बांग्लादेश के जन्म की पीड़ादायक कथा !! : Yogesh Mishra

14 अगस्त 1947 को धर्म पर आधारित स्वतंत्र पाकिस्तान देश का गठन हुआ था ! तत्कालीन पाकिस्तान के दो भाग थे ! पू्र्वी एवं पश्चिमी पाकिस्तान एवं दोनो ही भाग में सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्ष्णिक समानतायें नही थीं ! संसाधनों के अनुसार पूर्वी पाकिस्तान ज्यादा समृद्ध था !

लेकिन राजनीतिक रूप से पश्चिमी पाकिस्तान ज्यादा प्रखर एवं हावी था ! इस प्रकार एक ही देश के दो भागों मे पायी जाने वाली सामाजिक एवं आर्थिक विषमतायें एवं प्रबुद्ध जनों के द्वारा सत्ता के ऊपर नियंत्रण करने की प्रवृति ही देशव्यापी असंतोष का कारण थी ! उसी का परिणाम था कि 16 दिसम्बर 1971 मे बांग्लादेश का गठन एक अलग राष्ट्र के रूप में हो गया !

बांग्लादेश बनना भारत की पाकिस्तान पर ऐतिहासिक कूटनीतिक विजय थी ! उस समय भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती इंद्रा गाँधी थी ! जो इस कार्य में अवरोधक बन रहे किसी भी महाशक्ति से नहीं डरीं और उस समय की मांग को देखते हुये पाकिस्तान को तोड़ कर बांग्लादेश बना दिया ! भारत ने इसमें 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था ! लेकिन इस सफलता के पीछे बांग्लादेश को भी एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी !

पाकिस्तान के गठन के समय पश्चिमी क्षेत्र में पंजाबी, सिंधी, पठान, बलोच और मुजाहिरों की बड़ी संख्या थी जबकि पूर्व हिस्से में बंगाली बोलने वालों का बहुमत था ! हालांकि पूरबी भाग में राजनैतिक चेतना की कभी कमी नही रही लेकिन पूर्वी हिस्सा पाकिस्तान की सत्ता मे कभी भी उचित प्रतिनिधित्व नही पा सकी एवं हमेशा राजनीतिक रूप से उपेक्षित रही ! इससे पूर्वी पाकिस्तान के लोगों में जबर्दस्त नाराजगी थी और इसी नाराजगी का राजनैतिक लाभ लेने के लिये बांग्लादेश के नेता शेख मुजीब-उर-रहमान ने अवामी लीग का गठन किया और पाकिस्तान के अंदर ही और स्वायत्तता की मांग की ! 1970 में हुये आम चुनाव में पूर्वी क्षेत्र में शेख की पार्टी ने जबर्दस्त विजय हासिल की ! उनके दल ने संसद में बहुमत भी हासिल किया लेकिन उन्हें प्रधानमंत्री बनाने के बजाये उन्हें जेल में डाल दिया गया और यहीं से पाकिस्तान के विभाजन की नींव रखी गई !

1971 के समय पाकिस्तान में जनरल याह्या खान राष्ट्रपति थे और उन्होंने पूर्वी हिस्से में फैली नाराजगी को दूर करने के लिये जनरल टिक्का खान को जिम्मेदारी दी ! लेकिन उनके द्वारा दबाव से मामले को हल करने के प्रयास किये गये ! जिससे स्थिति पूरी तरह बिगड़ गई ! 25 मार्च 1971 को पाकिस्तान के इस हिस्से में सेना एवं पुलिस की अगुआई मे जबर्दस्त नरसंहार हुआ ! इससे पाकिस्तानी सेना में काम कर रहे पूर्वी क्षेत्र के निवासियों में जबर्दस्त रोष हुआ और उन्होंने अलग मुक्ति वाहिनी बना ली !

लेकिन इसके बाद भी पाकिस्तानी फौज का निरपराध, हथियार विहीन अपने ही नागरिकों पर अत्याचार जारी रहा ! जिससे लोगों का पलायन भारत की ओर आरंभ हो गया ! जिसके कारण भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से लगातार अपील की कि पूर्वी पाकिस्तान की स्थिति सुधारी जाये ! लेकिन किसी देश ने ध्यान नहीं दिया और जब वहां के विस्थापित लगातार भारत आते रहे तो अप्रैल 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मुक्ति वाहिनी को समर्थन देकर, बांग्लादेश को आजाद करवाने का निर्णय लिया !

बांग्लादेश बनने से पहले पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना ने स्थानीय नेताओं और धार्मिक चरमपंथियों की मदद से मानवाधिकारों का हनन किया ! 25 मार्च 1971 को शुरू हुये ऑपरेशन सर्च लाइट से लेकर पूरे बांग्लादेश की आज़ादी की लड़ाई के दौरान पूर्वी पाकिस्तान में जमकर हिंसा हुई ! बांग्लादेश सरकार के मुताबिक इस दौरान करीब 30 लाख लोग मारे गये ! हालांकि, पाकिस्तान सरकार की ओर से गठित किये गये हमूदूर रहमान आयोग ने इस दौरान सिर्फ 26 हजार आम लोगों की मौत का नतीजा निकाला !

पाकिस्तान सेना के इशारे पर रजाकरों, अल शम्स और अल बद्र ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली भाषी अल्पसंख्यकों और बंगाली भाषी मुस्लिमों पर अत्याचार किये और जमकर मानवाधिकारों का उल्लंघन किया ! उनके द्वारा किये गये अमानवीय अत्याचार के प्रमाण आज तक बांग्लादेश मे सामुहिक कब्रों के रूप मे मिलते रहे हैं !

1971 में तत्कालीन पूर्व पाकिस्तान जो अब बांग्लादेश है उसमें नरसंहारों के बाद कई सामूहिक कब्र बनाई गईं जिनका पता अब तक चलता रहा है ! 1999 में ढाका में मस्जिद के पास एक विशाल कब्र का पता चला था ! जिसमें हजारों लाशें दफ़न थी !

बंगालियों के खिलाफ किये गये अत्याचार का पता ढाका में मौजूद अमेरिकी वाणिज्यिक दूतावास से भेजे गये टेलीग्राम से लगता है ! इस टेलीग्राम के मुताबिक बंगालियों के खिलाफ युद्ध की पहली ही रात को ढाका यूनिवर्सिटी में छात्रों और आम लोगों को सरेआम मौत के घाट उतार दिया गया था ! उन सभी इलाकों मे जम कर नरसंहार किये गये जहां से विरोध की आशंका थी ! यंहां तक कि लोगों को घरों से बाहर निकाल कर के गोलियों से भून दिया गया !

1971 में पूर्वी पाकिस्तान में लाखों महिलाओं के साथ बलात्कार, अत्याचार किया गया और हत्या की गईं ! एक अनुमान के मुताबिक ऐसी करीब चार लाख महिलाओं के साथ ऐसी ज्यादतियां की गईं जिनमे उनके साथ बलात् यौन संबंधों को बनाना, सैनिक कैण्ट मे महिलाओं को सेक्स वर्कर के रूप मे रखना आदि एवं सामूहिक बलात्कार जैसी हरकतें थीं ! 563 बंगाली महिलाओं को कैंट इलाके में कर रखा था ! कैद लड़ाई के पहले ही दिन से 563 बंगाली महिलाओं को ढाका के डिंगी मिलिट्री कैंट में कैद कर दिया गया था !

इन महिलाओं के साथ पाकिस्तानी सेना के जवान ज्यादतियां करते थे ! अत्याचारों से परेशान होकर के लगभग 10 लाख लोग भारत चले गये ! एक दूसरे अनुमान के मुताबिक पूर्वी पाकिस्तान में अत्याचार से तंग आकर करीब 80 लाख लोग भारत की सीमा में प्रवेश कर गये थे ! भारत के इस लड़ाई में दखल देने के पीछे इन शरणार्थियों के भारत में प्रवेश एवं इस वजह से भारत के ऊपर पड़ने वाले आर्थिक दबाव को भी एक वजह माना जाता है !

तब भारत के सहयोग से बांग्लादेश की आज़ादी की लड़ाई के दौरान मुक्ति वाहिनी का गठन पाकिस्तान सेना के अत्याचार के विरोध में किया गया था ! 1969 में पाकिस्तान के तत्कालीन सैनिक शासक जनरल अयूब के खिलाफ पूर्वी पाकिस्तान में असंतोष बढ़ गया था और बांग्लादेश के संस्थापक नेता शेख मुजीबुर रहमान के आंदोलन के दौरान 1970 में यह अपने चरम पर था ! मुक्ति वाहिनी एक छापामार संगठन था ! जो पाकिस्तानी सेना के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध लड़ रहा था ! मुक्ति वाहिनी को भारतीय सेना ने समर्थन दिया था ! यह बांग्लादेश के लिये बहुत बुरा समय था !

बांग्लादेश के संस्थापक नेता शेख मुजीब-उर-रहमान ने बांग्लादेश की आज़ादी के लिये संघर्ष किया ! बांग्लादेश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले शेख मुजीब को ‘बंगबंधु’ की उपाधि से नवाजा गया ! अवामी लीग के नेता शेख मुजीब बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री बने ! हालांकि 1975 में उनके सरकारी आवास पर ही सेना के कुछ जूनियर अफसरों और अवामी लीग के कुछ नेताओं ने मिलकर शेख मुजीब-उर-रहमान की हत्या कर दी ! उस वक्त उनकी दोनों बेटियां शेख हसीना वाजेद और शेख रेहाना तत्कालीन पश्चिमी जर्मनी की यात्रा पर थीं !

इस घटना के बाद ही भारत और बांग्लादेश के राजनायक सम्बन्ध टूट गये ! जो आज तक पुनः नहीं बन पाये हैं ! यह है बांग्लादेश के जन्म की पीड़ादायक कथा !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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