भगवान विष्णु का माता लक्ष्मी द्वारा चरण दबाने का अर्थ
अनेक चित्रों में भगवान विष्णु को बीच समुद्र में शेषनाग के ऊपर लेटे और माता लक्ष्मी को उनके चरण दबाते हुए दिखाया जाता है।
इस चित्र के पीछे जीवन प्रबंधन के गुण सूत्र छिपे हैं।
धन के लिए कर्म करने की आवश्यकता पड़ती है साथ ही हर विपरीत परिस्थिति से लडऩे का साहस भी आपने में होना चाहिए।
तभी लक्ष्मी आपके घर में निवास करेगी अर्थात महालक्ष्मी व्यक्ति के भाग्य से नहीं कर्म से प्रसन्न होती हैं।
लक्ष्मी का स्वभाव चंचल है, उन्हें एक स्थान पर रोक पाना असंभव है।
फिर भी वे भगवान विष्णु के चरणों में ही रहती है। जो व्यक्ति लक्ष्मी के चंचल और मोह जाल में फंस जाता है लक्ष्मी उसे छोड़ देती है।
जो व्यक्ति भाग्य को अधिक महत्व देता है और कर्म को तुच्छ समझता है, लक्ष्मी उसे छोड़ देती हैं।
विष्णु के पास जो लक्ष्मी हैं वह धन और सम्पत्ति है।
भगवान श्री हरि उसका उचित उपयोग जानते हैं।
इसी वजह से महालक्ष्मी श्री विष्णु के पैरों में रहती हैं।
श्री विष्णु स्वयं से पहले उनका नाम लेने का निर्देश देते हैं। यथा- “लक्ष्मीनारायण”।