राजीव दीक्षित जी की मरणोपरांत “हत्या” | Yogesh Mishra

जैसा कि मेरे निजी संज्ञान में है कि राजीव दीक्षित एक ऐसे राष्ट्रवादी चिंतक, विचारक और वक्ता थे ! जिन्होंने अपना पूरा जीवन “भारत के विनाश के मूल कारणों” को खोजने में लगा दिया और इतना ही नहीं इस “विनाश के मूल कारणों का भारतीय समाज पर क्या प्रभाव पड़ा और भारत के समाज को इन विनाशकारी षड्यंत्रों से कैसे बचाया जाए” तथा भारत को पुनः विश्व में गरिमामय देश कैसे बनाया जाए ! इस पर हमारे साथी श्री राजीव दीक्षित जी ने आजीवन चिंतन, मंथन और प्रवचन किये !

संसाधनों के अभाव में सदैव राजीव जी को यह पीड़ा रही कि भारत का समाज जानबूझकर सारी समस्याओं को जानते हुए भी निष्क्रिय क्यों है ? भारतीय समाज के अंदर “वैचारिक क्रांति” फैलाने के लिए उन्होंने भारत के कोने कोने में घूम घूम कर लोगों को राष्ट्रीय समस्याओं का मूल कारण और उसके समाधान के सुझाव अपने वक्तव्यों के माध्यम से दिये पर सदैव उनके मन में यह इच्छा रही कि “काश मुझे कोई ऐसा प्लेटफार्म मिल जाता जिस पर मैं अपनी बात कम से कम समय में अधिक से अधिक भारतीयों तक पहुंचा पाता !” ईश्वर की उन पर कृपा हुई और उन्हें एक बड़ा प्लेटफार्म “भारत स्वाभिमान” के नाम से प्राप्त हुआ ! जिस पर उन्होंने बिना किसी डर के खुलकर राष्ट्रवादियों को एक मंच पर लाने के लिए पूरा प्रयास किया !

लेकिन देश के कुछ गद्दारों को उनका यह प्रयास रास नहीं आया और उनके जीते जी ही उनका विरोध आरंभ हो गया था ! किंतु उनके प्रभावशाली व्यक्तित्व के आगे जब “राष्ट्र के गद्दार” उनके विचारों की हत्या नहीं कर पाए ! तब अचानक एक दिन सूचना मिली कि राजीव भाई का “रहस्यमय परिस्थितियों में निधन” हो गया है ! जिस पर दुर्भाग्य यह रहा कि “राजीव भाई के निधन के रहस्य” को सुलझाने में न तो समाज ने कोई रुचि ली और न ही उनके परिवार वालों ने सत्य जानना चाहा !

जिन लोगों के साथ उन्होंने पुनः “भारत को विश्वगुरु और सोने की चिड़िया” बनाने का निर्णय लिया था ! उन्हीं “भगवा व्यवसायियों” ने 4 जून 2011 की घटना के बाद राजीव भाई के विचारों के प्रचार-प्रसार से अपना मुंह मोड़ लिया ! यह तो धन्य है राष्ट्र के महान सपूत “श्री ध्रुव जी व उनके अन्य साथियों” जिन्होंने सीमित संसाधनों में भी यथासंभव राजीव जी के अधिकांश “ऑडियो वीडियो” संग्रहित कर “सोशल मिडिया” पर डाल दिये ! जिससे उनके मरणोपरांत इस देश के एक करोड़ से अधिक लोगों ने राजीव जी के विचारों को जाना, समझा और अपनाया है !

किंतु प्रत्येक समाज में कुछ दूषित सोच के “निकृष्ट व्यवसाई” होते हैं ! जिन्होंने “राजीव प्रेमी” होने का नाटक तो पूरा किया किंतु राजीव जी के विचारों में न तो उनकी कोई आस्था थी और न ही उनके विचारों को आगे बढ़ाने के लिए उनका कोई समर्पण था ! इन्हीं “निकृष्ट व्यवसाइयों” ने राजीव जी के नाम पर जगह-जगह अपनी दुकानें खोल ली और समाज में राजीव प्रेमी होने का भ्रम पैदा किया ! फिर इन “निकृष्ट व्यवसाई” द्वारा धन और सम्मान के लालच में राजीव भाई के नाम पर सभी तरह की सही-गलत बातों का प्रचार प्रारंभ किया गया ! चाहे उन्होंने वास्तव में वह वक्तव्य दिया हो या न दिया हो !

आयुर्वेद, राष्ट्रप्रेम, इतिहास, स्वदेशी आदि सभी कुछ उनके नाम पर बेचा जाने लगा ! जिसका परिणाम यह हुआ कि राजीव जी को हृदय से प्रेम करने वाले लाखों लोगों ने इन “निकृष्ट व्यवसाइयों” का आंख बंद करके समर्थन किया और इनका तन, मन, धन से सहयोग किया ! लेकिन भ्रम अधिक दिन नहीं चला और अब धीरे-धीरे समाज इन “निकृष्ट व्यवसाइयों” को पहचानने लगा है !

लेकिन समाज के पहचानने तक इन “निकृष्ट व्यवसाइयों” ने राजीव भाई के नाम पर उनके विचारों की समाज के साथ विश्वासघात करके हजारों बार हत्या कर दी ! आज परिणाम यह है कि लोग अपने निजी स्वार्थ वश चाहे भले ही राजीव भाई के स्वास्थ्य संबंधी विचारों को सुन, समझ, अपना रहे हो ! लेकिन वास्तविक मूल उददेश्य जो उनकी सोच का था कि “भारत की सनातन स्वदेशी राष्ट्र केंद्र जीवनशैली का विकास हो ! जिससे भारत के ज्ञान और उद्योग का परचम पूरे विश्व में लहराए और भारत पुनः “विश्व गुरु और सोने की चिड़िया” बने !” यह ख्वाब राजीव भाई के विचारों की हत्या करने वाले इन “निकृष्ट व्यवसाइयों” के कारण अधूरा छूट गया है !

आवश्यकता है कि इन “निकृष्ट व्यवसाइयों” को चिन्हित करके समाज को यह बतालाने की, कि “राजीव जी के विचार मात्र धन कमाने के लिए नहीं हैं” जो इन “निकृष्ट व्यवसाइयों” द्वारा धन के लिये प्रचारित और प्रसारित किये जा रहे हैं ! बल्कि सच यह है कि आज यह समाज यदि राजीव जी के मूल विचारों पर चलना शुरू कर दे तो अगले 20 वर्ष के अंदर भारत पुनः “विश्व गुरु” बन जाएगा और भारत की अर्थव्यवस्था फिर से विश्व में “सोने की चिड़िया” के नाम से जानी जाने लगेगी ! बस आवश्यकता है इन निकृष्ट व्यवसाइयों से “राजीव जी के विचारों की हो रही हत्या को बचाने की !”

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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