आखिर भारत नई विश्व व्यवस्था पर मौन क्यों : Yogesh Mishra

शीत युद्ध की समाप्ति और दो ध्रुवीय विश्व की प्रतीक ‘‘बर्लिन की दीवार’’ के नवम्बर 1989 मे ढह जाने के साथ एक नई विश्व व्यवस्था का अधिकृत रूप से आगाज हो गया है ! आज भू-मण्डलीकरण, उदारीकरण और निजीकरण की नीतियां अपनाकर भारत भी इस नई व्यवस्था में सहयात्री बन गया है ! 25 वर्ष तक संसद में गठबंधन सरकार के चलते इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई ! लेकिन अब लोकसभा में पूर्ण बहुमत वाली सरकार के चलते अब विश्व के धन कुबेरों को उम्मीद है कि उनके सपनों का ‘‘न्यू वर्ल्ड आर्डर’’ कायम करने में भारत महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेगा !

नई विश्व व्यवस्था एक ‘‘विश्व सरकार’’ की कल्पना है ! जिसे साकार करने के लियह इल्युमिनाटी, बिल्डरबर्ग ग्रुप, कौंसिल फॉर फारेन रिलेशन्स त्रिपक्षीय आयोग (ट्रायलेट्रल कमीशन) फ्रीमेसन्स जैसे शक्तिशाली अन्तर्राष्ट्रीय और गुप्त संगठन वर्षों से प्रयासरत हैं ! अमेरिका, ब्रिटेन सहित अनेक शक्तिशाली देशों के शासनाध्यक्ष इनके प्रतिनिधि के रूप में कार्य कर रहे हैं ! इन संगठनों के मुखिया रॉथशील्ड, रॉकफेलर, मोरगन परिवार जैसे धनकुबेरों के साथ-साथ बिल्डरबर्ग ग्रुप से जुड़े लगभग 150 खरबपति हैं ! जो दुनियां के अधिकांश बैंकों और विशालकाय कम्पनियों के मालिक हैं !

अमेरिका, जापान, जर्मनी, ब्रिटेन, इजरायल, बेज्लियम, फ्रांस आदि देशों के यह धन्नासेठ ऐसा विश्व बनाना चाहते हैं ! जिसमे 50 करोड़ नागरिकों के लियह रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार की गारंटी होगी ! लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित यह विश्व नागरिक स्वयं केन्द्रित होंगे ! नई विश्व व्यवस्था में सभी राष्ट्र राज्यों का अंत हो जावेगा ! कोई निजी सम्पत्ति नहीं होगी ! पैत्रिक सम्पत्ति पर उत्तराधिकार का अधिकार नहीं होगा !

देश भक्ति के लियह कोई स्थान नहीं होगा ! परिवार नहीं होगा और धर्म भी नहीं होगा ! कार्लमार्क्स ने जिस ‘कम्यून’ की कल्पना की थी ! उससे मिलती इस व्यवस्था मे उत्पादन के सभी साधन समाज के हाथ में नहीं ! बल्कि बिल्डरबर्ग ग्रुप से जुड़े धनकुबेरों के स्थायी नियंत्रण में होंगे तथा उनका हित संवर्धन करना ही विश्व नागरिकों का परम् कर्त्तव्य होगा ! समाज दो भागों में बटा होगा ! एक शासक और दूसरा गुलाम ! मध्य वर्ग के सभी कार्य तकनालॉजी के माध्यम से सम्पन्न होंगे ! सभी नागरिकों पर माइक्रोचिप के जरियह नियंत्रण रखा जावेगा !

वर्तमान में दुनिया की आबादी लगभग 700 करोड़ है ! इस आबादी को घटाकर 50 करोड़ तक लाने के लियह विभिन्न उपायों की खोज में शीर्षस्थ वैज्ञानिकों को लगाया गया है ! वेक्सीनेशन और जेनेटिक इंजीनियरिंग से निर्मित खाद्यान्न के जरियह नई पीढी की प्रजनन क्षमता को खत्म करने का विश्व व्यापी अभियान गोपनीय रूप से चलाया जा रहा है ! बिल और मिलिंडा गेट्स फाउन्डेशन इसमें पूरा सहयोग कर रहा है ! मीडिया सम्राट वारेन बफेट ने भी इस अभियान में लगभग 30 बिलियन डालर का योगदान किया है ताकि धरती को मानव के अत्यधिक बोझ से छुटकारा मिले !

मनुष्य के श्वास विसर्जन से वातावरण में कार्बनडाय आक्साइड की मात्रा बहुत बढ़ रही है और क्लाइमेट चेंज हो रहा है ! इस जलवायु परिवर्तन के कारण विश्व का तापमान बढ़ रहा है ! जिससे मानव का अस्तित्व ही खतरे में आ गया है ! यह अवधारणा कायम कर दी गई है ! तापमान को बढ़ने से रोकने के लियह वातावरण में कार्बन डाय-आक्साइड कम करना होगा ! आबादी को घटाकर ही यही संभव है !

नई विश्व व्यवस्था के लियह एशिया ! अफ्रीका ! मध्यपूर्व के देशों की निर्धन आबादी को खत्म करना आवश्यक माना गया है ! ‘‘आबादी घटाना’’ और ‘‘नस्ल विशेष के हाथ में राजसत्ता’’ के सिद्धान्त का प्रतिपादन करने वाले विख्यात फेबियन सोसलिस्ट और दार्शनिक ‘‘बट्रेंड रसेल’’ हैं ! जिन्हें नई विश्व व्यवस्था का मसीहा माना जाता है !

विश्व की 80 से 90 फीसदी आबादी को खत्म करने के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य की प्राप्ति के लियह ‘नई विश्व व्यवस्था’ के हिमायती चंद धन कुबेरों द्वारा तीसरे विश्व युद्ध की संभावना ! जलधारा (नदी ! जलाशय) को विशाक्त बनाने !जैविक या रासायनिक हथियारों का उपयोग करने ! प्राकृतिक आपदा पैदा करने जैसे अनेक उपायों पर शोध कराया जा रहा है ! भारत सहित दुनिया के कृषि प्रधान देशों में किसानों से खेती की जमीन मुक्त कराने के लियह खेती को घाटे का सौदा बनाकर किसानों को आत्महत्या के लियह विवश करना ‘नई विश्व व्यवस्था’ को साकार करने की दिशा में एक सफल प्रयोग है ! भारत नेता इसमें पूरा सहयोग कर रही है !

इस महत्वपूर्ण परिघटना के संबंध में जागरूक समुदाय द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से सूचनाओं का प्रचार-प्रसार कर रहा है ! असंख्य रिपोर्ट और फिल्में यू-ट्यूब में उपलब्ध हैं ! मुख्यधारा के प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चूंकि ‘न्यू वर्ल्ड आर्डर’ के हिमायती कार्पोरेट के नियंत्रण में हैं ! इसलियह उनमें इससे संबधित गतिविधियों का प्रसारण नहीं होता ! कार्पोरेट मीडिया द्वारा सामाजिक सरोकारों की इस उपेक्षा के चलते दुनिया की अधिकांश आबादी अपने सिर पर मंडराते खतरे के प्रति बेखबर है ! भारत की राजनीतिक पार्टियों के सोच के दायरे से यह बहुत दूर की बात है क्योंकि अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं पर नजर रखकर रणनीति बनाने की प्रवृत्ति उन्होंने विकसित ही नहीं की है !

फिल्म और टेलीविजन के माध्यम से युवा पीढ़ी की मानसिकता ‘नई विश्व व्यवस्था’ के अनुकूल बनाने के लियह बहुत तेजी से काम चल रहा है ! शिक्षा, बैंकिंग, राजनीति, सैन्य शक्ति और इलेक्ट्रॉनिक्स के जरियह इस अभियान को द्रुत गति से आगे बढ़ाया जा रहा है ! रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन नई विश्व व्यवस्था के एकमात्र विरोधी राजनेता हैं ! महाशक्तियों से खतरे के चलते वे पूरी सैनिक शक्ति के साथ चलते हैं !

दूसरी तरफ भयावह भूख-प्यास, बढ़ती असमानता, बेरोजगारी, कुपोषण, नई-नई बीमारियां, बड़े पैमाने पर मार करने वाले घातक शस्त्र, अधिकाधिक आधिपत्य की महत्वाकांक्षा वाले नेतृत्व, बढ़ती हिंसा, आतंकवाद, नक्सलवाद, माओवाद, बढ़ते अपराध और उससे भी तीव्रतर जघन्य मानसिक आपराधिक प्रवृत्तियों की जन्मदाता जलवायु, मजहब के नाम पर साम्प्रदायिक उन्माद का दुष्प्रभाव, सुसंस्कृत समाज की मूलाधार संस्थाओं और जीवन-मूल्यों का द्रुतगति से भीषण क्षरण तथा व्यक्तिगत स्वार्थों व लालसा की पूर्ति के लियह सामाजिक हितों की बलि दी जा रही है !

अन्न पैदा करने वाला खेतिहर, उद्योगों, मिलों, कारखानों आदि में मेहनत करता मजदूर, निहित स्वार्थों का शिकार, सालों साल न्याय की गुहार करने वाले साधनविहीन व्यक्ति घोर लाचारी और निराशावश आत्म-हत्याएं करने को मजबूर है ! सुराज और राम राज्य का वादा अब तक के सत्ताधारी करते रहे हैं ! उन्होंने भारत को सुखी और समृद्ध बनाने का सपना भी संजोया ! लेकिन आज की वस्तुस्थिति उनके वादों के आसपास भी नहीं पहुंचती ! गरीबी पूरी तरह कभी न दूर हुई और न होगी, जीवन का यह सनातन सत्य वादा करने वाले भी स्वयं जानते हैं ! हां, यदि सही नीतियां ईमानदारी से लागू हों तो गरीब-अमीर के बीच की दूरी कम की जा सकती है !

सामाजिक तनाव और अपराध गरीबी के कारण नहीं बल्कि गरीब के तिरस्कार और सम्पन्न के दंभ और भौंडे प्रदर्शन के कारण पनपते हैं ! रोजमर्रा की जरूरतें- पानी, खाना, कपड़ा, मकान, दवा, शिक्षा, पूरी की जा सकती हैं ! इन साठ सालों में यह नहीं हुआ ! आज भी करोड़ों लोग भूखे और वस्त्रहीन हैं, बेरोजगार हैं, अशिक्षित हैं, अनेक प्रकार के अभावों को झेलते हैं ! यह त्रासदी हर शहर, हर गांव की है ! अगर भारत की सज्जन शक्ति सोती रह गयी तो दुनिया के लियह बहुत बुरा समय आने वाला है न कि सिर्फ भारत के लियह ! इसलियह जरा विचार करें और सही की खोज करें ! अच्छे और सच्चे लोगों को स्थान प्रदान करें !

अभी पिछले दिनों आस्ट्रेलिया मे सम्पन्न जी 20 सम्मेलन के दौरान उनके इर्द-गिर्द रूसी सेना का कड़ा पहरा था ! किन्तु आज तक भारत के प्रधानमंत्री ने नई विश्व व्यवस्था के संबंध में कोई अधिकारिक बयान नहीं दिया है ! देखना है कि संघ परिवार के प्रतिनिधि के रूप में ‘‘नई विश्व व्यवस्था’’ के प्रति उनकी प्रतिनिधि सरकार क्या रुख अपनाती है ! जब ‘‘नई विश्व व्यवस्था’’ भारतीय सभ्यता संस्कृति के अनुरूप नहीं है तो आखिर भारत के यह आका इस विषय पर मौन क्यों हैं !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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