वीर तक्षक की महान गाथा : Yogesh Mishra

यह घटना तब की है जब प्राचीन भारत में पश्चिमोत्तर से आये डकैत मोहम्मद बिन कासिम के आक्रमण से एक चौथाई सदी बीत चुकी थी ! तोड़े गये मन्दिरों, मठों और चैत्यों के ध्वंसावशेष अब टीले का रूप ले चुके…
यह घटना तब की है जब प्राचीन भारत में पश्चिमोत्तर से आये डकैत मोहम्मद बिन कासिम के आक्रमण से एक चौथाई सदी बीत चुकी थी ! तोड़े गये मन्दिरों, मठों और चैत्यों के ध्वंसावशेष अब टीले का रूप ले चुके…
हमारी अधिकांश प्रशासनिक और राजनीतिक संरचनाओं का निर्माण उस दौर में हुआ था ! जब ब्रिटिश साम्राज्यवाद का सूर्य अपने प्रताप पर था ! वैचारिक और शारीरिक दोनों ही स्तरों पर कोई उन्हें चुनौती देने की स्थिति में न था…
संस्कारों का प्रभाव व्यक्ति के मात्र निजी व्यक्तित्व पर ही नहीं, बल्कि व्यक्ति के आसपास के वातावरण पर भी पड़ता है ! जो व्यक्ति जितना अधिक शक्तिशाली होता है ! उस व्यक्ति के संस्कारों का प्रभाव, उस व्यक्ति के पद…
लोकतांत्रिक व्यवस्था की यह खूबसूरती है कि यदि लोक इच्छा पर शासन की सारी शक्तियां सत्ता प्रमुख में निहित होती हैं तो शासक द्वारा गलत निर्णय या गलत कार्य करने पर देश का हर नागरिक इस बात के लिये स्वतंत्र…
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत एक प्राकृतिक संसाधन संपन्न देश है और सामाजिक विषयों के जानकार यह भी जानते हैं कि भारत के प्राकृतिक संसाधनों के ऊपर यदि अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्रकारी कब्जा करना चाहते हैं ! तो उन्हें…
भारत में ज्योतिष के विद्वानों की लम्बी परम्परा में वराहमिहिर का स्थान आकाश में उदित होने वाले ज्योतिष्मान् नक्षत्र की भांति है ! उन्होंने प्राचीन विद्वानों के ज्योतिर्विज्ञान को समेटते हुए अनेक नए अन्वेषण किये तथा बहुमूल्य जानकारियां प्रदान की…
क्या आपको मालूम है कि जिस दिन जम्मू कश्मीर से 4 लाख से अधिक हिन्दुओं को भगाया गया था ! वह तारीख थी 19 जनवरी 1990 ! उस दिन केंद्र में विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्री थे ! जनता दल गठबंधन…
क्या नयी विश्व सत्ता में अब पुराने नायकों की जरुरत नहीं है ! मुहम्मद साहब की कब्र को मदीना से हटाकर उनके अवशेष को किसी अज्ञात जगह में ले जाने के प्रस्ताव से मुस्लिम जगत दो भागों में बंट गया…
मेरी यह वार्ता मेरे एक पुराने संघ के पूर्णकालिक स्वयं सेवक से अचानक हुयी वार्ता का अंश है ! जो मुझे बनारस यात्रा के दौरान एक नौका यात्रा में मिल गये ! वह उस समय बहुत दुखी और व्यथित थे…
अब तो लोग दान भी अपनी निजी गणित देख कर करते हैं ! शायद वह दौर ख़त्म हो गया जब लोग अपना सर्वस्व राष्ट्र के लिये निक्षावर कर देते थे ! ऐसे ही एक दान दाता भामाशाह थे ! जिन्होंने…