भारत के नेताओं ने नहीं. भारत के धर्म ग्रंथों ने दिलवाई थी भारत को आजादी : Yogesh Mishra

हिटलर के राष्ट्रवाद को आज पूरी दुनिया जानती है ! वह न केवल जर्मनी बल्कि भारत के नेता जी सुभाष चन्द्र बोष के लियह भी आदर्श था ! जिससे मिलने वह स्वयं गये थे और हिटलर ने नेता जी सुभाष चन्द्र बोष की मदद भी की थी ! जिससे वह जापान के सहयोग से आजाद हिन्द फ़ौज बना सके ! जो आज हर भारतीय का गर्व है !

हिटलर के पास ऐसी सेना थी ! जो उसके एक आदेश पर अपनी जान भी दे सकती थी ! हिटलर के पास आधुनिक हाथियार भी थे ! पर वह उनसे संतुष्ट नहीं था ! अत: उसने उस दौर में जर्मन के कई ऐसे बड़े वैज्ञानिकों को अतिआधुनिक हथियारों को बनाने में लगाया ! जिनकी मदद से महाशक्तियों के विरुद्ध युद्ध जीता जा सके और हिटलर ने इन वैज्ञानिकों के खोजों के दम पर ही साम्राज्य वादी और पूंजीवादी ताकतों को लंबे समय तक द्वितीय विश्व युद्ध में घेरे रखा और अन्तः उन्हें आर्थिक रूप से नष्ट कर दिया ! जिस वजह से भारत को स्वतंत्रता मिल सकी ! आज हम हिटलर के उन 10 वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के बारे में बतायेंगे !

जिन्होंने भारत के सनातन शास्त्रों को पढ़कर विभिन्न अस्त्र-शस्त्र वाहन और स्वचालित विमान तकनीक विकसित की ! जिसके कारण द्वितीय विश्वयुद्ध में एडोल्फ हिटलर को पूंजीवादी और साम्राज्यवादी ताकतों के विरुद्ध युद्ध करने में बहुत मदद मिली ! यह भारतीय सनातन शास्त्र आज भी जर्मन के संग्रहालयों में सुरक्षित रखे हुये हैं ! जिन्हें वहां आने वाले पर्यटक देखकर भारत के ज्ञान विज्ञान के विषय में आश्चर्यचकित हो जाते हैं !

1 फ्रिट्स टॉड्ट

प्रथम विश्वयुद्ध में बतौर सैनिक जर्मनी को सेवा देने वाले फ्रिट्स नाजियों की सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरे ! वह 1922 में हिटलर की नाजी पार्टी से जुड़े और उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा ! उन्होंने बेरोजगारी पर 1930 में एक पेपर भी प्रकाशित कराया था ! बाद में उन्हें टेकनिकल डिपार्टमेंट का हेड बनाया गया ! उन्हीं की देखरेख में यू-बोट्स बनी ! जिन्होंने मित्र देशों की नौसेनाओं को पानी पिलाकर रख दिया ! सन 1942 में वह एक हवाई जहाज दुर्घटना में मारे गये !

2 कोनराड ज्यूज

कोनराड 1935 में हवाई जहाज फैक्टरी में इंजीनियर थे ! लेकिन अपने परिजनों के घर में कंप्यूटर बनाने के प्रोजेक्ट पर भी काम करते थे ! उन्होंने उस समय Z1 कंप्यूटर बनाया ! जो दुनिया का पहला प्रोग्रामिंग कंप्यूटर था ! इन्होंने बाद उन्होंने कंप्यूटरों की कई पीढ़ियों पर काम किया ! पर शुरुआत में इनके काम को जर्मन आर्मी ने नकार दिया ! नाजियों को कंप्यूटर बेकार की चीज लगती थी ! पर बाद में एयरक्राफ्ट कंपनियों ने उनके कंप्यूटर का इस्तेमाल किया ! उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद साल 1950 में स्विस सरकार के साथ मिलकर एक कंप्यूटर कंपनी बनाई ! जिसे बाद में सिमेंस ने खरीद लिया और वह रिटायर हो गये ! आज के कंप्यूटर उन्हीं की देन हैं !

3 हर्बर्ट ए वैगनेरफीचर

इन्होंने 1920 के दशक में तमाम हवाई जहाजों के माडल पर काम किया और 1930 के दशक में जेट इंजन पर काम किया ! उन्होंने गाइडेड मिसाइल की दिशा में भी काफी काम किया और एफ.एच. 293 रोकेट बनायह ! यह युद्ध में प्रयुक्त होने वाला पहला गाइडेड मिसाइल था ! द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद हर्बर्ट को अमेरिका ने अपने यहाँ जबरदस्ती रख लिया और नासा की सफलता आज उन्हीं की देन है !

जहां उन्होंने रडार गाइडेड एयरक्राफ्ट बनाये ! इस एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल अमेरिका ने कोरियाई युद्ध के दौरान किया था ! उन्होंने अमेरिका के एंटी टैंक मिसाइल तकनीकी को सुधारा ! साथ ही गाइडेड बम की तकनीकी में भी सुधार किया था ! जिसका प्रयोग आज भी अमेरिका कर रहा है !

4 वॉल्टर थिएल

साल 1936 में वॉल्टर थिएल को वॉल्टर डोर्नबेर्गर ने अपने साथ जोड़ा लिया था ! जो जर्मन के रोकेट रिसर्च प्रोग्राम को देखता था ! वह कैमिकल इन्जीनियर था और जो बाद में जर्मन रॉकेट डिवीजन के दूसरे नंबर का हेड बना ! इन्होंने V-2 रॉकेट बनाये ! पर इसमें काफी धीमा काम हो रहा था ! बाद में सन 1943 में उन्होंने कंपनी को अपना इस्तीफा सौंप दिया और कुछ ही समय बाद हवाई हमले में उनकी परिवार समेत म्रत्यु हो गई !

5 हैंस वहन ओहैन

जब हेंकेल ने गोटिंगन विश्वविद्यालय में दुनिया के पहले जेट फाइटर प्लेन बनाने की बात कही तो स्कूल के सुपर वाइजरन ने हैंस को हेंकेल के साथ भेज दिया ! जहाँ उन्होंने 1936 में आधिकारिक तौर पर हेंकल की कंपनी ज्वॉइन कर ली और जेट फाइटर प्लेन बनाने लगे ! इन्हीं के नाम पहला जेट फाइटर प्लेन की उड़ान का रिकॉर्ड दर्ज है ! द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद इनको भी अमेरिका ने अपने यहाँ जबरदस्ती रख लिया ! फिर यह अमेरिका के लिये जेट फाइटर प्लेन बनाने लगे ! बाद में उन्होंने एरोस्पेस कंपनी को अपनी सेवायें दी और काफी सारे रिसर्च पेपर प्रस्तुत किये ! जो आज भी अमेरिका के जेट फाइटर प्लेन के लिये वरदान हैं !

6 रॉबर्ट लूजर

यह एयरक्राफ्ट इन्जीनियर होने के साथ ही अवॉर्ड विजेता पॉयलट भी थे ! इन्होंने कई कंपनियों को अपनी सेवायें दी और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका इनको भी अपने साथ ले गया ! 1948 में अमेरिका जाने के बाद वह जर्मनी लौटे और जर्मन कंपनी को अपनी सेवायें दी !

7 विली मसेर्चमिट

प्रथम विश्व युद्धके दौरान विली पॉयलट ट्रेनर थे ! उनके पास 1920 के दशक में ग्लाइडर के जरिये सबसे लंबे उड़ान का रिकॉर्ड दर्ज करवाया था ! उन्होंने खुद की कम्पनी बनाई जो लड़ाकू विमान कम कीमत पर बनाती थी ! पर वह जल्दी क्रैश भी हो जाते थे ! वह 1931 में दिवालिया हो गये और नाजियों के सत्ता में आने के बाद फिर से उभरे ! बाद में उन्होंने बीएफ 110 जैसे लड़ाकू विमान बनाये और पहला लड़ाकू बमबर्षक जेट विमान बनाने का श्रेय इन्हें को जाता है ! द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इन्हें अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था ! पर वर्ष 1952 से इन्होंने जर्मनी के लिये मिसाइल और रॉकेट बनाने शुरू कर दिये !

8 अर्नेस्ट हेंकेल

अर्नेस्ट हेंकेल का बनाया पहला ही एयरो प्लेन पहली उड़ान में ही क्रैश हो गया ! वह प्रथम विश्व युद्धके दौरान से ही लड़ाकू विमान बनाने की दिशा में काम कर रहे थे ! अर्नेस्ट हेंकेल ने 1920 से 30 की दशक में हाई स्पीड जहाज बनाये ! उन्होंने सबसे तेजी से उड़ान भरने वाले ही 187 जहाजों के डिजाइन बनाये ! जिसकी स्पीड सबसे तेज थी !

इन्होंने ही दुनिया को पहला जेट विमान का डिजायन भी दिया ! इनकी कंपनी का हिटलर ने 1942 में राष्ट्रीयकरण कर दिया ! इन्होंने डबल सीटर लड़ाकू बमबर्षक विमान बनाये ! खुद भी वह नाजी पार्टी का सदस्य था ! द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इन्होंने स्कूटर, साइकिल और छोटी व हल्की कारों को बनाने के लिये अपनी कंपनी खोली !

9 कुर्त टैंक

कुर्त टैंक के कमाल के दम पर जर्मनी को हमलावर लड़ाकू विमान मिले ! कुर्त टैंक प्रथम विश्व युद्धमें बतौर सैनिक जर्मनी के लिये लड़ चुके थे ! बाद में उन्होंने पढ़ाई की और पॉयलट बने ! कुर्त टैंक ने नाजी जर्मनी के लिये एफ डब्लू 190 फाइटर प्लेन और एफ डब्लू 200 ट्रांसपोर्ट प्लेन बनाये ! जो ब्रिटिश फाइटर प्लेन से कहीं बेहतर थे !

10 फेर्डिनैंड पोर्श

यह कार बनाने वाली कंपनी के मालिक पोर्श ही थे और नाजी जर्मनी के वफादार थे ! उन्होंने वॉक्सवैगन बीटर कार डिजाइन की ! जिसे हिटलर ने आम लोगों की कार कहा ! फेर्डिनैंड पोर्श ने जर्मन टाइगर टैंक भी बनाया था ! जो बेहद जटिल था ! युद्ध के बाद इन्हें अमेरिका और ब्रिटेन के साथ काम न करने के जुर्म में 22 माह जेल में रखा गया ! बाद में इन्होंने जेल से छूटने पर अपने बेटे के लिये मशहूर पोर्श स्पोर्ट्स कार बनाई !

लेकिन उपरोक्त सभी वैज्ञानिकों ने अलग-अलग मौकों पर कई बार अपने वक्तव्य में यह स्पष्ट किया है कि आज उनके पास जो भी तकनीकी है ! वह भारत के पांडुलिपि और धर्म ग्रंथों से उन्हें प्राप्त हुई है ! क्योंकि अंग्रेज जब भारत से पांडुलिपि और धर्म ग्रंथ लूटकर ले जाते थे ! तो उनके यहां इन ग्रंथों को पढ़ने वाला कोई विद्वान न था !

ऐसी स्थिति में वह लोग भारत के इन धर्म ग्रंथों का अनुवाद जर्मन के संस्कृत विद्वानों से करवाया करते थे ! इस तरह भारत का सनातन ज्ञान भारत से जर्मन पहुंचा ! जो बाद को द्वितीय विश्व युद्ध में हिटलर की सैन्य शक्ति को बढ़ाने में तकनीकी रूप से सहायक हुआ और इस द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका और ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था इतनी बुरी तरह ध्वस्त हो गई कि उन्हें मजबूर होकर आर्थिक कारणों से भारत को स्वतंत्र करना पड़ा ! इस तरह भारत की आजादी करते भारत के नेताओं को नहीं बल्कि भारत के सत्य सनातन धर्म ग्रंथों को जाता है !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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