आप ही निर्णय कीजिये कि क्या मैं नास्तिक हूँ ! Yogesh Mishra

महाराष्ट्र के पालघर में 2 साधुओं और उनके ड्राइवर की पीट-पीटकर हुई थी ! इस हत्या के मामले में मैंने अपने फेसबुक के वॉल पर एक कमेंट डाला कि “गजेंद्र मोक्ष के समय भगवान विष्णु ने आकर ‘मगर’ को सुदर्शन चक्र से मारकर गज अर्थात हाथी की रक्षा की थी ! तो क्या इन संतों की रक्षा के समय भगवान विष्णु सो गये थे !” जिस पर मुझसे नाराज होकर मेरे एक 35 वर्ष पुराने मित्र ने कमेंट किया कि “मिश्रा जी क्या मुगलों के अधूरे काम को पूरा करना चाहते हैं !” इसी तरह मेरे विचारों को जानकर बहुत से लोग मुझे हिन्दू धर्म विरोधी नास्तिक कहते हैं !

उनकी नाराजगी जायज है ! लेकिन प्रश्न यह है कि क्या भगवान के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह उठा देना ही किसी व्यक्ति के नास्तिक होने का पक्का प्रमाण है ! क्या भगवान का अस्तित्व हमारी नसमझी के कारण जो मिट रहा है उस पर बिल्कुल भी चर्चा नहीं होनी चाहिये ! हम ईश्वर और अवतार वाद में ही उलझे रहेंगे ! आज जो षड्यंत्र सनातन जीवन पद्धति के विरुद्ध चल रहा है उसे मात्र ईश्वर भरोसे छोड़ दिया जाये उसकी बिल्कुल भी चिंता नहीं की जानी चाहिये !

मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि मेरे एक कमेंट से यदि मैं नास्तिक घोषित किया जा सकता हूं ! तो बनारस के अंदर गंगा नदी के तट पर बाबा विश्वनाथ के दरबार में बुलडोजर लगाकर 850 से अधिक प्राचीन और पौराणिक कालीन मंदिरों को खोद कर फेंक दिया गया ! उसके अंदर स्थापित हिन्दू आस्था के प्रतीक बहुमूल्य देवी-देवताओं की मूर्तियां गंदे नालों में फेंक दी गई ! उन मंदिरों में जो मूल्यवान संपत्ति थी ! उसको वहां के मंदिर उजाड़ने वालों ने हड़प लिया और पुलिस प्रशासन और डंडे के जोर से बनारस की व्यासपीठ को नेस्तनाबूद कर दिया ! जिससे अवसादग्रस्त होकर बनारस व्यासपीठाचार्य ने अन्न जल त्याग कर अपना शरीर छोड़ दिया और कोई भी हिंदू उनके साथ खड़ा नहीं हुआ ! तब तो किसी ने नहीं कहा कि यह करने और करवाने वाला नास्तिक है ! जो मुगलों के अधूरे कार्य को पूरा कर रहा है !

इस विषय को लेकर जब मैं उत्तर प्रदेश के राज्यपाल और बीजेपी कार्यालय के प्रमुख अधिकारियों से मिला ! तब तो मेरे साथ कोई भी तथाकथित हिंदू साथ चलने को तैयार नहीं हुआ ! जब मैं राज्यपाल भवन और बीजेपी कार्यालय में निजी स्तर पर प्रयास करके मिला ! तो दोनों ही जगह मेरे प्रमाणों को देखकर सन्नाटा छा गया ! लेकिन हुआ कुछ भी नहीं और किसी भी तथाकथित हिंदू ने मेरा कोई साथ नहीं दिया ! जो आज मेरे नास्तिक होने का आरोप लगते हैं !

इसी तरह 19 जनवरी 1990 को कड़ाके की ठंड में 4 लाख कश्मीरी पंडितों की बहू बेटी और संपत्ति आदि सब कुछ छीन कर उन्हें उनकी पैतृक जन्मभूमि कश्मीर से भगा दिया गया ! मासूमों के गले रेत दिये गये ! सडकों पर सारे आम बाप भाई के सामने बहन बेटी का बलात्कार किया गया ! तब उनकी मदद के लिये न तो कोई भगवान आया और न ही कोई तथाकथित हिंदू आगे आया ! मंदिरों ने भी अपने दरवाजे इन 4 लाख कश्मीरी पंडित हिन्दुओं के लिये बंद कर दिये ! प्रशासन अंधा गूंगा और अदालत बहरी हो गई ! कहीं कोई न्याय नहीं मिला ! तुम्हारा भगवान भी मंदिर के कपाट बंद करके सो गया !

जबकि यह वह दौर था ! जब पूरे देश में राम जन्म भूमि को लेकर के हिंदूओं का ध्रुवीकरण हो रहा था ! तब भी किसी ने इन कश्मीरी पंडितों की सुध नहीं ली और कश्मीर के अंदर के 5000 से अधिक मंदिर इन विधर्मियों ने तोड़ दिये तब कहाँ था तुम्हारा भगवान ! तब किसी भी मंच पर किसी भी हिंदू ने उफ तक नहीं की ! क्या यह सनातन धर्म और वैष्णव जीवन शैली पर सीधा हमला नहीं था !

मेरा यह मानना है अगर कश्मीरी पंडित मात्र ईश्वर के भरोसे न बैठे होते तो शायद उन्हें उस समय कश्मीर न छोड़ना पड़ता ! धर्म का मूल सिद्धांत है “धर्मो रक्षति रक्षिता” अर्थात जब हम धर्म की रक्षा करने में सक्षम होते हैं ! तब धर्म हमारी रक्षा करता है !

कहने का तात्पर्य यह है कि यदि हमें धर्म की रक्षा करनी है ! तो उसके लिये सबसे पहले इतना सशक्त बनना पड़ेगा कि विधर्मी को सर उठाने का साहस ही न हो ! मात्र ईश्वर के भरोसे रहकर यदि सनातन हिंदू समाज ने अपना शस्त्र और शास्त्र दोनों त्याग दिया तो यकीन मानिये ! वह दिन दूर नहीं जब हमारी बहू बेटियां अफगानिस्तान के बाजार की तरह हर महानगर के चौराहे पर 2-2 दिनार में बिकेंगी ! और हम बस सिर्फ अपने मृत्यु के क्रम का इंतजार करने के अतिरिक्त और कुछ नहीं कर पायेंगे !

मुझे नास्तिक और विधर्मी कहने वालों मैं तुमसे यह जानना चाहता हूं कि जब एम. एफ. हुसैन हमारे देवी-देवताओं के नंगे चित्र बनाकर सरेआम नीलाम कर रहा था तब तुम कहां थे !

आज कमलेश तिवारी जैसे महान सनातन धर्मी योद्धा का गला दिनदहाड़े लखनऊ की व्यस्त गलियों में काट दिया गया ! उस समय तुम कहां थे !

आज भी धड़ल्ले से भारतीय सनातन धर्म के साहित्य को दूषित करके प्रकाशित किया जा रहा है ! हर मंदिर के दरवाजे पर वह दूषित ग्रंथ बिक रहा है ! तब मुझे नास्तिक कहने वालों तुम ही हो जो पैसे देकर इन दूषित धर्म शास्त्रों को खरीदते हो और अपने पूजा घरों में रखते हो !

आज लगभग हर मंदिर के अंदर तुम्हारे भगवान के बराबर में एक इस्लामिक फकीर “साईं बाबा” के नाम से बैठा है और तुम्हारे जैसे लोग ही जाकर उस मंदिर को पोषित करते हैं ! जिसे सनातन देवी-देवता से ज्यादा महत्व दिया जा रहा है ! तब यह सब देख कर तुम्हारा धर्म कहां चला जाता है !

मैं यह जानता हूं कि तुम सभी जो आज मुझे नास्तिक कह रहे हो ! वह वास्तव में अंदर से डरे हुये वह लोग हो जो सनातन धर्म को नष्ट करने वालों से भयभीत हैं ! तुम में वह साहस ही नहीं है ! जो तुम सनातन धर्म का विनाश करने वालों के विरुद्ध संगठित हो सको ! इसलिए तुम ईश्वर का वास्ता देकर अपना पिण्ड छुड़ा लेना चाहते हो और मेरे जैसे व्यक्ति को नास्तिक और विधर्मी कहते हो ! यदि तुम में साहस है तो आओ आगे और सनातन धर्म का झंडा पकड़ो, उसको विश्व के परचम पर फैहरा दो ! तब देखना कोई तुम्हारे साथ हो या न हो ! मैं वह व्यक्ति होऊँगा ! जो तुमसे भी एक कदम आगे चल रहा होगा !

लेकिन आज ईश्वरवाद और अवतारवाद ने हिंदुओं को नपुंसक बना दिया है ! वह कलगी अवतार के जन्म का इंतजार कर रहा है ! आज हिंदुओं ने शस्त्र और शास्त्र का परित्याग कर दिया है और एक ऐसी कपोल कल्पित पूजा पद्धति को अपना लिया है जो न हिंदू की रक्षा कर सकती है और न ही हिंदूओं के देवी देवताओं की !

इसलिये मुझे नास्तिक कहने वाले बहुत से तथाकथित हिन्दुओं को मैं कहता हूँ कि मुझसे पहले तुम स्वयं पर विचार करो कि क्या तुम कहीं छद्म हिंदू तो नहीं ! जो हिंदू जैसे दिखते तो हो पर तुम्हारी सद्भावना सदैव भयवश या स्वार्थवश विधर्मी के साथ है और तुम यह जानते हो कि तुम अपनी रक्षा नहीं कर सकते फिर भी उस ईश्वर के भरोसे समाज को छोड़कर पलायन का रास्ता अपना रहे हो !

तुम्हारे ही जैसे छद्म हिन्दुओं के लिये ही भगत सिंह ने लाहौर के जेल में रहते हुये एक लेख 27 सितम्बर 1931 को लिखा था ! जो लाहौर के अखबार “ द पीपल “ में प्रकाशित हुआ ।कभी अवसर लगे तो उसको भी पढ़ लेना !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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