विचार जहाँ ठहरता है वहीँ मोक्ष है !! : Yogesh Mishra

महाभारत में श्रीकृष्ण ने जीवन और मृत्यु से सम्बंधित कई रहस्यों का ज्ञान अर्जुन व अन्य को दिया है ! मानव अपने जीवन में सरे कर्मों के अपनी इच्छा से भोगने के बाद भी वह चाहता है कि उसे मोक्ष प्राप्त हो ! चिंतन शील होने के कारण मानव अपनी इच्छा से कभी भी मुक्त नहीं हो पाता है ! इसीलिये जन्म चक्र में फंसा रहता है ! इच्छा का समाप्त हो जाना ही मोक्ष है ! जन्म चक्र से हमें मुक्ति तब तक नहीं मिलती है ! जब तक हम अपने को भोग रसास्वादन से मुक्त नहीं करते हैं !

जीवन का मूलभूत मन्त्र बताते हुये श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं “परम सिद्धि को प्राप्त हुये महात्माजन मुझे पाने के बाद दुख का जहां घर है अर्थात “संसार” में क्षणभंगुर भी जीवन जीने की इच्छा नहीं रखते हैं ! किन्तु प्रारब्ध भोग को पूरा करने के लिये जीना पड़ता है !

क्योंकि हे अर्जुन, ब्रह्मलोक से लेकर सभी लोक पुनरावर्ती स्वभाव वाले हैं ! परंतु मुझसे मिल जाने के बाद उनका पुनर्जन्म नहीं होता है ! क्योंकि पुनर्जन्म का प्रारंभ जीवन की आकांक्षा है ! जीवेषणा और जीता ही चला जाऊं कि इच्छा ही पुनः जन्म का कारण है ! किसी भी अपूर्ण इच्छा को पूरा करना ही पुनः जीवन का उददेश्य है ! जब तक मनुष्य के मन संतुष्टि का भाव उदित नहीं होता है तब तक उसको मोक्ष नहीं मिल पता है !

इच्छापूर्ति के लिये भविष्य चाहिये होता है ! कृष्ण कहते हैं, ‘पुनर्जन्म ही दुख का घर है ! पुनर्जन्म होता है जीवन की आकांक्षा से ! इच्छा को तृप्त करने के लिये भोग हेतु समय की मांग से ! तो अगर ठीक से समझें तो पुनर्जन्म का सूत्र या दुख का सूत्र, इच्छा अर्थात कमाना है ! विचार है ! और अगर कोई भी विचार, इच्छा, कमना नहीं है तो आपको पुनः जन्म की जरुरत नहीं है ! यही मोक्ष है !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Check Also

मनुष्य मृत्युंजयी कैसे बनता है : Yogesh Mishra

सनातन शैव संस्कृति अनादि है, अनंत है और काल से परे है ! क्योंकि इस …