दीपावली में धन प्राप्ति हेतु प्रभावशाली शैव तंत्र को भी अपनाइये !

दीपावली में धन प्राप्ति हेतु की गई देवी लक्ष्मी की आराधना निशा कालीन पूजन है ! इस समय मां लक्ष्मी के पति भगवान विष्णु गहन निंद्रा में सो रहे हैं ! वह देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन जागेंगे ! इसीलिए इस काल में विवाह आदि सब कुछ वर्जित होता है !

विचार कीजिए कि जिस समय विवाह जैसा शुभ संस्कार वर्जित हों, उस काल में धन प्राप्ति के लिये निशा पूजन पद्धति से देवी लक्ष्मी की आराधना कितनी न्याय संगत है ! इसीलिए इस दीपावली की बेला में आह्वान किये जाने पर देवी लक्ष्मी बिना पति के पति की सवारी गरुड़ को छोड़कर आपातकालीन व्यवस्था के तहत उल्लू पर बैठकर आपके पूजा स्थल पर सूक्ष्म रूप में प्रकट होती हैं !

इस विषय पर सर्वप्रथम चिंतन भगवान शिव के प्रबल उपासक परम विद्वान रावण ने किया था और देवी लक्ष्मी की निशा उपासना के स्थान पर धन प्राप्ति के लिये उसने शैव पूजन पद्धति के तहत कुछ तंत्रोक्त शैव पूजन पद्धति को विकसित किया था ! जिसके प्रभाव से मरते दम तक उसे या उसके राज्य में कभी धन का अभाव नहीं हुआ था ! सभी देवी देवता उसके यहां बतौर कर्मचारी कार्य करते थे !

सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी स्वयं उसके मंदिर के दरवाजे पर बैठकर वेद पाठ किया करते थे ! देवताओं के राजा इन्द्र उसके राज्य में जल की व्यवस्था स्वयं देखा करते थे ! कुबेर धन के अपव्यय को नियंत्रित करते थे क्योंकि कुबेर स्वयं भगवान शिव के भी परमप्रिय सेवक हैं और समस्त नौ ग्रह लोगों के सुख, सुविधा, सामर्थ की स्वयं चिंता किया करते थे !

ऐसे परम विद्वान चिंतक भगवान शिव के भक्त ने त्रेता युग में ही धन के साक्षात आवाहन हेतु जिस पध्यति को विकसित किया था, वह निशा कालीन उपासना पद्धति अत्यंत प्रभावशाली है ! अनेक आवाहन और प्रयोगों के उपरांत मैंने देखा है कि बहुत से असफल प्रयोगों के बाद भी रावण द्वारा रचित निशा कालीन धन आवाहन पद्धति का प्रयोग कभी भी असफल नहीं होता है ! शायद यही लंका के संपन्नता का रहस्य है !

आज भी लंका के शैव उपासक इसी पद्धति का प्रयोग कर धन सुख आदि से संपन्न हैं ! इसीलिए अत्यंत छोटा सा देश होने के बाद भी आप कभी भी लंका में किसी शैव उपासक को भूख प्यास से मरा हुआ नहीं पाएंगे ! जबकि भारत में विष्णु की आराधना करने वाले भिक्षा मंगाते हुये मिल जाते हैं !

वहां पर शैव धर्म के उपासक आज भी पूरी संपन्नता से जी रहा है और प्रत्येक शैव उपासक के पास इतना धन होता है कि वह अपना जीवन निर्वाह बहुत ही आराम से कर लेता है !

इस उपासना पध्यति से धन प्राप्ति के अलावा धन प्राप्ति में बाधक कुण्डली के कालसर्प, पितृदोष एवं राहु-केतु शनि की पीड़ा अथवा ग्रहण योग आदि सभी कुछ शान्त हो जाता है !

आइये अब वर्णन करते हैं धन प्राप्ति हेतु निशा कालीन शैव उपासना पध्यति की !

सर्व प्रथम शैव धन आकर्षण यंत्र की स्थापना करें फिर उसे शैव पध्यति पवित्र राख, ताजा दूध, दही, शहद, गुलाबजल, पंचगव्य, शहद, फल का रस, गन्ना का रस, निविदा नारियल का पानी, चंदन पानी, गंगाजल और अन्य सुगंधित पदार्थ से प्राण प्रतिष्ठित करें !

तत्पश्च्यात भगवान शिव का परिवार सहित आवाहनं करें !

भगवान शिव को खीर, देवी पार्वती को कमल पुष्प, गणेश जी को लड्डू का प्रसाद चढायें !

फिर निम्नलिखित मन्त्र का रुद्राक्ष की माला से गौ आसन पर बैठ कर 21 माला जाप करें !

ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात् ।

पूजन पूर्ण होने के बाद बिना किसी से बात किये बिना विश्राम करें !
प्रात: उठ कर पुनः पूजान पूर्ण करें और सभी को प्रसाद वितरण करें ! पूजन में प्रयोग किया गया एकाक्षी नारियल तिजोरी में लाल कपड़े में लपेट कर रख दें कभी भी तिजोर खाली नहीं हो सकती है !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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