Dharmik Mahtav

शिव भक्ति सरल, सहज, सस्ती, प्रकृति अनुकूल और अनुकरणीय क्यों है ? : Yogesh Mishra

शैव साहित्यों की शृंखला ही बहुत विस्‍तृत है ! वैरोचन के ‘लक्षणसार समुच्‍चय’ में इन आगमों के विशाल वांगमय का विस्‍तार से वर्णन है ! शिव के शास्‍त्र के रूप में ‘शिवधर्म’ और ‘शिवधर्मोत्‍तर’ ग्रंथों को शैव साधकों द्वारा रचा गया ! ‘शिवधर्म’ में ब्राह्मीलिपि का जिक्र है जबकि ‘शिवधर्मोत्‍तर’ …

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रामचरितमानस का हिन्दुओं के लिये महत्व : Yogesh Mishra

रामचरितमानस का निर्माण भारतीय सनातन संस्कृति के विकट संघर्ष काल में हुआ है ! उस समय लंबे समय तक भारत में मुगलों का शासन था ! जिन्होंने छल और बल दोनों तरीके से भारतीय संस्कृति को नष्ट करके अपनी इस्लामिक संस्कृति का विस्तार करने के लिये अनेक षड्यंत्र रचे थे …

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मानवीय संस्कृति का आधार कैलाश पर्वत है : Yogesh Mishra

मानवता के इतिहास की शुरुआत बन्दर से नहीं बल्कि कैलाश पर्वत से होती है ! जो कि शैवों का पवित्र स्थल है ! कैलाश पर्वत का ग्लेशियर ही एशिया में अनादि काल से सभी महत्वपूर्ण नदियों का स्रोत रहा है ! इसी के किनारे मानवता की कई अनेक सभ्यताएँ फली-फूलीं …

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जीवन में शक्ति उपासना का महत्व : Yogesh Mishra

इस संसार में शिव उपासकों के अतिरिक्त जितने भी महापुरुष हुये हैं, उनमें अधिकांशत: शक्ति उपासक ही रहे हैं ! फिर चाहे वह राम, कृष्ण, अर्जुन, युधिष्ठिर, भीष्म पितामह, वशिष्ठ, विश्वामित्र, शिवाजी आदि कोई भी क्यों न हों ! वैदिक संहिताओं में भी शक्ति की साधना मातृ रूप में की …

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पितृ पक्ष स्थापना का रहस्य : Yogesh Mishra

मनुस्मृति के अध्याय 3 के श्लोक 201 के अनुसार पितृ शब्द की उत्पत्ति पा रक्षणे धातु से है ! जो पालन या रक्षण करे वह पितृ है ! कर्मकाण्डी पंडितों के अनुसार पितृ शब्द का अर्थ एकवचन रूप पिता = जन्म या पालन करने वाला पुरुष है ! द्विवचन पितरौ …

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पितृ पक्ष में कर्मकांड का रहस्य : Yogesh Mishra

पितृ पक्ष शुरू हो गये हैं ! अब हिंदू दर्शन के अनुसार पितृ पृथ्वी पर भ्रमण करेंगे ! अतः सभी आस्थावान परिवारों में अब 15 दिन तक पितरों के लिये पिंड दान, तर्पण, मर्जन आदि का अनुष्ठान किया जायेगा ! जिसके लिए उच्च श्रेणी के ब्राह्मण की तलाश होगी ! …

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कुम्भ की प्राचीनता : Yogesh Mishra

यूं तो कुम्भ पर्व शताब्दियों से भारत के चार नगरों में, जो कि चार दिशायों में विभिन्न नदियों के किनारे बसे हैं, धार्मिक स्नान पर्व के रुप में मनाया जा रहा है ! पर इसका ऐतिहासिक और प्रामाणिक दस्तावेज बहुत पुराना उपलब्ध नहीं है ! महंत लालपुरी जी ने अपनी …

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क्या भगवान शिव नशेड़ी थे : Yogesh Mishra

कल भगवान शिव की मैरेज एन्वर्सरी है ! जिसे हिन्दू शिवरात्रि के नाम से जानते हैं और नशा प्रधान राज्य पंजाब ही नहीं पूरा देश कल शिवरात्रि के उत्सव को मनाने के लिए भांग, गांजा, अफीम, चिलम की तलाश कर रहा है ! अब प्रश्न यह है कि क्या भगवान …

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धन का लक्ष्मी से कोई संबंध नहीं है : Yogesh Mishra

आज दुनिया के किसी भी संपन्न देश में कोई भी संपन्न व्यक्ति हिंदुओं को छोड़कर लक्ष्मी की पूजा नहीं करता है ! फिर भी पूरी दुनिया की संपन्नता का 80% पैसा ऐसे लोगों के पास है, जिन्होंने कभी भी लक्ष्मी की आराधना नहीं की और लक्ष्मी की आराधना करने वाले …

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नंदी का तात्पर्य बैल नहीं है : Yogesh Mishra

सुमेरियन, बेबीलोनिया, असीरिया और सिंधु घाटी की खुदाई में भी बैल की मूर्ति पाई जाती है जिसे शिव भक्त प्राय: नंदी कह देते हैं ! जबकि नंदी बैलों में एक ब्राण्ड मात्र है ! जिसके नश्ल सुधार का काम बनारस के शिलाद ऋषि के पुत्र नंदी ने भुवन नदी के …

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