राजनीति पर दवा माफियाओं का कब्ज़ा : Yogesh Mishra

आप के खून मे चार कंपोज़ीशन होते है ! आर.बी.सी,डब्ल्यू.बी.सी,प्लाज्मा,प्लेटलेट्स,उसमे एक भी घटा या बढ़ा तो आप बीमार हैं और फिर डाक्टर, हास्पिटल, बीमा कम्पनी, दवा बनाने वाली कम्पनी, आक्सीजन बेचने वाले, जाँच करने वाले लेब आदि आदि एक सिस्टम के माध्यम से लूट,खसोट, अमानवीयता और कमीनेपन करने के अनेकों उदहारण आपको तत्काल मिल जायेंगे !

कहने का तात्पर्य यह है कि यदि आप इन यमदूतों का मुंह नहीं भर सकते हैं तो आपकी मौत सुनिश्चित है ! प्राय: तो मुंह भरने के बाद भी मौत हो जाती है ! तभी लाशा ढ़ोने की गाड़ियाँ अस्पतालों के बाहर खड़ीं रहती हैं !

कोरोना काल में यह अदभुत तथ्य भी सामने आया है कि कई बार दवा शार्ट करके मनमाफिक मूल्य वसूला जाता है और सारी जीवन रक्षक दवाईयां 3 सौ से 7 सौ गुने दर पर बाजार में मुश्किल से ही मिलती हैं ! जिसमें प्रशासन की मौन स्वीकृति होती है !

यह चिकित्सा माफिया बिल्कुल ड्रकुला वाले हद तक आपके पैसा निकालने के लिये आपका खून पीते हैं ! दवा-कंपनिया बाजार में दवा कौन सी दे रही है यह जानने वाला कोई नही है ! दवा असली है की नकली है इसकी भी कोई खबर लेने वाला भी नही !

कौन–कौन कंपनी किस-किस तरह की दवा सप्लाई कर रही यह जानने पूछने वाला कोई नही है ! किसी भी जिले के सी.एम.ओ और ड्रग इस्पेक्टर में आपस में कोई तालमेल नही दिखता है ! डाक्टर, एम्आर, प्राइवेट हास्पिटल, दवा कम्पनियां, पैथालाजिकल सेंटर, आपस में मिलकर दुःख पीड़ित असहाय मरीज को लूटने में लगे हैं ! सरकारी मशीनरी भी उसमे बराबर की भागीदार है !

यह बात केवल दवा-दुकानों तक ही सीमित नही है ! वह लूट अब पूर्ण विकसित व्यवस्था का रूप ले चुका है ! ऊपर तक पहुँचते-पहुँचते यह छोटी-छोटी राशिया कई हजार करोड़ रुपये की मुद्रा में बदल जाती हैं ! यह इतना बड़ा आंकड़ा है कि साधारण व्यक्ति उसकी कल्पना भी नही कर सकता है !

उस भ्रष्टाचार/कदाचार से एक बड़ी अवैध मशीनरी भी डेवलप हो रही होती है ! उसने इन सत्तर सालो मे अपनी गहरी जड़े जमा ली है ! इन सालो मे पली-बढ़ी अवैध मशीनरी खुद मे ही एक ताकत बन चुकी है ! ऊपर जाकर यह लाबिस्ट के रूप मे विकसित हो गया है !

पोलिटकल साइंस का एक गज़ब सा सिद्धांत है पैसा अंत मे राजनीतिक नियंत्रण हासिल कर ही लेता है ! प्रजातांत्रिक भारत की बेसिक समस्या का यह है कि यहाँ की प्रशासनिक मशीनरी सेल्फ नियंत्रित है ! चूकी मशीनरी की आदते, आचरण, कार्यव्यवहार स्वयंभू हैं ! अत: राष्ट्र में निरंतर असंवेदनशील समाज का विकास हो रहा है !

इसलिये कोई भी पवित्रता व ईमानदारी वाली सोच सरकार के कंट्रोल में नहीं है ! बल्कि सच तो यह है कि आज सत्ता में बैठे हुये लोग भी इन्हीं दवा निर्माता कंपनियों से नियंत्रित हो रहे हैं ! दूसरा सच यह भी है कि अमेरिका जैसे सशक्त देश भी इन्हीं दवा माफियाओं द्वार संचालित हैं ! भारत की औकात ही क्या है ! यही देश के सर्वनाश और नागरिकों के शोषण का कारण है !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Check Also

प्रकृति सभी समस्याओं का समाधान है : Yogesh Mishra

यदि प्रकृति को परिभाषित करना हो तो एक लाइन में कहा जा सकता है कि …