सामान्यतया है यह माना जाता है की भीमराव अंबेडकर ने भारत की आजादी की लडाई में गंभीर योगदान दिया था किंतु यह सूचना गलत वास्तव में भीमराव अंबेडकर ने भारत के किसी भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का कोई भी मुकदमा कभी नहीं लड़ा ।
यहां तक की शहीद भगत सिंह के ट्राइल को भी इन्होंने लड़ने से इनकार कर दिया था और यह निरंतर अंग्रेज उद्योगपति तथा अंग्रेजी सरकार के अधिकारियों के मुकदमे ही भारत तथा इंग्लैंड में जाकर लड़ा करते थे उन्होंने ना तो कभी देश की आजादी की लड़ाई की किसी भी गतिविधि में कोई योगदान दिया और ना ही देश की आजादी की लड़ाई लड़ने वाले क्रांतिकारियों के साथ दिया |
गांधी जब देश के जुलहों ( जिसमें ज्यादातर हरिजन ही थे ) की समस्या निवारण के लिए घरों में कुटीर उद्योग के लिए चरखे का प्रचार कर रहे थे और विदेश कपड़ों की होली जला रहे थे तब अंबेडकर अंग्रेजी कपड़ों में घूमा करते थे |
साइमन कमीशन के विरोध के दौरान जब क्रांतिकारी लाला लाजपत राय पर भयंकर लाठीचार्ज हुई और उसमें उनकी मृत्यु हो गई तो उस समय अंबेडकर साइमन कमीशन के पक्ष में जनता को समझाने का प्रयास कर रहे थे अंबेडकर ने कभी भी जातीय राजनीति से उठकर देश के हित में कोई भी राजनीतिक पक्ष न तो भारत की जनता के समक्ष रखा और ना ही अंग्रेजी सरकार के समक्ष |
ऐसी स्थिति में यह कहना भीमराव अंबेडकर ने भारत की आजादी के स्वाधीनता संग्राम में अपना योगदान दिया है यह इतिहास के साथ धोखाधड़ी है अंग्रेजो के दलाल बन कर इन्होंने सदैव हरिजनों के नाम पर राजनीतिक सत्ता की लोलुपता में अंग्रेजों की चाटुकारिता की है और भारत के स्वाधीनता के लिए लड़ने वाले तमाम संग्राम सेनानियों का विरोध किया ।.
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