महाराजा विक्रमादित्य के नौरत्न राज ज्योतिषी वराहमिहिर कहते हैं कि वापी, कूप, तालाब आदि जलाशयों के किनारे पर बगीचा लगाना चाहिये क्योंकि जलयुक्त स्थल यदि छायारहित हो तो शोभा नहीं पाता ! बगीचे की स्थापना हेतु कोमल भूमि अच्छी होती है ! जिस भूमि में बगीचा (बहुत सारे वृक्ष) लगाना हो उसमें पहले तिल बोवें, जब वे तिल फूल जायें, तब उनको उसी भूमि में मर्दन कर दे ! यह भूमि का प्रथम संस्कार है !
उनके द्वारा संहिता शास्त्र पर लिखी गई ‘बृहत्संहिता’ उनकी सर्वोत्तम रचना है ! वराहमिहिर वनस्पति शास्त्र के ज्ञाता ही नहीं थे बल्कि उनका मानना था कि सभी प्रकार के जंगली वृक्ष, लताएं, पुष्प, वनौषधि एवं यज्ञीय वनस्पति जगत का विषय है !
वह कहते हैं कि बगीचा लगाते समय सबसे पहले बगीचें में या घर के समीप चाहर दिवारी के निकट अशोक, पुन्नाग, शिरीष, प्रियंगु (कुकुनी) के वृक्ष लगाने चाहिये क्योंकि यह सभी वृक्ष अरिष्टनाशक एवं मंगल फलदायक है !
विभिन्न प्रकार के वृक्षों को लगानें के काल व ऋतु का निर्धारण करते हुये वराहमिहिर कहते हैं कि अजातशाखा अर्थात कलमी से भिन्न वृक्षों को शिशिर ऋतु (माघ-फाल्गुण) में, कलमी वृक्षों को वर्षा ऋतु (श्रावण-भाद्रपद) में लगावें ! तीनों उत्तरा (उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तरा भाद्रपद), रोहिणी, मृगशिरा, रेवती, चित्रा, अनुराधा, मूल, विशाखा, पुष्य, श्रवण, अश्विनी और हस्त ये नक्षत्र दिव्यदृष्टि वाले मुनियों ने वृक्ष रोपने के लिये श्रेष्ठ कहे है !
मनुस्मृति के अनुसार जिनके पुष्प नहीं लगते: किन्तु फल लगते हैं उन्हें ‘वनस्पति’ कहते हैं जैसे पीपल और बिल्ववृक्ष ! आयुर्वेद ग्रन्थ ‘भाव प्रकाश’ के अनुसार नन्दीवृक्ष, अश्वत्थ, प्ररोह, गजपादप, स्थालीवृक्ष, क्षयतरू और क्षीरीवृक्ष वनस्पति की श्रेणी में आते है ! परन्तु मेदनी कोष के अनुसार पृथ्वी पर उत्पन्न वृक्षमात्र वनस्पति की श्रेणी में आते है !
यदि घर में स्थान उपलब्ध हो तो निम्न लिखित पौधे घर में अवश्य लगाने चाहिये !
केले का पेड़
समृद्धि के लिए केले के पेड़ की पूजा की जाती है ! घर की चारदीवारी में केले का वृक्ष लगाना शुभ है ! बृहस्पति ग्रह का कारक होने के कारण इसे ईशान कोण में लगाना शुभ है ! भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को केले का भोग लगाया जाता है !
नारियल का वृक्ष
मान्यता है कि नारियल का पेड़ सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर है ! यह मंगलकारी पेड़ घर के प्रांगण में हो तो धन और
समृद्धि बनी रहती है ! नारियल के पेड़ के होने से राहु या केतुजनित समस्या नहीं रहती !
तुलसी का पौधा
तुलसी को माता लक्ष्मी का दूसरा रूप माना गया है ! घर में तुलसी का पौधा पूर्व दिशा या ईशान कोण में लगाएं ! तुलसी सभी तरह के रोगाणु को घर में आने से पहले ही नष्ट कर देती है ! यह घर में सुख, शांति और समृद्धि का विकास करती है ! इसके नियमित सेवन से किसी भी प्रकार का गंभीर रोग नहीं होता है !
अश्वगंधा
वास्तुशास्त्र के अनुसार अश्वगंधा का पेड़ लगाने से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है ! अश्वगंधा का पेड़ अत्यन्त लोकप्रिय आयुर्वेदिक औषधि भी है जिसके कई तरह के लाभ हैं !
कनेर
कनेर की तीन तरह की प्रजातियां होती है ! एक सपेद कनेर, दूसरी लाल कनेर और तीसरी पीले कनेर ! कनेर के पौधे को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है ! देवी लक्ष्मी को सफेद कनेर के फूल चढ़ाए जाते हैं ! पीले रंग के फूल भगवान विष्णु को प्रिय होते हैं !
श्वेतार्क
श्वेतार्क दूधवाला पौधा होता है, जो गणपति का प्रतीक है ! वास्तु अनुसार दूध से युक्त पौधों का घर की सीमा में होना अशुभ होता है किंतु श्वेतार्क इसका अपवाद है, जिसे घर के समीप उगा सकते हैं ! इससे घर में सुख, शांति और सदैव बरकत बनी रहती है !
श्वेत अपराजिता
यह पौधा धनलक्ष्मी को आकर्षित करने में सक्षम है ! संस्कृत में इसे आस्फोता, विष्णुकांता, विष्णुप्रिया, गिरीकर्णी, अश्वखुरा कहते हैं ! श्वेत और नीले दोनों प्रकार की अपराजिता औषधीय गुणों से भरपुर है !
हरसिंगार
पारिजात के फूलों को हरसिंगार और शैफालिका भी कहा जाता है ! यह वृक्ष जिस भी घर-आंगन में होता है,
वहां हमेशा शांति-समृद्धि बनी रहती है ! इसके फूल तनाव हटाकर खुशियां ही खुशियां भरने की क्षमता रखते हैं !
रजनीगंधा
रजनीगंधा की तीन किस्में होती है ! इसका प्रयोग सुगंधित तेल और इत्र भी बनता है ! इसके कई औषधीय गुण भी है !
लक्ष्मणा
लक्ष्मणा का पौधा भी धनलक्ष्मी को आकर्षित करने में सक्षम है ! घर में किसी भी बड़े गमले में इसे उगाया जा सकता है ! शास्त्र कहते हैं कि जिस किसी के भी घर में सफेद पलाश और लक्षमणा का पौधा होता है वहां धनवर्षा होना शुरू हो जाती है !
कांटे दार पौधे घर पर कभी नहीं लगाने चाहिये ! यह घर में धनहानि कलह और डिप्रेशन बढ़ाते हैं !!