मानसिक शक्तियों के चमत्कार : Yogesh Mishra

आज भौतिकता के दौर में हम पूरी तरह भ्रमित हो चुके हैं ! हमें खुद ही पता नहीं कि हमारे अंदर कितनी विलक्षण शक्तियां मौजूद हैं ! जरा सोचिये जब विज्ञान की कोई शाखा मौजूद नहीं थी तो लोग अपना काम कैसे करते थे !

आज से हजारों वर्ष पूर्व हमारे देश के महापुरुषों द्वारा मानसिक शक्तियों से ही काम लिया जाता था ! अगर तुलना करें तो आज का विज्ञान इन शक्तियों के आगे छोटा पड़ जाता है ! मिस्र के पिरामिड कैसे बने आज तक पता नहीं लग पाया ! क्रेनें भी इतने विशालकाय और वजनी पत्थरों को उठा सकने में असमर्थ हैं ! यह मानसिक शक्ति का ही परिणाम था जो गुरुत्वाकर्षण को शून्य पर ले जाकर उन्हें भारहीन बना देता था !

एक दूसरा उदाहरण और हमारे सामने है ! भले ही आप इसे मिथ कहें पर कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत कैसे उठा लिया था ? यह तीव्र मानसिक शक्ति की एकाग्रता का ही परिणाम था ! मानसिक शक्ति की कोई सीमा नहीं है ! वह असीम और अनंत है ! ब्रह्मांड के जो रहस्य हमारी समझ से परे हैं उन्हें भी मानसिक शक्ति से समझा जा सकता है !

ब्रह्मविद्या जानने वाले हमारे प्राचीन खगोलशास्त्रियों ने हजारों साल पहले ब्रह्मांड और सौरमंडल के सभी रहस्यों का पता कैसे लगा लिया था !

गौरतलब है कि यह साइकिक फोर्स तीन प्रकार से लोगों को प्राप्त होती है ! कुछ में यह पूर्व जन्म के संस्कार का परिणाम होता है ! तो कुछ लोग इसे साधना और अभ्यास के द्वारा प्राप्त कर लेते हैं और कुछ किसी दुर्घटना का शिकार होने के बाद यह शक्ति पा जाते हैं !

जो लोग अपने पूर्व जन्म में योग साधना करते कुंडलिनी जागरण के समीप पहुंच तो जाते हैं ! पर तभी आकस्मिक मृत्यु का शिकार हो जाते हैं ! ऐसे लोगों का पुनर्जन्म होते ही उनकी मनःशक्ति अपना कार्य करने लगती है ! उनके पास ऐसी चामत्कारिक शक्तियां स्वाभाविक रूप से जन्मजात आ जाती हैं और इनके पीछे वही मानसिक शक्ति काम कर रही होती है जो उन्होंने पिछले जन्म में अर्जित की थी !

कभी कभी किसी के सिर में किसी दुर्घटना वश गहरा आघात लग जाने के कारण कुंडलिनी जाग्रत हो जाती है और उसे अद्भुद मानसिक शक्तियां उपलब्ध हो जाती हैं ! वह किसी वस्तु या व्यक्ति को छूकर उसका अतीत, भविष्य वर्तमान बता देता हैं ! अतींद्रियदर्शन की यह उपलब्धि असाधारण है ! मनःशक्ति का सीधा संबंध परा मानसिक जगत से समझना चाहिये !

हमारे मस्तिष्क के तीन मुख्य भाग होते हैं ! मुख्य मस्तिष्क,गौण मस्तिष्क और अधःमस्तिष्क ! अधःमस्तिष्क रीढ़ के ऊपरी सिरे पर स्थित होता है ! इसका आकार मुर्गी के अंडे के बराबर होता है ! इसमें एक ऐसा द्रव भरा हुआ होता है जो अभी तक अज्ञात है ! इसी द्रव में छल्ले के आकार में एक हजार बार घूमा हुआ ज्ञानतंतु समूह होता है ! इसका एक सिरा सुषुम्ना नाड़ी से जुड़ता होता है दूसरा ब्रह्मरंध्र से जहां शिखा रखते हैं, यही सहस्रारचक्र है !

किन्तु ज्ञानतंतु के चार भाग होते हैं ! पहले भाग का संबंध ब्रह्मांड और लोक-लोकांतर से जुड़ता होता है ! दूसरे भाग में तीन सौ वर्षों की स्मृतियां विद्यमान रहती हैं ! तीसरे भाग में वर्तमान जन्म के भाग में विलक्षण मानसिक शक्तियां होती है ! यह शक्ति व्यक्ति के रूप, रंग, स्पर्श से व्यक्त होती है !

दिव्य मानसिक शक्ति अगर आंखों में है तो वह जो भी विचार करेगा ! उसका एक स्वरूप उसकी आंखों के सामने आ जायेगा ! आंखों की इसी शक्ति मात्र से चीजों को तोड़ा-मरोड़ा या स्थानांतरित किया जा सकता है ! रात के अंधेरे में पुस्तक पढ़ लेना, आंखों पर पट्टी बंधी होने के बावजूद किसी चीज को छू कर उसका रंग बता देना आदि ! इसी शक्ति का परिणाम है !

निश्चय ही यह एक अलौकिक और अभौतिक सत्ता का आशीर्वाद है ! जहां एक नीरव चेतना है और यहीं प्रवेश कर उच्चतम ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है ! इस अचेतन में अविश्वसनीय और रहस्यमय शक्तियां भरी हुई हैं ! जो कभी-कभी चेतन मन में प्रकट हो जाती हैं !

साधारण लोग इसे दैवी शक्ति मान लेते हैं ! यह जरूर है कि उसके विकास में मनुष्य का चेतन मन ही बाधा डालता है ! स्पर्श कर किसी के बारे में बता देने के उदाहरण अभी भी मिलते हैं ! कुछ लोगों का पूरा शरीर ऐसी शक्ति पाने के बाद गंधमय हो जाता है ! वह जहां भी जाते हैं उनके साथ एक सुगंध भी वातावरण में व्याप्त हो जाती है ! स्वप्न भी इसी शक्ति का एक स्वरूप होते हैं ! यह तभी अचेतन मन का साथ ले कर सही परिणाम देते हैं जब हमारा चेतन मन निष्क्रिय रहता है ! विचार संप्रेषण की अलौकिक योग्यता इसी शक्ति के कारण व्यक्ति में आती है !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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