कल रात्रि में मेरे एक शिष्य के बेटे का फोन इंग्लैंड से आया ! अन्य बातों के अतिरिक्त वह बतलाने लगा कि अति आधुनिक यूरोप में कोरोना का कितना प्रचंड कहर है और पूछने लगा कि ऐसा क्यों हो रहा है ?
जो जवाब मैंने उसे दिया उसे मैं इस लेख में लिख रहा हूं !
मैंने उससे कहा कि विश्व के 500 साल के इतिहास को उठा कर देखो ! यूरोप के देशों ने अपने देश की दरिद्रता को खत्म करने के लिये पूरी दुनिया में लूटपाट, हत्या, डकैती, बलात्कार, अपहरण, गुलामी आदि बहुत कुछ किया ! जिन लोगों ने इनके अत्याचारों का विरोध किया उनके विरुद्ध षड्यंत्र करके इन्होंने संगठित रूप से उन लोगों को कुल खानदान सहित नष्ट कर दिया !
अपने हवस के लिये छोटी-छोटी अबोध नवयुवतियों का अपहरन किया और उन्हें यौन दासी बनाकर उनका भोग किया और जब वह हवस के योग्य नहीं रह गई ! तब उनकी अलग कॉलोनी बनाकर उनसे सरे बाजार वेश्यावृत्ति करवाई गई !
मजदूरों के हक को मारकर उन्हें अपने औद्योगिक कल कारखानों के लिये स्थाई गुलाम बना लिया ! उनसे पशुओं से भी बत्तर तरीके से अनिश्चितकालीन मशीनों की तरह कार्य लिया गया और जब वह लोग शारीरिक रूप से अक्षम हो गये तो उन्हें औषधि परीक्षण के लिये पशुओं की तरह पिंजरे में बंद करके उनके ऊपर घातक पीड़ादायक दवाइयों का परीक्षण किया गया !
बहुत कम लोगों को यह जानकारी है कि पूरी दुनिया से लोगों को पशुओं की तरह गुलाम बनाकर जिस तरह चिड़ियाघर में जानवर रखे जाते हैं ! उसी तरह से यूरोप में दर्जनों अलग-अलग प्रजाति के मनुष्यों के चिड़ियाघर बनाये गये थे ! जिन्हें गुलामी के लिये खरीदने बेचने की बकायदे मंडियां लगाई जाती थी !
अच्छे कारीगरों के उत्पाद बाजार में न आ पाये ! इसके लिये यूरोप के शासकों द्वारा पूरे विश्व में हथकरघा मजदूरों के हाथ काट दिये थे ! जिससे यूरोप के कल कारखानों में उत्पादित सामग्री आसानी से बिना गुणवत्ता परीक्षण के पूरे विश्व में बेचा जा सके !
जहां पर यह अंग्रेज शारीरिक रूप से सक्षम नहीं थे ! वहां पर षडयंत्र कर कुछ विश्वासघातियों को अपनी तरफ मिलाकर इन लोगों ने पूरी दुनिया के शासकों के साम्राज्य हड़प लिये और जिसने इनका विरोध किया उसे भयंकर युद्ध का सामना करना पड़ा ! युद्ध जीतने के बाद अंग्रेजों द्वारा थोपे गये युद्ध का हर्जा खर्चा भी इन हारे हुये शासकों से वसूला गया ! जिन्होंने नहीं दिया उन्हें आजीवन कारावास या मृत्युदंड दे दिया गया !
अमेरिका जैसे तटस्थ और शांत देश जो भौगोलिक कारण से यूरोप से अलग थे ! जहां पर यूरोप के षड्यंत्रकारी शासक सेना लेकर नहीं जा सकते थे ! उन्हें एक षड्यंत्र के तहत कंबल, भोजन आदि की सेवा सहयोग और दान के बहाने उनके ऊपर जैविक और कीटाणु हमला करके उनकी पूरी की पूरी नस्ल को ही खत्म कर दिया गया !
आज अमेरिका का मूल निवासी रेड इंडिया इसी तरह के जैविक और कीटाणु हमले का शिकार होकर पूरी तरह से नष्ट हो गया है ! अब नाम मात्र आदिवासी क्षेत्र में दूरदराज कहीं थोड़ी मात्रा में बसे हैं जिन्हें भी योरोप द्वारा स्थापित अमेरिका की सरकार अवांछित नागरिक कहकर खत्म कर देना चाहती है !
मिस्र के पेरामिट में वहां के राजे रजवाड़ों का अकूत धन लूटने के लिये विधिवत इन्हीं यूरोप के तथाकथित सभ्य नागरिकों ने कंपनियां बनाकर उन पर हमला किया ! वहां के लोगों को मौत के घाट उतार दिया और मिस्र के पेरामिट में रखा हुआ अकूत धन लूट लिया ! जो मिस्र ने रजवाड़ों की संपत्ति थी !
भारत में इन्हीं यूरोप के लोगों ने भारत में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद जिन लोगों ने भारत की सभ्यता और संस्कृति को बचाने के लिये इन अंग्रेज शासकों की नीतियों का विरोध किया था ! उनको चौराहों पर जिंदा ही पेड़ों पर उल्टा लटका कर उनके नीचे आग जलाकर उन्हें जिंदा ही भून डाला !
जलियांवाला कांड, भारत का बटंवारा, बक्सर की लड़ाई, रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, लाला लाजपत राय, औपनिवेशिक आजादी, अंग्रेज़ों द्वारा भारत के करीब 45 ट्रिलियन डॉलर (3,19,29,75,00,00,00,000.50 रुपये) की लूटा, सैकड़ों युद्ध, हजारों नरसंहार, प्रथम विश्व युद्ध, भारतीय शिक्षा व्यवस्था पर हमला आदि आदि इन्हीं योरोपियन की देन थी !
ऐसे ही हजारों रहस्य छिपे हुये हैं ! जिन पर यूरोप की सभ्यता संस्कृति और संपन्नता खड़ी हुई है ! काल के प्रवाह में सभी को अपने किये का दंड भोगना पड़ता है ! यूरोप भी अब दंड भोगने की अवस्था में है ! अतः उससे अनावश्यक की मानवीय हमदर्दी हमें यह बताता है कि हम प्रकृति के सामान्य उपक्रम में अज्ञानतावश अवरोध पैदा कर रहे हैं !