किंतु जिस तरह के सत्ता लोलुप लोग इस समय संघ के माध्यम से सत्ता में घुसने का प्रयास कर रहे हैं, यह स्थिति संघ की छवि को तो बिगड़ता ही है ! साथ में इससे राष्ट्र का भी बड़ा नुकसान होगा क्योंकि यहां नियत और मनसा राष्ट्र के सेवा की नहीं बल्कि सत्ता सुख भोगने की है !

इसके साथ ही अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय विनाशकारी शक्तियां भी संघ के विनाश में लगी हुई हैं ! वह विनाशकारी शक्तियां यह जानती हैं कि जब तक संघ का प्रभाव भारतीय जनमानस में रहेगा, तब तक भारतीय संसाधनों पर हमारा कब्जा नहीं हो पायेगा ! इसलिए संघ द्वारा स्थापित राजनीतिक दल के अंदर कुछ ऐसे लोगों को बलपूर्वक प्रवेश करा दिया गया है जो आज अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय विनाशकारी शक्तियों के प्रतिनिधि के रूप में राज्यसभा और लोकसभा में कार्य कर रहे हैं !

इनको न राष्ट्र से कोई लेना देना है और न ही हिंदू धर्म से ! यह वही लोग हैं जो विदेशों में विदेशी मुद्रा के लिये अधिक से अधिक गौ मांस बेचने की पैरवी करते हैं और शासन सत्ता को सलाह देते हैं यदि राम मंदिर बन गया तो देश का अमन चैन खत्म हो जाएगा !

सत्ता को लंबे समय तक चलाये रखने के लिए आवश्यक है कि सत्ता जम्मू-कश्मीर के विषय में हस्तक्षेप न करे या फिर भारत में धर्मनिरपेक्षता की ओट में जो धर्मांतरण का विदेशी शक्तियों के द्वारा विशेष अभियान चलाया जा रहा है उसको वैसा ही चलने दिया जाये !

राष्ट्र में अमन चैन बनाये रखने के लिये बांग्लादेशी व रोहंगिया मुसलमानों को देश से न निकला जाये बल्कि उन्हें छद्म नागरिकता देना स्वीकार कर लिया जाये ! सत्ता में बने रहने के लिये यही उचित होगा !

इस तरह के राष्ट्रीय सलाहकार राष्ट्र के लिए एक बहुत बड़ी समस्या बन गए हैं ! आर्थिक कारणों से वर्तमान राजनैतिक दलों में इनका प्रभाव इतना अधिक है कि राष्ट्र के राजनैतिक मुखिया भी इनका विरोध करने में अपने को अक्षम महसूस करते हैं या दूसरे शब्दों में कहा जाये कि राष्ट्रवादी राजनैतिक दलों की आर्थिक आपूर्ति यही राष्ट्रघाती लोग ही कर रहे हैं ! जो वर्तमान राजनैतिक आवश्यकता है !

इस पर संघ को गहराई से विचार करना चाहिये ! संघ पूरी तरह से एक लोकतांत्रिक सामाजिक संस्थान है ! यहां पर हर व्यक्ति पूरी तरह से राष्ट्र के लिए समर्पित है ! लेकिन संघ के अंदर होने वाली गुटबाजी आज संघ के चरित्र और व्यक्तित्व दोनों को बिगाड़ रही है ! जो अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र कारियों के दबाव में भी हो सकता है ! किंतु यह स्थिति राष्ट्र के लिये घातक है !

जिन लोगों ने अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्र के उत्थान के लिये संघ में दे दिया है ! आज संघ में उनकी भी नहीं सुनी जा रही है ! यह स्थिति यह बतलाती है कि संघ में अब अन्य किसी बाहरी शक्ति का प्रभाव बढ़ रहा है जो न तो संघ के ही नियंत्रण में है और न ही संघ के लिये शुभ ही है !

संघ को ऐसे लोगों को पहचानना होगा और यदि समय रहते संघ ने इन लोगों पर उचित कार्यवाही नहीं की तो वह समय दूर नहीं जब संघ अपना विश्वास जनसामान्य में खो देगा और शनैः शनैः अपने अस्तित्व को ही मिटा देगा ! आज भी संघ में जो पूर्णकालिकों का अभाव ही हो रहा है ! वह संघ के प्रति होती लोकप्रियता की कमी का ही परिणाम है !

इस पर संघ ही नहीं राष्ट्र के प्रत्येक व्यक्ति को विचार करना चाहिये ! क्योंकि भारतीय सत्य सनातन हिंदू धर्म के रक्षक संघ संस्कृति की रीड की हड्डी के रूप में कार्य कर रहे हैं ! यदि संघ को क्षति हुई तो निश्चित रूप से राष्ट्र और सनातन हिंदू धर्म को भी बड़ी क्षति होगी !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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