मेरी दृष्टि में भारत के गौरवशाली इतिहास में महापुरुष तो दो ही हुये हैं ! एक स्वामी महावीर जी और दूसरे गुरु नानक जी महाराज ! दोनों के ही संदेश मानवता के लिए अद्भुत संदेश हैं !
यदि समाज मात्र इन 2 महापुरुषों के संदेशों को आत्मसात कर ले तो मात्र भारत ही ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की मानवता का दृष्टिकोण बदल जा सकता है !
स्वामी महावीर जी महाराज कहते हैं हे पुरुष! तू सत्य को ही सच्चा तत्व समझ। जो बुद्धिमान सत्य की ही आज्ञा में रहता है, वह सांसारिक मृत्यु को तैरकर पार कर जाता है।
इस लोक में जितने भी त्रस जीव (एक, दो, तीन, चार और पाँच इंद्रीयों वाले जीव) है उनकी हिंसा मत कर, उनको उनके पथ पर जाने से न रोको। उनके प्रति अपने मन में दया का भाव रखो। उनकी रक्षा करो।
मेरा जगत के सभी जीवों के प्रति मैत्रीभाव है। मेरा किसी से वैर नहीं है। मैं सच्चे हृदय से धर्म में स्थिर हुआ हूँ। सब जीवों से मैं सारे अपराधों की क्षमा माँगता हूँ। सब जीवों ने मेरे प्रति जो अपराध किए हैं, उन्हें मैं क्षमा करता हूँ।
दुसरे की वस्तु को बिना उसके दिये हुआ ग्रहण करना चोरी है।
जो व्यक्ति सजीव या निर्जीव चीजों का संग्रह करता है, उसे दुःखों से कभी छुटकारा नहीं मिल सकता है !
ब्रह्मचर्य से उत्तम तपस्या कोई नहीं ! आत्मकल्याण के लिये बनाये गये नियम, ज्ञान, दर्शन, चारित्र, संयम और विनय आदि ही मानव के मूल गुण हैं ! इसी से मानवता का कल्याण होगा !
अहिंसा, संयम और तप ही धर्म है ! उन्होंने त्याग और संयम, प्रेम और करुणा, शील, सदाचार, सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह, क्षमा आदि पर सबसे अधिक जोर दिया है !
इसी तरह गुरु नानक जी महाराज ने भी पाखंड से अलग हटकर सेवा पर सर्वाधिक जोर दिया है !
उन्होंने कहा है कि ईश्वर केवल एक ही है, और सभी मनुष्यों की ईश्वर तक सीधी पहुंच हो सकती है ! इसके लिये किसी अनुष्ठान या पुजारी की आवश्यकता नहीं है ! सबका मालिक एक है !
उनकी सबसे कट्टरपंथी सामाजिक शिक्षाओं का विरोध किया है ! उन्होंने जाति व्यवस्था की कड़ी निंदा की है और सिखाया है कि जाति या लिंग की परवाह किये बिना हर इन्सान एक समान है ! इसलिये सभी की सेवा करो !
2 महापुरुषों की शिक्षा की पूरे विश्व की मानवता के लिए पूर्ण संदेश है यदि विश्व इन दो महापुरुषों के संदेश पर विचार कर ले तो उसे किसी अन्य पैगंबर या भगवान की कोई आवश्यकता नहीं है !!