कृप्या धैर्य रख कर इस पोस्ट को पढ़ें । क्योंकि मैंने जो लिखा है सबूत के साथ लिखा है,
बिना सत्य जाने आपा खोकर अपने मानसिक दिवालियापन का परिचय न दें ।
आंबेडकर का मत था कि कश्मीर के मुस्लिम भाग पाकिस्तान को दे दिया जाए तथा भारत उसपर कोई नियंत्रण न रखे । ख़ुद आंबेडकर ने 10 अक्टूबर 1951 को अपने भाषण में यह बात कही थी। भाषण का अँग्रेजी ड्राफ्ट का सबूत आपको नीचे मिल जाएगा लेकिन आपकी सुविधा के लिए मैं इस भाषण के कश्मीर से जुड़े हिस्से को हिन्दी अनुवाद कर दे रहा हूँ ।
”पाकिस्तान के साथ हमारा झगड़ा हमारी विदेश नीति का हिस्सा है जिसको लेकर मैं गहरा असंतोष महसूस करता हूं। पाकिस्तान के साथ हमारे रिश्तों में खटास दो कारणों से है — एक है कश्मीर और दूसरा है पूर्वी बंगाल में हमारे लोगों के हालात। मुझे लगता है कि हमें कश्मीर के बजाय पूर्वी बंगाल पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए जहां जैसा कि हमें अखबारों से पता चल रहा है, हमारे लोग असहनीय स्थिति में जी रहे हैं। उस पर ध्यान देने के बजाय हम अपना पूरा ज़ोर कश्मीर मुद्दे पर लगा रहे हैं। उसमें भी मुझे लगता है कि हम एक अवास्तविक पहलू पर लड़ रहे हैं। हम अपना अधिकतम समय इस बात की चर्चा पर लगा रहे हैं कि कौन सही है और कौन ग़लत। मेरे विचार से असली मुद्दा यह नहीं है कि सही कौन है बल्कि यह कि सही क्या है। और इसे यदि मूल सवाल के तौर पर लें तो मेरा विचार हमेशा से यही रहा है कि कश्मीर का विभाजन ही सही समाधान है। हिंदू और बौद्ध हिस्से भारत को दे दिए जाएं और मुस्लिम हिस्सा पाकिस्तान को जैसा कि हमने भारत के मामले में किया। कश्मीर के मुस्लिम भाग से हमारा कोई लेनादेना नहीं है। यह कश्मीर के मुसलमानों और पाकिस्तान का मामला है। वे जैसा चाहें, वैसा तय करें।“
ये अंबेडकर के अँग्रेजी भाषण जो उन्होने 10 अक्टूबर 1951 को दिया था उसका स्क्रीन शाट देखें । जिसका LINK ये है ।
-LINK –
https://ambedkarism.wordpress.com
आप आंबेडकर को इस राष्ट्रद्रोही नीति के कारण क्या कहेंगे? आंबेडकर संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे। संविधान को उनसे बेहतर कौन जानता होगा और वह यह बात कह रहे हैं कि कश्मीर का मुस्लिमबहुल इलाका पाकिस्तान को दे दो! फिर भी किसी ने उन पर देशद्रोह का आरोप नहीं लगाया। बल्कि उनको ‘भारत रत्न’ की उपाधि दी।