वर्ष 2050 में विश्व सत्ता के न्याय की प्रक्रिया का स्वरूप : Yogesh Mishra

अब विश्व में बस सिर्फ तीन स्तर के न्यायालय हैं ! पहला राज्य स्तर का, दूसरा राष्ट्रीय स्तर का और तीसरा विश्व सत्ता का सर्वोच्च न्यायालय जो विश्व में कहाँ है किसी को नहीं पता !

क्योंकि अब विश्व की आबादी 700 करोड़ से घटकर मात्र 50 करोड़ रह गई है और सभी छोटे-मोटे अपराध डिस्टलाइजेशन के दौर में ऑटोमेटिक बिना किसी न्यायिक प्रक्रिया के अर्थ दण्ड चालान के रूप में स्वत: व्यक्ति के खाते से दंड स्वरूप काट लिये जाते हैं ! अतः अब न्यायालय में भीड़ खत्म हो गई है ! मुकदमों की पेंडेंसी भी शुन्य है ! सभी न्यायिक कार्य उसी दिन पूर्ण हो जाते हैं ! जिस दिन अपराध होता है !

और अब तो महत्वपूर्ण विषयों के लिये भी व्यक्ति को किसी न्यायालय में जाने की कोई आवश्यकता नहीं है और न ही लम्बी न्यायिक प्रक्रिया का सामना करना पड़ता है ! अब व्यक्ति की न्यायिक प्रक्रिया सीधे उसके आवास से, कार्यालय से या ब्रेन हैंग आउट हास्पिटल अर्थात “जेल” से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा संपन्न करा दी जाती है !

इसलिये अब न्यायालय में मात्र न्यायिक कर्मचारी, न्यायाधीश और टेक्निकल स्टाफ ही रहता है ! बाबू चपरासी अधिवक्ता स्टाफ रिकार्ड रूम आदि की जरूरत इसलिये खत्म हो गई है कि पूरी की पूरी न्याय प्रक्रिया अब पेपर लेस हो गई है !

न्यायालय का स्वरूप एक बहुमंजिला इमारत के अलावा कुछ नहीं है क्योंकि न्यायाधीश अपने घर से ही 10 बाय 20 के कमरे में डिजिटल अदालत लगाने लगे हैं ! जहां पर न कोई पेशकार होता है ! न अधिवक्ता होता है और न ही अभियुक्त होता है ! बस सिर्फ एक टेक्निकल एक्सपर्ट और न्यायमूर्ति का जोड़ा उपलब्ध होता है ! जो घरों से ही अपना काम करता है !

आज व्यक्ति पर आरोप है कि उसने अपने हाथ में लगे आर.डी.एफ.आई चिप को हटवाने के लिये किसी डॉक्टर से संपर्क किया था !

अभियुक्त अपने आवास पर ही नजरबंद है ! उसके पैर में एक डिवाइस डाल दी गई है जो उसके विधि विरुद्ध कार्य करने पर अलार्म बजा देती है ! यह अलार्म किसी भी समय बच सकता है ! उस समय व्यक्ति खा रहा हो, सो रहा हो या फिर कोई और कार्य में व्यस्त हो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है और अलार्म के बजते ही व्यक्ति को घर पर लगे सीसी टी वी कैमरे के सामने आकर बैठना पड़ता है !

इस समय रात्रि के दो बजे हैं ! अभियुक्त गहरी निद्रा में सो रहा है ! अचानक उसके पैर में लगे डिवाइस में वाइब्रेशन होने लगा ! व्यक्ति की नींद खुल गयी ! उसके मस्तिष्क के अंदर लगी हुई चिप में उसे संदेश प्राप्त हुआ कि आप अदालत के सामने 5 मिनट में पेश हो जाइये !

अभियुक्त ने मुंह धोया और अपना सी.सी.टी.वी. कैमरा प्रारंभ करके उसके सामने कुर्सी पर बैठ गया ! उसे स्क्रीन पर दो न्यायाधीशों का चेहरा दिखाई देने लगा ! न्यायाधीश ने प्रश्न किया कि आपके ऊपर यह आरोप है कि आपने अपने हाथ में लगी हुई आर.डी.एफ.आई चिप की कोडिंग बदलवाने के लिये आज दोपहर 2 बजे किसी तकनीकी विशेषज्ञ से संपर्क किया था !

उस व्यक्ति ने इस आरोप को अस्वीकार कर दिया ! तभी अचानक स्क्रीन पर उस व्यक्ति का चेहरा आ गया जिससे आरोपी ने संपर्क किया था और साथ में शरीर में लगी हुई आर.डी.एफ.आई चिप के मूवमेंट का पूरा डाटा डेट और टाइम सहित आ गया ! साथ में एक रिकॉर्डिंग की आवाज भी आने लगी ! जिसमें वह अभियुक्त उस तकनीशियन से आर.डी.एफ.आई चिप के लिये जो बात कर रहा था ! वह स्पष्ट सुनाई देने लगी !

इतने प्रमाणों के बाद अभियुक्त के पास बोलने के लिये कुछ नहीं था ! उसने अपराध स्वीकार कर लिया ! जज साहब ने आदेश जारी किया कि आपने इसी तरह का प्रयास 3 वर्ष पूर्व भी किया था ! उस समय आपको 6 महीने के लिये ब्रेन हैंग आउट हास्पिटल की सजा दी गई थी ! किंतु आपने पुनः वही अपराध किया है ! अतः आपको अब मृत्युदंड की सजा दी जाती है !

इससे पहले कि अभियुक्त अपनी कोई बात कह पाता कि अचानक उसके ब्रेन में लगी हुई चिप में वाइब्रेशन शुरू हो गया और देखते ही देखते उस के अंदर का तरल पदार्थ उसकी दीवारों को तोड़कर उसके मस्तिष्क में बहने लगा जो कि एक छोटी बूंद के एक लाख हिस्से से भी कम था !

और वह व्यक्ति उसी कुर्सी पर गिर कर मर गया ! तभी अचानक दरवाजा खुला और एंबुलेंस के साथ आये हुये एक डाक्टर और काले रंग के कपड़े पहने हुये दो व्यक्तियों का प्रवेश हुआ ! डाक्टर ने अभियुक्त का परिक्षण किया और उसे मृत घोषित किया ! और काले कपड़े पहने कर्मचारियों ने उस अभियुक्त की लाश को उठाकर एंबुलेंस में डाला और ले गये !

न्यायालय की प्रक्रिया पूरी हुई ! एक मुकदमे का अंतिम निस्तारण हो गया ! समय लगा कुल 10 मिनट ! न किसी गवाह की जरूरत थी न वकील की ! न तारीख की जरुरत थी न कानून के मोटी मोटी किताबों की और न ही किसी पुलिस प्रशासन की जरुरत थी न किसी जेल और जल्लाद की !

यह है 2050 की न्याय व्यवस्था जिसे अब तकनीक के माध्यम से विश्व सत्ता नियंत्रित करती है !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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