अक्षरों में ज्ञान नहीं होता है !
अक्षरों में ज्ञान नहीं होता है ! ज्ञान एक ऊर्जा है जिसे किसी भी अक्षर उच्चारण वाक्य या पुस्तक में नहीं समझा जा सकता है बल्कि अक्षर या शब्द ज्ञान की अभिव्यक्ति मात्र हैं !
सृष्टि में ऐसा कोई भी ज्ञान नहीं है, जो हमें पूर्व से ही पता न हो ! हमारे जन्म जन्मांतर तक ज्ञान की प्रत्येक श्रंखला को हमारे अपने मस्तिष्क के अंदर यादास्त के रूप में सुरक्षित है ! शब्द या अक्षर मात्र उस ज्ञान को पुनः याद दिलाने में सहायक हैं ! जैसे कोई पुस्तक मैंने बहुत पहले पढ़ रखी है, वर्तमान में वह विस्मरण में चली गई है लेकिन जब उस पुस्तक को पुनः पढ़ते हैं तो आपको पता चलता है कि यह पुस्तक मेरे पूर्व की पढ़ी हुई है !
ठीक इसी तरह मनुष्य जन्म जन्मांतर से ज्ञान प्राप्त कर रहा है ! वर्तमान जगत में ज्ञान की कोई भी ऐसी विधा नहीं है जो मनुष्य को पहले से प्राप्त न हो लेकिन होता यह है कि मनुष्य भौतिक भोग और संस्कारों के प्रभाव में अपने उस पूर्व संचित ज्ञान को भूल जाता है और उस स्थिति में जब व्यक्त किसी भी माध्यम से किसी भी शब्द या अक्षर से उस ज्ञान की श्रंखला के किसी भी अंश को याद करता है तो उसे सब कुछ स्मरण में आ जाता है !
इसलिए ज्ञान शब्द या अक्षर में नहीं बल्कि मनुष्य के अंदर है ! शब्द या अक्षर तो मात्र मनुष्य के अंदर पूर्व में स्थित ज्ञान को प्रकट करने में सहायक मात्र हैं ! इससे अधिक इसका और कोई महत्व नहीं है !
अत: व्यक्ति यदि गहन साधना में जाये तो इसके लिये उसे अपने पूर्व संचित ज्ञान की पुनरावृत्ति के लिये किसी भी पुस्तक, शास्त्र, शब्द या अक्षर की आवश्यकता नहीं है ! मात्र गहन साधना ही पर्याप्त है !
इसके लिए “ब्रह्मास्मि क्रिया योग साधना” पूर्णता वैज्ञानिक है और इसके आश्चर्यजनक परिणाम सामने आते हैं ! यदि कोई छात्र “ब्रह्मास्मि क्रिया योग साधना” करता है तो निश्चित रूप से बहुत कम परिश्रम में वह अपने ज्ञान चक्र को जागृत कर आश्चर्यजनक परिणाम दे सकता है !
इसलिए मेरी सलाह है कि जो भी व्यक्ति प्रतियोगी परीक्षायें दे रहा है या किसी भी स्तर पर कोई भी ज्ञान प्राप्त कर रहा है ! उसे कम से कम आधे घंटे “ब्रह्मास्मि क्रिया योग साधना” अवश्य करना चाहिये ! जिससे उनका बौधिक कौशल्य जागृत होगा और वह समाज में अपने ज्ञान के प्रभाव को बहुत ही कम परिश्रम में प्रस्तुत कर अपना श्रेष्ठ स्थान बना सकेगा ! यही अतिरिक्त प्रतिभा की पहचान है ! इसी से समस्त सांसारिक सुख प्राप्त होते हैं !