नागपाश
संकटमोचन हनुमानाष्टक
रावण जुद्ध अजान कियो तब ! नाग कि फांस सबै सिर डारो !
श्री रघुनाथ समेत सबै दल ! मोह भयो यह संकट भारो !
आनि खगैस तबै हनुमान जु ! बन्धन काटि सुत्रास निवारो !
को नहिं जानत हैं जग में कपि ! संकटमोचन नाम तिहारो !
रावन के घोर युद्ध की घोषणा के समय करते हुए राम को नागपाश से बाँध दिया था तब श्री रघुनाथ जी सहित सारे दल में यह मोह छा गया कि यह तो बहुत भारी संकट है उस समय हे हनुमान जी आपने गरुङजी को लाकर बंधन को कटवा दिया जिससे संकट दूर हुआ हे हनुमान जी संसार में ऐसा कौन है जो आपका संकटमोचन नाम नहीं जानता !
नागपाश शत्रु को बंधन में बाँध लेने वाले प्राचीनकाल के अस्त्र का नाम है ! प्राचीनकाल में शैव शस्त्र विशेषज्ञों द्वारा घातक किस्म के हथियार बनाए जाते थे ! जिसमें पाशुपतास्त्र, नागपाश, ब्रह्मपाश, आदि प्रमुख थे ! वैष्णव लोग भी देवपाश, यक्ष पाश, आदि यंत्रों का प्रयोग करते थे !
पाश शब्द का प्रयोग जहां भी किया गया है वहां शत्रु को बंधन में डालने वाले यंत्र का वर्णन किया गया है ! इसका प्रयोग शैव योद्धा अपने शत्रुओं को बांधकर उनसे क्षमा याचना करवाने हेतु प्रयोग किया करते थे या शत्रु को अपने सेनापति या राजा के समक्ष प्रस्तुत करने हेतु प्रयोग किया करते थे ! मेघनाथ ने इसी नागपाश में युद्ध के दौरान राम को बांध लिया था !
नागपाश शिक्षक पद्धति का एक ऐसा यंत्र था जिसका युद्ध में प्रयोग किया जाता था इसके द्वारा शत्रु को बांध लिया जाता था किंतु शत्रु की मृत्यु नहीं होती थी यह स्वस्थ जिस तरह एक सांप किसी भी पेड़ या व्यक्ति के चारों ओर लटक जाता है ठीक उसी तरह व्यक्ति के चारों ओर लपेट कर उसे अपने पाश में बांध लेता था जिससे व्यक्ति के लिए हिलना डुलना या कोई भी किया करना संभव नहीं था यह एक विशेष किस्म का जालना शस्त्र होता था रावण के पुत्र मेघनाथ ने राम से युद्ध करते हुये राम को नागपाश से बाँध दिया था ! तब देवर्षि नारद के कहने पर गरूड़ ने राम को नागपाश के बंधन से छुड़ाया था !