23 मार्च की रात्रि 8:00 बजे जब अचानक हमारे देश के प्रधानमंत्री ने हमें संबोधित करते हुये बतलाया कि आज रात 12:00 बजे से पूरे देश में लॉक डाउन घोषित किया जा रहा है ! तब पूरे देश में एक अफरा तफरी का वातावरण बन गया ! सबसे पहले लोगों को चिंता अपने खाद्यान्न की हुई !
झोला लेकर लोग बाजारों की तरफ दौड़ पड़े ! कोई ए.टी.एम. के बाहर खड़ा था, तो कोई पेट्रोल पंप पर अपनी गाड़ी में पेट्रोल डलवा रहा था ! बहुत से लोग ऐसे भी थे जो दवाइयों की दुकान के बाहर अपनी नियमित दवाइयों को बहुत बड़ी मात्रा खरीद रहे थे ! घरों में जिनके पास पैसा नहीं था, वह अपने इष्ट मित्र लोगों से उधारी की असफल जुगाड़ कर रहे थे !
लेकिन 2 महीने 10 दिन के बाद लाक डाउन 05 लागू हुआ ! जिसमें लाक डाउन कम सब कुछ खुला-खुला सा ज्यादा दिखा ! परन्तु इस अप्रत्याशित संघर्ष के बाद अब लॉक डाउन भी हमें सामान्य लगने लगा है ! यही विश्व सत्ता की हमारी बुद्धि पर पहली विजय है ! विश्व सत्ता के नुमाइंदे हमसे बस सिर्फ पांच अपेक्षायें करते हैं !
पहला हम अयोग्य संतानों की उत्पत्ति न करें अर्थात जो संताने बौद्धिक और शारीरिक रूप से विश्व सत्ता के लिये उपयोगी नहीं है ! हम उन्हें पैदा न करें ! अन्यथा वह लोग इन संतानों को वायरस वार, भूखमरी, अकाल, बेरोजगारी, युद्ध आदि किसी भी माध्यम से खत्म कर देंगे !
उनकी दूसरी अपेक्षा है कि प्रत्येक व्यक्ति की पहचान एक नाम से नहीं बल्कि एक स्पेसिफिक कंप्यूटराइज्ड आइडेंटिफिकेशन से होनी चाहिये ! जिससे वह लोग विश्व के किसी भी कोने में बैठ कर विश्व के किसी भी व्यक्ति की पहचान और जानकारी प्राप्त कर सकें ! इसके लिये आधार कार्ड से शुरू हुआ हुई यात्रा अब आर.एफ.आई.डी. चिप तक पहुंच रही है ! जिसमें आगे और भी विकास होने की संभावना है !
नंबर 3 हम सामान्य भौतिक मुद्रा का नहीं बल्कि डिजिटल करेंसी का उपयोग करें ! क्योंकि भौतिक मुद्रा का चलन जिस समाज में जितन ज्यादा होगा ! उस समाज को नियंत्रित करना उतना कठिन होता है और यदि भौतिक मुद्रा के स्थान पर डिजिटल करेंसी का उपयोग विश्व के नगरिक शुरू कर देते हैं ! तो विश्व के उन नगरिकों को विश्व सत्ता के लोग मात्र एक क्लिक पर नियंत्रित कर सकते हैं !
चौथा राष्ट्र की अवधारणा से ऊपर उठकर अब हम विश्व चिंतन की बात करें अर्थात यदि विश्व के लिये हमारे देश की कोई प्राकृतिक संपदा या मेरी किसी व्यक्तिगत संपत्ति आवश्यक है ! तो उस स्थिति में हम बिना किसी विरोध के अपनी वह राष्ट्रीय और व्यक्तिगत संपत्ति विश्व सत्ता को सहर्ष सौंप दें ! जिससे हमारा या हमारे राष्ट्र का भले ही सर्वनश हो जाये लेकिन विश्व सत्ता के पूंजीपतियों का विकास निरंतर होते रहना चाहिये !
और पांचवी सबसे सामान्य अपेक्षा है कि पूरा विश्व अपने पूर्वजों को भूल जाये ! अपनी सभ्यता और संस्कृति का त्याग करके विश्व सत्ता के मानकों के अनुरूप विश्व की नई सभ्यता संस्कृति को स्वीकार कर ले ! जिसमें पूरे विश्व के लिये बस सिर्फ एक ही सरकार होगी ! एक ही विचारधारा होगी ! एक ही अर्थव्यवस्था होगी ! एक ही कानून और न्यायपालिका होगी और पूरे विश्व को संचालित करने के लिये मात्र एक ही केंद्र सत्ता होगी ! जो विश्व के हर नगरिक को नियंत्रित और मार्गदर्शित करेगी ! आज तक हमारा जो अपनी निजी इतिहास है ! हमारी सभ्यता, संस्कृति, राष्ट्रीय धरोहर, संगीत, कला, विज्ञान, आयुर्वेद, आदि आदि इस सबको हमें नई विश्व व्यवस्था की स्थापना के लिये भूलना पड़ेगा !
जिसमें चाहे हमारे भगवान, क्रांतिकारी, युग पुरुष, पूर्वज, जाति, धर्म व्यवस्था आदि कुछ भी क्यों न हो ! यही विश्व सत्ता की हमसे छोटी-छोटी अपेक्षायें हैं ! जिनको यदि हम पूरा कर देते हैं तो शायद 1-2 पीढ़ी इस पृथ्वी पर रहने का अवसर हमें भी मिल जाये वरना 700 करोड़ की आबादी में विश्व सत्ता को अपना काम चलाने के लिये मात्र 50 करोड़ व्यक्तियों की आवश्यकता है ! और 650 करोड़ लोगों को इस धरती से विदा लेना ही होगा !
इस दिशा में अनुशासन पालन हेतु लॉक बंदी जैसे प्रयोग अब समय समय पर होते रहेंगे और हमें आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक डिस्टलाइजेशन की ओर धीरे-धीरे बढ़ाया जायेगा ! एक समय वह होगा जब हमारी हर सूचना डिस्टलाइजेशन के तहत उनके पास होगी और वह लोग जिन्हें न हम कभी चुनेंगे और न ही जिनकी शक्ल हम कभी देखेंगे ! वह हमारे जीवनशैली को अपनी सुविधा के अनुसार दिशा निर्देशित करेंगे तथा हमारे संसाधनों का अपने विकास के लिये प्रयोग करेंगे ! इसके लिये लॉक बंदी उनका पहला अनुशासनात्मक प्रयोग है !!