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नक्षत्रों के अनुसार रोग से कष्ट एवं उसका उपचार : Yogesh Mishra

1- अश्विनी नक्षत्र – जातक को वायुपीड़ा, ज्वर, मतिभ्रम आदि से कष्ट. उपाय : दान पुण्य, दीन दुखियों की सेवा से लाभ होता है ! 2- भरणी नक्षत्र – जातक को शीत के कारण कम्पन, ज्वर, देह पीड़ा से कष्ट,…

जानिए ज्योतिष और रोग का पूर्वानुमान कैसे लगायें : Yogesh Mishra

ज्योतिष से रोग का पूर्वानुमान कैसे किया जा सकता है ! इसकी कुछ आरंभिक जानकारी पर आज लेख लिख रहा हूँ ! काल पुरूष की कुंडली में मनुष्य शरीर के सभी अंगों को 12 भावों में बांटा गया है !…

जानिए योग आसनों से लाभ : Yogesh Mishra

योग आसनों द्वारा रोगों का इलाज की पद्धति बहुत पुरानी है ! योग में 84 मुख्य योगासन का अभ्यास संभव है ! महान चिकित्सकों और विद्वानों का कथन है कि जितनी भी अन्य चिकित्सा प्रणालियां संसार में हैं, वह सब…

योग क्या है !! इसका वास्तविक अर्थ जाने : Yogesh Mishra

योग दिवस आने वाला है ! बड़े बड़े नेता उस दिन सार्वजनिक मंचों पर शाररिक व्यायाम करते नज़र आयेंगे ! लोग रामदेव के प्रभाव में फूं फां को ही योग समझने लगे हैं ! जबकि योग इससे अलग पूर्ण आत्म…

डिप्रेशन रोग नहीं एक भावनात्मक मानसिक अवस्था है !! : Yogesh Mishra

सभी जानते हैं वर्तमान युग भागदौड़ और कशमकश भरा है ! आज के युग में हर इंसान मशीन के जैसे जीवनयापन करने के लिये मजबूर है ! कारण हर इंसान की आकांक्षाएं और महत्वकांशायें इतनी हो गई हैं कि, वह…

जानिए विवाह विलंब में मंगल की भूमिका : Yogesh Mishra

वर या वधु किसी एक की कुंडली में मंगल का सप्तम में होना और दूसरे की कुंडली में 1 !4 !7 !8 या 12 में से किसी एक में मंगल का नहीं होना पति या पत्नी के लिये हानिकारक माना…

जानिए विवाह उपरान्त भाग्य उदय क्यों !! : Yogesh Mishra

विवाह मानव जीवन का एक प्रमुख संस्कार है ! विवाह के बाद एक युवक ओर युवती को आजीवन एक साथ रहना होता है ! शास्त्रों में पत्नी को “अर्द्धांगिनी” कहा गया है ! पति का दुःख ओर सुख पत्नी का…

ज्योतिष की द्रष्टि से संतान होगी भी या नही : Yogesh Mishra

“संतान होगी भी या नही?” इस विषय पर ज्योतिष शास्त्र में महर्षि पराशर ने बहुत स्टीक ग्रह गणना पद्धति प्रस्तुत की है ! पुरुष के लिए “बीज स्फुट” और स्त्री के लिए “क्षेत्र स्फुट” ! हालांकि इस ग्रह गणना के…

संतान सुख के लिये नारायण नागबलि अनुष्ठान : Yogesh Mishra

नारायण नागबली छविनारायण नागबलि यह दोनो अनुष्ठान पद्धतियां संतान सुख की अपूर्ण इच्छा, कामना पूर्ति के उद्देश से किय जाते हैं ! इसीलिए यह दोनो अनुष्ठान काम्य प्रयोग कहलाते हैं ! वस्तुत: नारायणबलि और नागबलि यह अलग-अलग पूजा अनुष्ठान हैं…

सभी प्रमुख धर्मों की उत्पत्ति शैव उपासना से हुई है ! : Yogesh Mishra

भगवान शिव की पूजा या आराधना एक गोलाकार पत्थर के रूप में की जाती है जिसे पूजा स्थल के गर्भगृह में रखा जाता है ! सिर्फ भारत और श्रीलंका में ही नहीं, भारत के बाहर विश्व के अनेक देशों में…