कल 5 अप्रैल 2020 की रात्रि 9:00 बजे से 9:30 तक मैंने देखा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आग्रह पर हर भारत के नागरिक ने अपने घरों की चौखट पर, छतों पर या बालकनी में दीप प्रज्वलन किया था ! यह एक अच्छे नायक के साथ चलने के शुभ संकेत हैं !
किंतु शांत मन से जब चिंतन करेंगे तो एक विचार और पैदा होगा कि मात्र इससे 3 दिन पहले 2 अप्रैल 2020 को इसी भारत के आदर्श भगवान श्री राम का जन्म दिवस था ! उस दिन भारतीयों में इस तरह का कोई उत्साह नहीं दिखाई दिया ! लोगों ने भगवान श्री राम के चित्र या मूर्ति के समक्ष शायद दीया जला दिया हो ! लेकिन इसके लिये भगवान राम के नाम की रोटी खाने वाले संतों ने भी राम के जन्म उत्सव में कोई रूचि नहीं दिखलाई !
लेकिन जिस भगवान श्री राम के आगमन पर लोग दीपावली मनाने का दावा करते हैं ! उसी भगवान श्री राम के जन्म के अवसर पर कहीं भी सार्वजनिक रूप से कोई दीपमाला प्रज्वलित नहीं की गई और न ही किसी भी धर्माचार्य द्वारा इस अवसर पर किसी तरह के दीपमाला के प्रज्वलन का आवाहन की ही किया गया ! हां सनातन ज्ञान पीठ परिवार के कुछ हजार सदस्यों ने मेरे आग्रह पर 11-11 दीपों की श्रंखला जरूर प्रज्वलित की थी !
अब प्रश्न यह है कि क्या हिंदुओं को यह पता नहीं था कि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था ! और यदि पता था तो ऐसी क्या मजबूरी थी कि मात्र 3 दिन पूर्व लोगों ने भगवान श्री राम के जन्म दिवस के अवसर पर उनके सम्मान में दीप श्रंखला तक प्रज्वलित करना उचित नहीं समझा ! जबकि इसके स्थान पर अंतर्राष्ट्रीय नीति के तहत मात्र एक राजनीतिक व्यक्ति के आग्रह पर पूरे भारत को दीप श्रंखला से प्रज्वलित कर दिया !
यह इस विचार का स्पष्ट संकेत है कि भारत में अब धर्म का स्थान राजनीति ने ले लिया है ! लोग धर्म को भूलकर राजनीतिक व्यक्ति के दिशा निर्देशों का अनुपालन करने में ज्यादा रुचि देखने लगे हैं !
लेकिन याद रहे भारत के प्राचीन शास्त्रों में जो सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है ! “धर्म: रक्षति रक्षित: अर्थात व्यक्ति की रक्षा धर्म से ही होती है अतः व्यक्ति को सर्वप्रथम अपनी रक्षा के लिये धर्म की रक्षा करना चाहिये !
लेकिन आधुनिकता की चमक दमक में पैसे कमाने की होड़ में व्यक्ति धर्मच्युत हो गया है और धर्म का परित्याग कर यदि व्यक्ति यह सोचता है कि वह आधुनिक हो गया है तो उस आधुनिकता में व्यक्ति कुछ भौतिक संसाधन तो इकट्ठे कर सकता है लेकिन वह धर्म विहीन व्यक्ति उन संसाधनों का उपभोग करने वाले एक पिशाच के अतिरिक्त और कुछ नहीं है !